प्रिलिम्स फैक्ट्स: 06 अक्तूबर, 2020 | 06 Oct 2020

सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ ऑफ टॉरपीडो

Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo

5 अक्तूबर, 2020 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट से दूर व्हीलर द्वीप (एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप) से एंटी सबमरीन वारफेयर (ASW) सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ ऑफ टॉरपीडो’ (Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo- SMART) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। 

प्रमुख बिंदु:

  • SMART पनडुब्बी-रोधी युद्ध क्षमता (Anti-Submarine Warfare- ASW) स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण तकनीक है। 
  • इसमें मिसाइल की उड़ान हेतु रेंज एवं ऊँचाई, शंक्वाकार नुकीले भाग का पृथक्करण, टॉरपीडो का अलग होना और वेग न्यूनीकरण तंत्र (Velocity Reduction Mechanism) की तैनाती सहित सभी प्रक्रियाओं का पूरी तरह से पालन किया गया है।
  • SMART टॉरपीडो रेंज से कहीं आगे एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) ऑपरेशंस के लिये हल्के एंटी-सबमरीन टॉरपीडो प्रणाली की मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ है।
  • इस परीक्षण में हाइब्रिड तकनीक को शामिल किया गया है जो वर्तमान प्रणाली को अपग्रेड करने में मदद करती है और मारक क्षमता को भी बढ़ाती है।
  • SMART जिसे युद्धपोत या ट्रक-आधारित तटीय बैटरी (Truck-based Coastal Battery) से लॉन्च किया जाता है, एक नियमित सुपरसोनिक मिसाइल की तरह ही कार्य करता है।

रणनीतिक महत्त्व:

  • स्वदेशी रूप से विकसित स्मार्ट टॉरपीडो प्रणाली देश की समुद्री रणनीतिक क्षमताओं को मज़बूत करने में एक अहम कदम है।
  • यह प्रक्षेपण एवं प्रदर्शन पनडुब्बी-रोधी युद्ध क्षमता स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण है।


राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2020  

National Startup Awards 2020

6 अक्तूबर, 2020 को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कारों (National Startup Awards) के पहले संस्करण के परिणाम जारी करेंगे।   

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प्रमुख बिंदु:

  • भारत सरकार के उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) ने उत्‍कृष्‍ट स्‍टार्टअप्‍स एवं पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने वालों की पहचान करने और उन्हें पुरस्कृत करने के लिये राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कारों की शुरुआत की है।
    • ये स्‍टार्टअप नवाचारी उत्‍पाद या समाधान और अच्‍छे उद्यमों का निर्माण कर रहे हैं जिनमें रोज़गार सृजन या अधिक आय एवं व्‍यापक सामाजिक प्रभाव का प्रदर्शन करने की बहुत अधिक संभावना है। 
  • इन पुरस्‍कारों के पहले संस्‍करण के लिये 12 क्षेत्रों से आवेदन आमंत्रित किये गए थे। इन्‍हें कुल 35 श्रेणियों में उप-वर्गीकृत किया गया है। 
    • ये 12 क्षेत्र हैं- कृषि, शिक्षा, उद्यम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, वित्त, खाद्य, स्वास्थ्य, उद्योग 4.0, अंतरिक्ष, सुरक्षा, पर्यटन एवं शहरी सेवाएँ। 
  • इनके अलावा स्टार्टअप उन क्षेत्रों से भी चुने जाने हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव पैदा कर रहे हैं और महिला नेतृत्व वाले हैं तथा शैक्षणिक परिसरों में स्‍थापित हैं।

पुरस्कार धनराशि:

  • पुरस्‍कार जीतने वाले स्टार्टअप को 5 लाख रुपए के नकद पुरस्कार के अलावा संभावित पायलट परियोजनाओं और कार्य आदेशों के लिये संबंधित जन अधिकारियों और कॉरपोरेट के सामने अपने समाधान पेश करने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
  • मज़बूत स्टार्टअप इको-सिस्टम, इनक्यूबेटर एवं एक्सीलरेटर (Accelerator) को 15-15 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।


मेडिसिन या फिजियोलॉजी के लिये नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize for Medicine or Physiology

6 अक्तूबर, 2020 को हेपेटाइटिस सी वायरस (Hepatitis C Virus) की खोज के लिये अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे ऑल्टर (Harvey J Alter) एवं चार्ल्स एम राइस (Charles M Rice) और ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) को मेडिसिन या फिजियोलॉजी के लिये नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

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प्रमुख बिंदु: 

  • हेपेटाइटिस सी रक्तजनित वायरस के कारण उत्पन्न होता है, जो यकृत को प्रभावित करता है। यह इंजेक्टेबल दवाओं, असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल आदि के माध्यम से फैल सकता है। WHO के अनुसार, यह यौन गतिविधियों द्वारा संक्रमित हो सकता है, किंतु ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।
  • स्टॉकहोम (स्वीडन) में पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल समिति ने कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के कार्य ने रक्तजनित हेपेटाइटिस (Blood-Borne Hepatitis) के एक प्रमुख स्रोत की व्याख्या करने में मदद की जिसे हेपेटाइटिस ए एवं बी वायरस द्वारा समझाया नहीं जा सकता है। 
  • इस खोज ने हेपेटाइटिस सी पर निर्देशित एंटीवायरल दवाओं के तेज़ी से विकास को भी गति दी है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) का अनुमान है कि दुनिया भर में 70 मिलियन से अधिक लोग हेपेटाइटिस से प्रभावित हैं और प्रत्येक वर्ष इससे 400,000 मौतें होती हैं।
    • यह एक पुरानी बीमारी है जो यकृत की सूजन एवं कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम

(National Viral Hepatitis Control Programme- NVHCP):

  • भारत सरकार द्वारा इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी  
  • इस कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) बीमारी को समाप्त करना है 
  • वर्ष 2018 के बाद से हेपेटाइटिस सी से प्रभावित लगभग 50,000 लोगों का इलाज किया जा चुका है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, देश की आबादी के अनुमानित 0.5-1% (या 10-13 मिलियन लोग) हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं।

पंजाब के संदर्भ में:

  • ‘नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम’ की तरह पंजाब में भी वर्ष 2016 में इसी प्रकार का कार्यक्रम शुरू किया गया था। 
  • पंजाब ने वर्ष 2016 से अब तक हेपेटाइटिस सी से प्रभावित 87,000 रोगियों की रिपोर्ट दर्ज की जिनमें से 93% ठीक हो चुके हैं
    • चूँकि पंजाब ने अपना कार्यक्रम राष्ट्रीय कार्यक्रम से पहले शुरू किया था, इसलिये  उनके आँकड़े NVHCP डेटा में शामिल नहीं हैं।   
  • कारण: नशीली दवाओं के अधिक सेवन और इंजेक्शन आधारित नशीली दवाओं के उपयोग के कारण पंजाब में यह बीमारी अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है।
    • पंजाब में COVID-19 से पहले प्रत्येक महीने 900-1100 नए मामले दर्ज किये जा रहे थे।