BHARAT अध्ययन: स्वस्थ वृद्धावस्था के जैव-सूचकों का मानचित्रण | 04 Jul 2025

स्रोत: द हिंदू

भारतीय विज्ञान संस्थान ने लॉन्गविटी इंडिया कार्यक्रम के तहत BHARAT (Biomarkers of Healthy Aging, Resilience, Adversity, and Transitions) अध्ययन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य वृद्धावस्था के जैव-सूचकों का मानचित्रण करना तथा भारतीय जनसंख्या के लिये स्वस्थ वृद्धावस्था का एक आधार-स्तर तैयार करना है।

  • वृद्धावस्था की जटिलता: वृद्धावस्था व्यक्तियों और जनसंख्याओं के बीच भिन्न होती है, जो आणविक, कोशकीय, पर्यावरणीय, जीवनशैली से संबंधित और सामाजिक-आर्थिक कारकों द्वारा प्रभावित होती है। इसका अर्थ है कि कालानुक्रमिक आयु वास्तविक जैविक आयु को प्रतिबिंबित नहीं कर सकती।
  • भारत-विशिष्ट डेटा की आवश्यकता: वर्तमान में प्रयुक्त जैव-सूचक और नैदानिक मानक प्रायः पश्चिमी देशों पर आधारित होते हैं (जैसे कोलेस्ट्रॉल, विटामिन D, CRP स्तर), जो भारतीय जनसंख्या के लिये सटीक या प्रासंगिक नहीं हो सकते। इससे गलत निदान और अप्रभावी उपचार का जोखिम बढ़ जाता है।
    • भारत में जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (अब 67.3 वर्ष) के बावजूद, पार्किंसंस जैसी आयु-संबंधी रोगों में वर्ष 2050 तक 168% वृद्धि और मनोभ्रंश में 200% तक वृद्धि होने की संभावना है। यह स्थिति रोगों की शीघ्र पहचान और समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है।
  • जैव-सूचकों का महत्त्व: BHARAT अध्ययन का उद्देश्य एक विश्वसनीय "भारत बेसलाइन" विकसित करना है, जो विशेष रूप से भारतीय जनसंख्या के लिये सामान्य स्वास्थ्य संकेतों का एक संदर्भ मानदंड प्रस्तुत करे।
    • यह अध्ययन व्यापक प्रकार के संकेतकों को शामिल करता है, जिनमें जीनोमिक जैव-सूचक (जैसे रोगों से संबंधित उत्परिवर्तन), प्रोटीमिक और चयापचयी संकेतक (जो जैविक एवं चयापचय स्वास्थ्य को दर्शाते हैं), तथा पर्यावरणीय और जीवनशैली से संबंधित कारक शामिल हैं।
    • इस अध्ययन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग का उपयोग कर जटिल बहुआयामी आँकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा, ताकि स्वास्थ्य परिणामों का पूर्वानुमान लगाया जा सके और प्रभावी हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार की जा सके।

Ageing biomarkers

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