NISHAD को ग्लोबल रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी के रूप में नामित किया | 17 Jun 2025
स्रोत: पी.आई.बी
ICAR-NIHSAD, भोपाल को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा कैटेगरी A रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी के रूप में नामित किया गया है, जिससे भारत विश्व के उन 6 देशों में शामिल हो गया है जिन्हें रिंडरपेस्ट वायरस-संवाहित सामग्री (RVCM) को सुरक्षित रूप से रखने का दायित्व सौंपा गया है।
- रिंडरपेस्ट: रिंडरपेस्ट (मवेशी प्लेग) एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल रोग था, जो मुख्य रूप से मवेशी, भैंस और कुछ जंगली जुगाली करने वाले जानवरों को प्रभावित करता था। यह रिंडरपेस्ट वायरस (जो खसरे से संबंधित मॉर्बिलीवायरस है) के कारण होता था।
- यह रोग संक्रमित स्रावों या दूषित चारे/जल के संपर्क से फैलता था। इसके लक्षणों में तेज़ बुखार, मुँह में छाले, अतिसार और त्वरित मृत्यु शामिल थे।
- इसके कारण अफ्रीका, एशिया और यूरोप में बड़े पैमाने पर पशुधन की हानि हुई, जिससे आर्थिक पतन तथा खाद्य असुरक्षा उत्पन्न हुई।
- इस रोग का वायरस अभी भी कुछ उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं में संग्रहित है और किसी भी आकस्मिक या जानबूझकर जारी होने से इसका पुनः उभरना संभव है।
- इसीलिये FAO और WOAH रिंडरपेस्ट वायरस-संवाहित सामग्री (RVCM) के भंडारण तथा संचालन पर कड़ी निगरानी रखते हैं।
NIHSAD (राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान)
- NIHSAD भारत की प्रमुख बायोसेफ्टी लेवल-3 (BSL-3) सुविधा है, जो विदेशी और उभरते पशु रोगजनकों पर अनुसंधान, रोगों की पहचान और उच्च-जोखिम वाले जीवों की जैव-नियंत्रण (बायो-कंटेनमेंट) हेतु उच्च-संरक्षण प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती है।
- इसे वर्ष 1984 में हाई सिक्योरिटी एनिमल डिज़ीज़ लैबोरेटरी (HSADL) के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसका नाम बदलकर NIHSAD रखा गया। यह लैब बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंज़ा), न्यूकैसल डिज़ीज़ और अन्य सीमा-पार एवं जूनोटिक (जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले) रोगों के लिये एक संदर्भ प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती है, जो “वन हेल्थ” फ्रेमवर्क के अंतर्गत आता है।
- यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ((ICAR, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
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