विदेशी देनदारियाँ और संपत्ति (FLA) पर सेंसस जनगणना 2024-25 | 04 Nov 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक की 2024-25 विदेशी देनदारियों और परिसंपत्तियों (FLA) पर सेंसस की जनगणना के अनुसार, अमेरिका एवं सिंगापुर ने मिलकर भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में एक तिहाई से अधिक का योगदान दिया, जिससे भारत के शीर्ष निवेश साझेदार के रूप में उनकी स्थिति की पुष्टि होती है।
भारत में FDI
- शीर्ष निवेशक: अमेरिका (20%) और सिंगापुर (14.3%) ने मिलकर कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक-तिहाई से अधिक योगदान दिया, जिनके बाद मॉरीशस, ब्रिटेन एवं नीदरलैंड का स्थान रहा।
- विदेशी प्रभुत्व: 75% से अधिक FDI-रिपोर्टिंग कंपनियाँ विदेशी सहायक कंपनियाँ थीं, जो मज़बूत विदेशी स्वामित्व और तकनीकी प्रवाह को दर्शाता है।
- क्षेत्रीय फोकस: विनिर्माण क्षेत्र ने सबसे अधिक FDI (48.4% बाज़ार मूल्य) आकर्षित किया, इसके बाद सेवा क्षेत्र का स्थान रहा, जो भारत के औद्योगिकीकरण के लक्ष्यों के अनुरूप है।
- बढ़ता प्रवाह: कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) स्टॉक FY25 में बढ़कर ₹68.75 लाख करोड़ पर पहुँच गया, जो FY24 के ₹61.88 लाख करोड़ की तुलना में 11.1% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। यह प्रवृत्ति भारत की अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों के निरंतर बढ़ते विश्वास को उजागर करती है।
- बाह्य विस्तार: बाह्य प्रत्यक्ष निवेश (ODI) यानी जब कोई भारतीय कंपनी अपने संचालन का विस्तार विदेशों में करती है — ₹11.66 लाख करोड़ दर्ज किया गया। इसके प्रमुख निवेश गंतव्य सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड रहे।
- ODI वृद्धि (17.9%) ने FDI वृद्धि (11.1%) को पीछे छोड़ दिया, जिससे आवक-जावक (Inward-to-Outward) DI अनुपात वर्ष-दर-वर्ष 6.3 गुना से घटकर 5.9 गुना हो गया।
- औद्योगिक मज़बूती: गैर-वित्तीय कंपनियों के पास कुल FDI इक्विटी का 90% से अधिक हिस्सा था, जो मुख्य क्षेत्रों के प्रभुत्व को दर्शाता है।
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