खीचन और मेनार नए रामसर स्थल के रूप में | 05 Jun 2025

स्रोत: पी.आई.बी

राजस्थान में खीचन (फलोदी) और मेनार (उदयपुर) आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल घोषित किया गया है, जिससे भारत में रामसर स्टालोंस्थलों की कुल संख्या 91 हो गई है, जो एशिया में सर्वाधिक है।

  • खीचन हज़ारों प्रवासी डेमोइसेल क्रेन के लिये प्रसिद्ध है, जबकि मेनार (पक्षी गाँव), अपने समुदाय के नेतृत्व वाले पक्षी संरक्षण प्रयासों के लिये जाना जाता है।
  • राजस्थान में अब 4 रामसर स्थल हैं, जिनमें सांभर झील (नागौर और जयपुर) तथा  केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) शामिल हैं।
    • आर्द्रभूमि: ये दलदल, दलदली भूमि, पीटलैंड या जल (प्राकृतिक या कृत्रिम) के वे क्षेत्र हैं, जिनमें पानी स्थिर या प्रवाहित होता है, इनमें छह मीटर से अधिक गहराई वाले समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।
  • आर्द्रभूमियाँ एक इकोटोन हैं, जिनमें स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच संक्रमणकालीन भूमि होती है।
  • रामसर कन्वेंशन: इसे वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था और यह आर्द्रभूमि संरक्षण तथा विवेकपूर्ण उपयोग के लिये एक वैश्विक रूपरेखा प्रदान करता है। भारत वर्ष 1982 में इसमें शामिल हुआ।
    • मोंट्रेक्स रिकॉर्ड (संकटग्रस्त सूची) में मानवीय गतिविधियों या प्रदूषण के कारण बिगड़ती पारिस्थितिक स्थिति वाली आर्द्रभूमियों की सूची दी गई है। मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में भारत की दो आर्द्रभूमियाँ हैं:
      • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान (1990): UNESCO विश्व धरोहर स्थल।
      • लोकटक झील, मणिपुर (1993): पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी स्वच्छ जल की झील जो अपनी फुमदियों (वनस्पति, मृदा और कार्बनिक पदार्थों के तैरते हुए समूह) के लिये जानी जाती है।
  • चिल्का झील को वर्ष 1993 में मॉन्ट्रो रिकॉर्ड में शामिल किया गया था लेकिन वर्ष 2002 में इसे हटा दिया गया (एशिया से पहली साइट)।

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