हेपेटाइटिस A | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
विशेषज्ञ तर्क देते हैं कि हेपेटाइटिस A, जो अब तीव्र यकृत विफलता का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है, को इस बीमारी के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा मज़बूत करने के लिये सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) में शामिल किये जाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
हेपेटाइटिस A क्या है?
- परिचय: हेपेटाइटिस A एक वायरल संक्रमण है जो हेपेटाइटिस A वायरस (HAV) द्वारा उत्पन्न यकृत की सूजन का कारण बनता है। हेपेटाइटिस B और C के विपरीत यह दीर्घकालिक (क्रोनिक) यकृत रोग का कारण नहीं बनता। हालाँकि रोग की तीव्रता हल्की से लेकर गंभीर तक हो सकती है।
- लक्षणों में बुखार, थकान, मतली, पेट में असहजता, अतिसार, डार्क यूरिन और पीलिया शामिल हो सकते हैं।
- संक्रमण: हेपेटाइटिस A मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है, विशेषकर संदूषित भोजन या जल तथा गंदे हाथों के माध्यम से।
- भारत में सुरक्षात्मक एंटीबॉडी का स्तर दो दशक पहले 90% से अधिक था, जो अब कई शहरी क्षेत्रों में 60% से नीचे आ गया है। इससे संवेदनशील युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जो संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है।
- वैश्विक बोझ: हेपेटाइटिस A विश्वभर में होता है और यह वायरस पर्यावरण में लंबे समय तक जीवित रह सकता है। वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 7,134 मृत्यु का अनुमान लगाया था, जो वैश्विक वायरल हेपेटाइटिस मृत्यु दर का 0.5% था।
- उपचार: हेपेटाइटिस A के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। देखभाल मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने, जलयोजन/हाइड्रेशन, पोषण और आराम पर केंद्रित होती है।
- टीका: जीवित-क्षीण और निष्क्रिय दोनों प्रकार के हेपेटाइटिस A टीके 90–95% तक सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा प्रतिरक्षा 15–20 वर्षों तक या जीवनभर बनी रह सकती है। भारत की बायोलॉजिकल E कंपनी का बायोवैक-A, एक जीवित-क्षीण टीका, पिछले दो दशकों से उत्कृष्ट सुरक्षा और प्रभावशीलता के साथ उपयोग किया जा रहा है।
हेपेटाइटिस क्या है?
- परिचय: हेपेटाइटिस यकृत (लिवर) की सूजन है, जो वायरल संक्रमणों, स्व-प्रतिरक्षी विकारों या अल्कोहल/दवाओं की विषाक्तता के कारण हो सकती है।
- यह तीव्र रूप में हो सकता है, जिसमें पीलिया, बुखार और उल्टी जैसे लक्षण दिखते हैं या दीर्घकालिक रूप में, जो छह महीने से अधिक चलता है तथा आगे चलकर फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर तक बढ़ सकता है।
- कारण: हेपेटाइटिस हेपेटोट्रोपिक वायरस (A, B, C, D, E), वैरिसेला और SARS-CoV-2 जैसे अन्य वायरस के साथ-साथ शराब, ड्रग्स, ऑटोइम्यून विकार तथा फैटी लिवर रोग जैसे गैर-वायरल कारकों के कारण हो सकता है।
- हेपेटाइटिस B का टीका हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) संक्रमण को रोकने में अत्यंत प्रभावी है, जबकि हेपेटाइटिस C के लिये अभी तक कोई प्रभावी टीका उपलब्ध नहीं है।
- हेपेटाइटिस के प्रकार: हेपेटाइटिस के 5 मुख्य वायरस हैं - A, B, C, D और E। प्रत्येक यकृत रोग पैदा करने में सक्षम हैं, लेकिन संचरण, गंभीरता, भौगोलिक प्रसार और रोकथाम में भिन्न हैं।
हेपेटाइटिस के प्रकार
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प्रकार |
संक्रमण का तरीका (Transmission) |
रोकथाम (Prevention) |
उपचार (Treatment) |
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हेपेटाइटिस A |
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हेपेटाइटिस B |
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हेपेटाइटिस C |
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हेपेटाइटिस D |
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हेपेटाइटिस E |
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- घटनाएँ: हेपेटाइटिस B और C लंबे समय तक चलने वाले संक्रमण का कारण बनते हैं और सिरोसिस, लिवर कैंसर तथा वायरल हेपेटाइटिस से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। ये प्रतिवर्ष लगभग 1.3 मिलियन मृत्यु का कारण बनते हैं और पूरे विश्व में लगभग 304 मिलियन व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं।
- इसी प्रकार हेपेटाइटिस A अब केवल बचपन का हल्का संक्रमण नहीं माना जाता परंतु यह एक उभरती हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है।
- यदि तुरंत और निरंतर कार्रवाई नहीं की गई तो अनुमान है कि वर्ष 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस 9.5 मिलियन नए संक्रमण, 2.1 मिलियन लिवर कैंसर के मामले और 2.8 मिलियन मृत्यु का कारण बन सकता है।
- प्रमुख पहल:
- HIV, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों पर WHO की वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र रणनीति (2022-2030): इस रणनीति का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक नए हेपेटाइटिस संक्रमणों को घटाकर प्रति वर्ष 5,20,000 मामलों तक लाया जाए और हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों को 4,50,000 तक कम किया जाए, जो वर्ष 2015 के स्तरों की तुलना में संक्रमण में 90% और मृत्यु दर में 65% की कमी है।
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (2018): इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस C को खत्म करना और पूरे भारत में हेपेटाइटिस A, B, C और E से संक्रमित आबादी, रुग्णता और मृत्यु दर को काफी कम करना है।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP)
- परिचय: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) भारत की सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में से एक है, जिसका लक्ष्य प्रतिवर्ष लाखों नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को जीवन रक्षक टीके उपलब्ध कराना है।
- कवर की गई बीमारियाँ: इसमें UIP 12 बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर इसमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बाल क्षय रोग, हेपेटाइटिस B तथा मेनिन्जाइटिस/निमोनिया (हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप B के कारण) के टीके शामिल हैं।
- उप-राष्ट्रीय स्तर पर यह रोटावायरस, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस से सुरक्षा प्रदान करता है।
- UIP का विकास: इसे आरंभ में वर्ष 1978 में विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था तथा वर्ष 1985 में इसका नाम बदलकर UIP कर दिया गया, जब स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में असमानताओं को दूर करने के लिये इसका दायरा शहरी केंद्रों से आगे बढ़कर ग्रामीण क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. हेपेटाइटिस A के संचरण का तरीका क्या है?
हेपेटाइटिस A मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है, विशेषकर संदूषित भोजन या जल तथा गंदे हाथों के माध्यम से।
2. राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (2018) का मुख्य लक्ष्य क्या है?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस C को समाप्त करना तथा हेपेटाइटिस A, B, C और E से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को कम करना है।
3. सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के अंतर्गत राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर कौन-कौन सी बीमारियाँ शामिल हैं?
राष्ट्रीय स्तर पर: डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, टीबी, हेपेटाइटिस B, हिब रोग।
उप-राष्ट्रीय स्तर पर: रोटावायरस, न्यूमोकोकल न्यूमोनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस।
UPSC विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2019)
(a) यकृतशोथ B विषाणु काफी कुछ HIV की तरह ही संचरित होता है।
(b) यकृतशोथ C का टीका होता है, जबकि यकृतशोथ B का कोई टीका नहीं होता है।
(c) सार्वभौम रूप से यकृतशोथ B और C विषाणुओं से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या HIV से संक्रमित लोगों की संख्या से कई गुना अधिक है।
(d) यकृतशोथ B और C विषाणुओं से संक्रमित कुछ व्यक्तियों में अनेक वर्षों तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
उत्तर: (b)
प्रश्न: भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया 'मिशन इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016)
(a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण
(b) देश भर में स्मार्ट शहरों का निर्माण
(c) बाह्य अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रहों की भारत द्वारा स्वयं की खोज
(d) नई शिक्षा नीति
उत्तर: A