भारत का पहला डिजिटल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय | 06 Nov 2025
प्रधानमंत्री ने भारत के पहले डिजिटल संग्रहालय शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन नवा रायपुर अटल नगर, छत्तीसगढ़ में किया।
- पहले डिजिटल संग्रहालय की प्रमुख विशेषताएँ: इसका लकड़ी का नक्काशीदार प्रवेश द्वार सरगुजा के कारीगरों द्वारा बनाया गया है। डिजिटल पत्तियों के माध्यम से 14 जनजातीय विद्रोहों का चित्रण किया गया है।
- इसमें प्रमुख जनजातीय आंदोलनों जैसे हल्बा विद्रोह (छत्तीसगढ़) और सरगुजा विद्रोह (छत्तीसगढ़) को दर्शाया गया है। संग्रहालय में बिरसा मुंडा, गेंद सिंह जैसे जनजातीय नायकों की मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं।
शहीद वीर नारायण सिंह
- परिचय: वीर नारायण सिंह का जन्म वर्ष 1795 में सोनाखान (छत्तीसगढ़) में हुआ था। उनके पिता ज़मींदार रामसाई सिंह ने वर्ष 1818–19 में ब्रिटिश और भोसले शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था।
- वे बिंझवार जनजाति के प्रमुख नेता थे और न्यायप्रिय, दयालु तथा जनकल्याण के प्रति समर्पित शासक के रूप में प्रसिद्ध थे।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: वर्ष 1856 के अकाल के दौरान उन्होंने भुखमरी से पीड़ित ग्रामीणों के लिये अनाज ज़ब्त कर लिया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया।
- वर्ष 1857 में जेल से भागकर उन्होंने 500 जनजातीय योद्धाओं की सेना बनाकर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्हें दिसंबर 1857 में गिरफ्तार कर फाँसी दी गई और वे छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी बने।
- विरासत: उनके बलिदान की स्मृति में छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान’ आरंभ किया है, जो जनजातीय एवं पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिया जाता है।
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