डीज़ल के साथ आइसोब्यूटेनॉल सम्मिश्रण | 12 Sep 2025

स्रोत: द हिंदू

भारत अब इथेनॉल-डीज़ल परीक्षणों में असफलता के बाद डीज़ल के साथ आइसोब्यूटेनॉल सम्मिश्रण की संभावना तलाश रहा है, जो किसानों को समर्थन देने, तेल आयात को कम करने और सतत् ऊर्जा उपयोग सुनिश्चित करने हेतु जैव ईंधन के लिये सरकार के प्रयास को दर्शाता है।

  • आइसोब्यूटेनॉल: यह एक चार-कार्बन वाला अल्कोहल (C₄H₁₀O) है, जो ज्वलनशील, रंगहीन होता है तथा परंपरागत रूप से पेंट, कोटिंग्स एवं रासायनिक उद्योगों में विलायक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उत्पादन पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं तथा बायोमास के किण्वन दोनों से किया जाता है। 
  • गुण (इथेनॉल के विपरीत): इसमें इथेनॉल की तुलना में अधिक ऊर्जा घनत्व होता है (डीज़ल के अधिक निकट)। 
    • इसकी आर्द्रताग्राही क्षमता (Hygroscopicity) कम होती है (इथेनॉल की अपेक्षा कम पानी अवशोषित करता है), जिससे इंजनों और पाइपलाइनों में क्षरण का जोखिम घटता है। 
  • आइसोब्यूटेनॉल सम्मिश्रण परीक्षण: ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) 10% आइसोब्यूटेनॉल–डीज़ल सम्मिश्रण का परीक्षण कर रही है। 
    • आइसोब्यूटेनॉल को एक वैकल्पिक ईंधन के रूप में तथा ट्रैक्टरों और कृषि-यंत्रों के लिये संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG)-आइसोब्यूटेनॉल फ्लेक्स-फ्यूल विकल्पों के रूप में भी खोजा जा रहा है। 
  • भारत के लिये लाभ: आइसोब्यूटेनॉल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाता है और जीवाश्म ईंधनों के लिये एक स्वच्छ विकल्प को प्रोत्साहित करता है। यह भारत की राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति (2018) के ऊर्जा संक्रमण और किसान आय समर्थन के लक्ष्यों का भी समर्थन करता है।
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