एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान | 12 Oct 2023

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में भारत को लगातार तीसरी बार एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान  (Asia-Pacific Institute for Broadcasting Development- AIBD) जनरल कॉन्फ्रेंस (GC) का अध्यक्ष चुना गया है।

  • AIBD के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि यह प्रसारण के क्षेत्र में मार्गदर्शन और नवाचार में भारत की क्षमताओं के प्रति दुनिया भर के प्रसारण संगठनों के विश्वास को दर्शाता है।

एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (AIBD):

  • परिचय:
  • उद्देश्य:
    • AIBD को नीति और संसाधन विकास के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक जीवंत एवं सामंजस्यपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वातावरण प्राप्त करने का दायित्व सौंपा गया है।
  • संस्थापक सदस्य:
    • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), यूनेस्को और एशिया-प्रशांत प्रसारण संघ (ABU) संस्थान के संस्थापक संगठन हैं तथा ये सामान्य सम्मेलन के गैर-मतदान सदस्य हैं।
  • सदस्य:
    • AIBD में वर्तमान में 44 देशों के 92 सदस्य संगठन हैं जिनमें 26 सरकारी सदस्य (देश) शामिल हैं जिनका प्रतिनिधित्व 48 प्रसारण प्राधिकरण और प्रसारक करते हैं तथा 44 संबद्ध (संगठन) जिनका प्रतिनिधित्व एशिया, प्रशांत, यूरोप, अफ्रीका, अरब राज्यों एवं उत्तरी अमेरिका के 28 देशों व क्षेत्रों द्वारा किया जाता है। 
  • एशिया मीडिया शिखर सम्मेलन :
    • एशिया मीडिया शिखर सम्मेलन एक वार्षिक सम्मेलन है जिसका आयोजन AIBD द्वारा उसके सहयोगियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया जाता है ।
    • इस सम्मेलन में एशिया, प्रशांत, अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के निर्णय करने वाले, मीडिया पेशेवर, विद्वान एवं समाचार तथा प्रोग्रामिंग के हितधारक भाग लेते हैं।
  • सचिवालय: 
    • कुआलालंपुर, मलेशिया।
  • भारत और AIBD:
    • भारत AIBD के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
    • भारत का सार्वजनिक लोक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती, AIBD में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधि निकाय है।

प्रसार भारती:

  • प्रसार भारती एक वैधानिक स्वायत्त संस्था है।
  • यह देश का सार्वजनिक लोक सेवा प्रसारक है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1997 में प्रसार भारती अधिनियम के तहत की गई थी।
  • प्रसार भारती निगम का मुख्य उद्देश्य जनता को शिक्षित करने और उसके मनोरंजन के लिये दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता प्रदान करना है।