भारत-नेपाल आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता समझौता | 04 Aug 2025

स्रोत: द हिंदू

भारत और नेपाल ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता (MLA) समझौते को अंतिम रूप दे दिया है, जिसका उद्देश्य आपराधिक जाँच, साक्ष्य साझाकरण और कानून प्रवर्तन में सीमा पार सहयोग को बढ़ाना है।

  • दोनों पक्षों ने पलायक (Fugitives)  के प्रत्यर्पण में कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों को दूर करने के लिये अपने पुरानी 1953 की प्रत्यर्पण संधि के संशोधन को शीघ्र पूरा करने पर भी सहमति जताई।

पारस्परिक कानूनी सहायता (MLA)

  • परिचय: यह एक द्विपक्षीय/बहुपक्षीय संधि है जो आतंकवाद, मानव तस्करी, साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों का मुकाबला करने के लिये तीव्र, संरचित सहयोग को सक्षम बनाती है।
  • कानूनी ढाँचा: पारस्परिक कानूनी सहायता संधियाँ (MLATs) देशों के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी, पारस्परिकता सुनिश्चित करना, जबकि गैर-MLAT देशों हेतु यह विवेकाधीन होता है।
    •  नेपाल भारत के साथ MLA समझौता किये बिना एकमात्र पड़ोसी देश (भूटान को छोड़कर) था, जिससे वह अक्सर अनजाने में अपराधियों के लिये सुरक्षित ठिकाना बन जाता था।
  • केंद्रीय प्राधिकरण (भारत): गृह मंत्रालय (MHA), जब मामला कूटनीतिक माध्यम से जाता है तो विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
  • प्रमुख MLAT साझेदार: भारत ने 42 देशों (नवंबर 2019) के साथ MLA संधियों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें USA (2005), UK (1995), फ्राँस (2005) शामिल हैं।

MLA अनुरोध और अनुरोध पत्र के बीच अंतर

पारस्परिक कानूनी सहायता (MLA) अनुरोध

अनुरोध पत्र (LR)

प्रकृति (Nature)

MLA अनुरोध भारत के केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा किसी अन्य देश के केंद्रीय प्राधिकरण को, जाँच अधिकारी या जाँच एजेंसी के अनुरोध पर किया जाता है।

एलआर भारतीय न्यायालय द्वारा जॉंच अधिकारी या जॉंच एजेंसी के अनुरोध पर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 166A और अध्याय VII-A के तहत जारी किया जाता है।

दायरा (Scope)

MLA अनुरोध केवल उन्हीं देशों को भेजा जा सकता है, जिनके साथ भारत की द्विपक्षीय संधि/समझौता, बहुपक्षीय संधि/समझौता या अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (कन्वेंशन) हो।

LR उन देशों को भेजा जा सकता है, जिनके साथ भारत की द्विपक्षीय संधि/समझौता, बहुपक्षीय संधि/समझौता या अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय हो।

साथ ही LR उन देशों को भी भेजा जा सकता है, जिनके साथ भारत का कोई मौजूदा द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संधि/समझौता नहीं है, परंतु पारस्परिकता (Reciprocity) के आश्वासन के आधार पर भेजा जा सकता है।

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