नैटपोलरेक्स | 08 Oct 2025
भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने चेन्नई तट पर 10वें राष्ट्रीय स्तर के प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (नैटपोलरेक्स-अभ्यास) का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
नैटपोलरेक्स-अभ्यास
- परिचय: नैटपोलरेक्स-अभ्यास एक द्विवार्षिक अभ्यास है और भारत के समुद्री पर्यावरण संरक्षण ढाँचे का एक प्रमुख घटक है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (NOSDCP) के तहत राष्ट्रीय तैयारी, अंतर-एजेंसी समन्वय और समुद्री तेल रिसाव के प्रति प्रतिक्रिया को मज़बूत करना है।
- तटरेखा ड्रिल: 10वें संस्करण का मुख्य आकर्षण मरीना बीच पर पहली बार तटरेखा सफाई ड्रिल था, जिसमें एक नकली घटना में कई राज्य एजेंसियों को शामिल किया गया था।
- महत्त्व: यह समुद्री प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करता है, मेक इन इंडिया पहल को प्रदर्शित करता है तथा बहुस्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया तंत्र को मज़बूत करता है।
ICG और समुद्री पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका
- केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण: भारतीय तटरक्षक बल (ICG) मार्च 1986 से भारत में तेल रिसाव प्रतिक्रिया के लिये केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहा है।
- राष्ट्रीय नीति ढाँचा: ICG द्वारा तैयार और वर्ष 1993 में अनुमोदित NOSDCP, राष्ट्रीय तेल रिसाव की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये आधारभूत ढाँचा प्रदान करता है।
- भारत की 75% से अधिक ऊर्जा समुद्री तेल से आती है, इसलिये समुद्री मार्गों और बंदरगाहों को तेल रिसाव से बचाना रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- परिचालन अवसंरचना: NOSDCP को लागू करने के लिये ICG ने मुंबई, चेन्नई, पोर्ट ब्लेयर और वाडिनार में चार प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किये हैं।
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