चीन का तियानवेन-2 मिशन | 31 May 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चीन तियानवेन-2 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रह 469219 कामोओलेवा का सर्वेक्षण और प्रतिदर्श एकत्र करना है।

  • तियानवेन-1: तियानवेन-1 (2020) मंगल ग्रह के लिये एक चीनी मिशन था जिसमें मंगल ग्रह की सतह का पता लगाने के लिये एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल था।
  • तियानवेन-2 मिशन: यह एक निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (NEAs) प्रतिदर्श वापसी और मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट धूमकेतु ऑर्बिटर मिशन है जिसका उद्देश्य जटिल गहन अंतरिक्ष संचालन में चीन की क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।
    • NEA वे क्षुद्रग्रह हैं जिनकी कक्षाएँ उन्हें पृथ्वी के निकट लाती हैं। जिनके पथ पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं, उन्हें अर्थ-क्रॉसर कहा जाता है।
  • महत्त्व: यह चीन को अमेरिका (OSIRIS-Rex) और जापान (Hayabusa 2) के बाद क्षुद्रग्रह के प्रतिदर्श प्राप्त करने तथा उन्हें पृथ्वी पर पुनः वापस लाने वाले कुछ देशों में से एक बना देगा।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य कामोआलेवा की असामान्य कक्षा और संभावित चंद्र उत्पत्ति का निरीक्षण करना है तथा इस परिकल्पना का परीक्षण करना है कि यह प्राचीन पृथ्वी-चंद्रमा टकराव से उत्पन्न चंद्र टुकड़ा हो सकता है।
    • वर्ष 2016 में खोजा गया, कामोआलेवा पृथ्वी के केवल सात ज्ञात अर्द्ध-उपग्रहों में से एक है।
    • अर्द्ध-उपग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन ग्रह से उनकी निकट दूरी के कारण, वे ग्रह द्वारा गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होते हैं।
    • ज्ञातव्य है कि कामोओलेवा जैसे अर्द्ध-उपग्रह 100-300 वर्षों में अपनी कक्षाएँ बदल लेते हैं। 
  • प्रतिदर्शन तकनीक: यह क्षुद्रग्रह के प्रतिदर्श एकत्र करने के लिये "टच-एंड-गो" तकनीक (रोबोटिक भुजा/आर्म्स द्वारा टुकड़ों को कक्ष में प्रविष्ट कराया जाता है) का उपयोग करेगा, साथ ही यदि आवश्यक हो तो ड्रिलिंग के लिये वैकल्पिक "एंकर और अटैच" विधि का भी उपयोग किया जाएगा।
  • भविष्य की योजनाएँ: कामोओलेवा के बाद, तियानवेन-2 क्षुद्रग्रह बेल्ट (मंगल और बृहस्पति के बीच) में एक धूमकेतु की परिक्रमा और विश्लेषण करेगा।
    • तियानवेन-3 (2028) का लक्ष्य पहली बार मंगल ग्रह से प्रतिदर्श पुन: वापस लाना है।

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