ऑटिज़्म | 26 May 2025
स्रोत: द हिंदू
ऑटिज़्म (जिसे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) भी कहा जाता है) एक जटिल स्थिति है जो आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होती है, जिसके बढ़ते मामलों के कारण अनुसंधान को बढ़ावा मिल रहा है और शीघ्र निदान और सहायता की आवश्यकता है।
- ऑटिज़्म: यह मस्तिष्क के विकास से संबंधित विभिन्न स्थितियों का एक समूह है, जिसमें सामाजिक संपर्क, संचार और असामान्य व्यवहार में कठिनाइयाँ होती हैं।
- विश्व भर में लगभग 100 में से 1 बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है, हालाँकि इसकी व्यापकता अलग-अलग हो सकती है और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में प्रायः इसकी रिपोर्टिंग कम ही की जाती है।
- ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों में प्रायः मिर्गी, अवसाद, दुश्चिंता जैसे सहवर्ती रोग भी पाए जाते हैं और वे नींद की समस्याओं या आत्मक्षति जैसे व्यवहार भी प्रदर्शित कर सकते हैं। उनकी बौद्धिक क्षमताएँ गंभीर कमी से लेकर औसत से ऊपर के स्तर तक होती हैं।
- कारण: ऑटिज़्म संभवतः आनुवंशिक कारकों (जैसे पारिवारिक इतिहास, वृद्ध माता-पिता या डाउन सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक स्थितियाँ) और गर्भावस्था या जन्म के दौरान पर्यावरणीय प्रभावों (जैसे प्रदूषण के संपर्क में आना या समय से पहले जन्म) के संयोजन से उत्पन्न होता है। ये कारक जोखिम बढ़ा सकते हैं लेकिन सीधे ऑटिज़्म का कारण नहीं बनते हैं।
- बचपन में लगाए जाने वाले टीके से ऑटिज़्म का खतरा नहीं बढ़ता।
- मूल्यांकन और देखभाल: प्रारंभिक साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक बेहतर बना सकते हैं।
- ऑटिज़्म के लिये भारत की पहल: राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्तियों के लिये कानूनी संरक्षकता और कल्याण सेवाएँ प्रदान करता है।
- DISHA योजना दिव्यांग बच्चों (0-10 वर्ष) के लिये शीघ्र हस्तक्षेप और विद्यालय हेतु तैयार करने की सुविधा प्रदान करती है।
- सहयोगी योजना देखभालकर्त्ता प्रकोष्ठों (CAC) के माध्यम से केयर एसोसिएट्स को प्रशिक्षण देती है, ताकि वे दिव्यांगजनों को कुशल देखभाल प्रदान कर सकें।
और पढ़ें: ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)