उपग्रहों की सुरक्षा के प्रति भारत का दृष्टिकोण | 24 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
भारत अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा के कई स्तरों के साथ "बॉडीगार्ड सैटेलाइट" की योजना बना रहा है, क्योंकि संचार, नेविगेशन, सुरक्षा, इंटरनेट सेवाओं और जलवायु निगरानी के लिये उपग्रह अपरिहार्य हो गए हैं।
- बॉडीगार्ड सैटेलाइट समर्पित अंतरिक्ष यान होते हैं जिन्हें निकटवर्ती दृष्टिकोणों की निगरानी, खतरों का पता लगाने और कक्षा में शत्रुतापूर्ण युद्धाभ्यासों का मुकाबला करके उच्च-मूल्य वाले उपग्रहों की सुरक्षा एवं अनुरक्षण के लिये डिज़ाइन किया गया है।
उपग्रहों के लिये प्रमुख खतरे
- भौतिक जोखिम: अंतरिक्ष मलबे से भरा हुआ है और एक छोटा सा टुकड़ा भी 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे उपग्रह को नुकसान पहुँचा सकता है।
- डिजिटल जोखिम: उपग्रह रेडियो सिग्नल जैमिंग, स्पूफिंग और ग्राउंड सिस्टम पर होने वाले साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- प्राकृतिक खतरे: सौर तूफान उपग्रह की इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को नुकसान पहुँचा सकते हैं और उनकी कक्षाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
- भू-राजनीतिक खतरे: उपग्रहों को शत्रुतापूर्ण देशों द्वारा निकटता संचालन (proximity operations) के माध्यम से ट्रैक किया जा सकता है या निशाना बनाया जा सकता है।
भारत उन्नत प्रौद्योगिकियों और बहुस्तरीय रक्षा के साथ अपने उपग्रहों की सुरक्षा किस प्रकार कर रहा है?
- आईएसआरओ सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन्स मैनेजमेंट (IS4OM): भारत ने बेंगलुरु में आईएसआरओ का IS4OM केंद्र स्थापित किया है, जो उपग्रहों और अंतरिक्ष मलबे की निगरानी करता है, टकराव की चेतावनी जारी करता है तथा कक्षीय संचालन (maneuvers) का समन्वय करता है।
- प्रोजेक्ट NETRA: भारत के प्रोजेक्ट NETRA का उद्देश्य कक्षा में वस्तुओं की बेहतर ट्रैकिंग के लिये नए रडार और दूरबीनों की तैनाती करके अंतरिक्ष निगरानी क्षमताओं में सुधार करना है।
- श्रीहरिकोटा में मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार पहले से ही चालू है, तथा देश भर में और अधिक स्थानों पर इसकी स्थापना की योजना है।
- नेविगेशन संदेश प्रमाणीकरण (NMA): अपने भारतीय नक्षत्र में नेविगेशन (NavIC) प्रणाली के लिये भारत स्पूफिंग को रोकने और नेविगेशन संकेतों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने हेतु नेविगेशन संदेश प्रमाणीकरण का परीक्षण कर रहा है।
- साइबर सुरक्षा उपाय: भारत की CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम) ने उपग्रह ऑपरेटरों के लिये सुरक्षा बढ़ाने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं, जिसमें मज़बूत एन्क्रिप्शन, नेटवर्क विभाजन और साइबर हमलों से उपग्रह प्रणालियों की सुरक्षा हेतु नियमित पैचिंग शामिल है।
- सौर तूफान की तैयारी: आदित्य-L1 मिशन उपग्रहों की सुरक्षा के लिये सौर तूफान की पूर्व चेतावनी प्रदान करता है।
- LiDAR उपग्रह: भारत संभावित खतरों का पता लगाने और शत्रुतापूर्ण उपग्रह युद्धाभ्यासों पर प्रतिक्रिया के लिये अधिक समय प्रदान करने हेतु LiDAR उपग्रहों के उपयोग की संभावना तलाश रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (COPUOS) और अंतर-एजेंसी मलबा समन्वय समिति (IADC) जैसे वैश्विक मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता है, जो मलबा प्रबंधन और ज़िम्मेदार अंतरिक्ष संचालन पर ध्यान केंद्रित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सुरक्षा प्रणालियाँ
- बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (COPUOS): वर्ष 2019 में दीर्घकालिक अंतरिक्ष स्थिरता के लिये स्वैच्छिक दिशा-निर्देशों को अपनाया गया, जिसमें मलबे के शमन और अंतरिक्ष सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- अंतर-एजेंसी मलबा समन्वय समिति (IADC): अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन के लिये वैश्विक प्रयासों का समन्वय करती है और अंतरिक्ष में टकराव को रोकने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं को विकसित करती है।
- संयुक्त अंतरिक्ष संचालन पहल (CSO): अंतरिक्ष में ज़िम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने और उपग्रह गतिविधियों के लिये परिचालन मानदंड निर्धारित करने हेतु अमेरिका सहित 10 देशों की साझेदारी।
- NATO की अंतरिक्ष नीति: अंतरिक्ष को एक परिचालन क्षेत्र के रूप में घोषित करता है, जो देशों के बीच सहयोग और अंतरिक्ष के ज़िम्मेदार उपयोग पर ज़ोर देता है।
- अमेरिका:
- स्पेस फेंस: एक राडार प्रणाली जो मारबल जितनी छोटी अंतरिक्ष वस्तुओं को ट्रैक कर सकती है।
- संरक्षित सामरिक तरंग: जामिंग को रोककर सुरक्षित उपग्रह संचार सुनिश्चित करता है।
- उन्नत अत्यधिक उच्च आवृत्ति (AEHF) उपग्रह: सुरक्षित संचार के लिये प्रतिरोधी आवृत्तियों का उपयोग करते हैं।
- एन्क्रिप्टेड GPS M-कोड: अनधिकृत पहुँच को रोकने के लिये GPS सिग्नल सुरक्षा को बढ़ाता है।
- अंतरिक्ष सूचना साझाकरण और विश्लेषण केंद्र (ISAC): उपग्रह संचार की सुरक्षा के लिये साइबर खतरे की खुफिया जानकारी का समन्वय करता है।
- यूरोप:
- यूरोपीय संघ अंतरिक्ष निगरानी और ट्रैकिंग (EUSST): अंतरिक्ष मलबे की निगरानी करता है और उपग्रह संचालकों को संभावित खतरों के प्रति आगाह करता है।
- गैलीलियो OSNMA: स्पूफिंग को कम करने और सिग्नल की अखंडता सुनिश्चित करने के लिये नेविगेशन संदेशों को प्रमाणित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहा "भुवन" क्या है? (2010)
(a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा शुरू किया गया एक छोटा उपग्रह।
(b) चन्द्रयान- II के लिये अगले मून इम्पैक्ट प्रोब को दिया गया नाम।
(c) भारत के 3D इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जिओ पोर्टल।
(d) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन।
उत्तर: (c)