काज़ीरंगा के घास के मैदानों में पक्षियों की उच्च विविधता | 16 Jul 2025
स्रोत: TH
असम का काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जो मुख्य रूप से एक-सींग वाले गैंडे के लिये प्रसिद्ध है, अब घास के मैदानों में रहने वाले पक्षियों के लिये भी एक जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में उभर कर सामने आया है।
- काज़ीरंगा में किये गए पहले समर्पित चरागाह पक्षी सर्वेक्षण में इसके तीन वन्यजीव प्रभागों में 43 प्रजातियाँ दर्ज की गईं। इनमें दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं:
- गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered): बंगाल फ्लोरिकन
- संकटग्रस्त (Endangered): फिन्स वीवर, स्वैम्प ग्रास बैबलर
- सुभेद्द (6 प्रजातियाँ): ब्लैक-ब्रेस्टेड पैरटबिल, मार्श बैबलर, स्वैम्प फ्रैंकोलिन, जेरडॉन बैबलर, स्लेंडर-बिल्ड बैबलर, ब्रिस्टल्ड ग्रासबर्ड
- फिन्स वीवर के सफल प्रजनन की पुष्टि हुई है, जो काज़ीरंगा की स्वस्थ घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है।
- काज़ीरंगा का 1,174 वर्ग किलोमीटर का पर्यावास समृद्ध पक्षी जीवन का आश्रय है तथा घास के मैदानों में पक्षियों की विविधता गुजरात और राजस्थान के समकक्ष है।
- यह अध्ययन पूर्वोत्तर भारत में पक्षी संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: काज़ीरंगा का नाम कार्बी शब्द "काज़ीर-ए-रंग" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "काज़ीर का गाँव", ऐसा माना जाता है कि इसका नाम इस क्षेत्र की एक महिला शासक के नाम पर रखा गया था।
- इसे भारतीय गैंडों की रक्षा के लिये वर्ष 1908 में एक आरक्षित वन के रूप में स्थापित किया गया था, यह वर्ष 1950 में एक वन्यजीव अभयारण्य, 1974 में राष्ट्रीय उद्यान और 1985 में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन गया, जिसे उच्च बाघ घनत्व के कारण वर्ष 2007 में एक टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
- यह पाँच बड़े जीवों (बिग फाइव) के लिये जाना जाता है: गैंडा, बाघ, हाथी, एशियाई जंगली भैंसा और पूर्वी दलदली हिरण। पूर्वी दलदली हिरणों की लगभग पूरी आबादी यहीं पाई जाती है।
- काज़ीरंगा ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है। यह नदी उद्यान को समृद्ध पोषक तत्त्व तो प्रदान करती है, लेकिन कटाव (Erosion) के कारण आवासीय नुकसान भी पहुँचाती है।