16वीं एशियाई शेर गणना, 2025 | 22 May 2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
गुजरात वन विभाग द्वारा जारी 16वीं शेर गणना 2025 के अनुसार, गुजरात में एशियाई शेरों (Panthera leo persica) की संख्या 5 वर्षों में 674 से बढ़कर 891 हो गई।
16वीं एशियाई शेर गणना, 2025 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- कुल संख्या: गुजरात में 891 एशियाई शेर हैं। यह संख्या वर्ष 2020 (15वीं गणना) के 674 शेरों से 32.2% अधिक है।
- वितरण: संरक्षित वन तथा अभयारण्य क्षेत्रों में 384 शेर हैं। गैर-वनीय क्षेत्रों में शेरों की संख्या वर्ष 2020 के 340 से बढ़कर वर्ष 2025 में 507 हो गई है।
- कुल शेरों में 44.22%, पारंपरिक रूप से संरक्षित अधिवासों से बाहर के क्षेत्रों से संबंधित हैं।
- गिर राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के अभयारण्यों (गिर वन्यजीव अभयारण्य एवं पनिया वन्यजीव अभयारण्य) में 394 शेर हैं।
- अमरेली ज़िले में शेरों की संख्या 257 यानि सबसे अधिक है, जबकि मित्याला वन्यजीव अभयारण्य में शेरों की संख्या दोगुनी होकर 32 हो गई है।
- पोरबंदर के निकट बर्दा वन्यजीव अभयारण्य एक नव स्थापित शेर आबादी वाला क्षेत्र बन गया है, जहाँ वर्ष 1879 के बाद पहली बार 17 शेरों की उपस्थिति दर्ज़ की गई है।
- वर्ष 2025 की गणना में जेतपुर और बाबरा-जसदन के आसपास नवीन सैटेलाइट पॉपुलेशन की भी पहचान की गई है।
- वयस्क मादाएँ: वयस्क मादाओं की संख्या 330 दर्ज़ की गई, यह वर्ष 2020 से 27% की वृद्धि है, जो आगे और वृद्धि की अधिक संभावना को दर्शाती है।
- जनसंख्या में वृद्धि के कारण: प्रोजेक्ट लायन ने एशियाई शेरों के संरक्षण के लिये आवास स्थलों को पुन: स्थापित करने, शिकार आधार को सुदृढ़ करने और उनके संघर्षों को कम करने में मदद की है।
- गणना पद्धति: प्रत्यक्ष बीट सत्यापन (क्षेत्र को क्षेत्रों, ज़ोन और उप-ज़ोन में विभाजित किया गया था, जिसमें नामित अधिकारी, गणनाकार, पर्यवेक्षक एवं स्वयंसेवक शामिल थे) का उपयोग करके आयोजित की गई, यह पदचिह्न-आधारित बाघ सर्वेक्षणों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक व सांख्यिकीय रूप से सुदृढ़ पद्धति है।
- यह कार्य मात्र तीन दिन में पूरा हो गया, जबकि बाघों की गणना में दो वर्ष का समय लगता है।
प्रोजेक्ट लायन क्या है?
- प्रोजेक्ट लायन: वर्ष 2020 में घोषित, प्रोजेक्ट लायन एक दीर्घकालिक पहल है जिसका उद्देश्य एक स्थायी वातावरण बनाकर एशियाई शेरों के भविष्य को सुरक्षित करना है जो उनके पारिस्थितिक तंत्र के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
- गुजरात के गिर परिदृश्य में क्रियान्वित की जा रही इस परियोजना का ध्यान पर्यावास सुधार, निगरानी के लिये रेडियो कॉलरिंग और कैमरा ट्रैप जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष के शमन पर केंद्रित है।
- गुजरात वन विभाग इन संरक्षण उपायों को लागू करने में केन्द्रीय भूमिका निभाता है तथा संख्या प्रवृत्तियों और स्वास्थ्य पर नज़र रखने हेतु नियमित रूप से शेरों की गणना करता है।
- शेर संरक्षण में प्रौद्योगिकियाँ: ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम-आधारित ट्रैकिंग जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग शेरों और वाहनों की निगरानी के लिये किया जाता है, जिससे कुशल निगरानी सुनिश्चित होती है।
- एक स्वचालित सेंसर ग्रिड जिसमें चुंबकीय, गति और अवरक्त ताप सेंसर शामिल हैं, वन्यजीव गतिविधि का पता लगाने तथा ट्रैक करने में सहायता करता है।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित वास्तविक समय निगरानी समय पर विश्लेषण, रिपोर्ट तैयार करने और संरक्षण प्रयासों के प्रभावी प्रबंधन को सक्षम बनाती है।
नोट: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने वर्ष 2025 में शेरों के लिये पहला ग्रीन स्टेटस असेसमेंट जारी किया, जो प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति और संरक्षण प्रभाव को मापने के लिये एक वैश्विक मानक प्रदान करता है।
- IUCN ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज में सूक्ष्मजीवों को छोड़कर सभी प्रजातियाँ शामिल हैं और इसमें आठ श्रेणियाँ (वनों में विलुप्त, गंभीर रूप से समाप्त, बड़े पैमाने पर समाप्त, मध्यम रूप से समाप्त, थोड़ा समाप्त, पूरी तरह से पुनः प्राप्त, गैर समाप्त और अनिश्चित का उपयोग किया गया है।
- IUCN रेड लिस्ट के विपरीत, जो विलुप्त होने के जोखिम पर ध्यान केंद्रित करती है, ग्रीन स्टेटस पुनर्प्राप्ति क्षमता और आवश्यक संरक्षण कार्यों पर प्रकाश डालता है। शेरों को बड़े पैमाने पर विलुप्त श्रेणी में रखा गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (a) |