प्रक्षेपण यान मार्क 3 | 11 Jul 2023

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 14 जुलाई, 2023 को प्रक्षेपण यान मार्क 3 (Launch Vehicle Mark- LVM 3) द्वारा अपना चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करेगा।

ISRO के प्रक्षेपण यान:

  • ISRO के पास प्रक्षेपण यान की 3 श्रेणियाँ हैं:
    • PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान): यह बहुत कम विफलता दर वाले वर्कहॉर्स के रूप में प्रसिद्ध है, PSLV पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit.) में 3.8 टन तक वज़न ले जा सकता है।
    • जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV): ISRO ने आवश्यकता पड़ने पर उच्च कक्षाओं में भारी पेलोड लॉन्च करने के लिये GSLV का विकास किया है। PSLV की तरह GSLV में भी कई विन्यास हैं।
      • सबसे शक्तिशाली विन्यास LVM 3 है।
    • SSLV (लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान): यह एक 3 चरण का प्रक्षेपण यान है जिसका तीन ठोस प्रणोदन चरणों और टर्मिनल चरण के रूप में तरल प्रणोदन आधारित वेग ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) के साथ विन्यास किया गया है।

LVM 3:

  • LVM 3 में 3 चरण हैं: 
    • पहला (सबसे निचला चरण) रॉकेट बॉडी के किनारों पर 2 S200 बूस्टर पट्टियों के रूप में है। वे हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडाइन (Hydroxyl-terminated Polybutadiene) नामक ठोस ईंधन का उपयोग करते हैं।
    • दूसरा चरण विकास इंजन द्वारा संचालित होता है, यह तरल ईंधन का उपयोग करता है, जो नाइट्रोजन टेट्रोक्साइड (Nitrogen Tetroxide) या अनसिमेट्रिकल डाइमिथाइलहाइड्रेज़िन (Unsymmetrical Dimethylhydrazine) है।
    • सबसे ऊपरी यानी अंतिम चरण क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होता है। यह द्रवीकृत ऑक्सीजन के साथ द्रवीकृत हाइड्रोजन का उपयोग करता है।
  • यह पृथ्वी की निचली कक्षा में 8 टन तक वज़न ले जा सकता है। 
  • लॉन्च किये गए कुछ LVM 3 मिशन हैं:

मिशन चंद्रयान-3:

  • चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है, साथ ही यह जुलाई 2019 के चंद्रयान-2 का अनुवर्ती है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर उतारना था।
  • इसे वर्ष 2023 में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM 3 द्वारा लॉन्च किया जाना निर्धारित है।
  • विक्रम लैंडर की विफलता के बाद वर्ष 2024 के लिये जापान के साथ साझेदारी में प्रस्तावित चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के लिये आवश्यक लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने हेतु यह मिशन प्रारंभ किया जाएगा।
  • मिशन में तीन प्रमुख मॉड्यूल होंगे- प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर।
  • प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी. तक चंद्र कक्षा में ले जाएगा।
  • लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा।

स्रोत: द हिंदू