भारत-पाकिस्तान और सिंधु जल संधि | 04 Feb 2023

यह एडिटोरियल 31/01/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “On the Indus Water Treaty: Hedging...” पर आधारित है। इसमें भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (IWT) से संबद्ध मुद्दों पर चर्चा की गई है।

हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के साथ 62 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty- IWT) को संशोधित करने की इच्छा प्रकट की। भारत ने जम्मू और कश्मीर में कार्यान्वित किशनगंगा एवं रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर जारी विवादों के समाधान के प्रति पाकिस्तान की अनिच्छा का हवाला देते हुए यह मंशा प्रकट की। भारत ने नीदरलैंड के हेग में अवस्थित मध्यस्थता न्यायालय में जाने के पाकिस्तान के ‘एकपक्षीय’ निर्णय का भी विरोध किया है। 

भारत ने IWT के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार संधि में संशोधन का आह्वान किया, जो निर्दिष्ट करता है कि संधि के प्रावधानों को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये संशोधित किया जा सकता है। भारत ने हेग में अवस्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान की मांग पर सुनवाई की पहली बैठक का बहिष्कार भी किया है।

सिंधु जल संधि पर भारत द्वारा पाकिस्तान को नोटिस जारी करने (और 90 दिनों के भीतर इस पर प्रतिक्रिया देने का अनुरोध करने) का निर्णय एक बड़ा कदम है और इससे जल बँटवारे की यह संधि एक नई समझौता वार्ता की ओर आगे बढ़ सकती है। इस संधि को एक ऐसे समय  प्रायः भारत-पाकिस्तान के बीच सहमति के एक दुर्लभ उदाहरण के रूप में देखा जाता रहा है जब दोनों देशों ने व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अधिकांश द्विपक्षीय वार्ताओं को अवरुद्ध कर रखा है। 

सिंधु जल संधि क्या है? 

  • भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों तक चली समझौता वार्ताओं के बाद वर्ष 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये थे, जहाँ विश्व बैंक भी संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता है। 
    • इस संधि में कभी भी संशोधन की स्थिति नहीं बनी और इसे प्रायः दक्षिण एशिया की सबसे सफल अंतर्राष्ट्रीय संधियों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है, जिसने भारत-पाकिस्तान के बीच कई युद्धों एवं तनाव की स्थिति को भी सफलतापूर्वक सहन कर लिया। 
  • यह संधि सिंधु नदी और उसकी पाँच सहायक नदियों- सतलज, ब्यास, रावी, झेलम एवं चिनाब के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान के लिये एक तंत्र का निर्माण करती है। 

IWT

संधि में संशोधन की आवश्यकता क्यों? 

  • पर्यावरणीय कारक: 
    • वर्ष 1960 में संधि के अस्तित्व में आने के बाद से पर्यावरण में व्यापक परिवर्तन आए हैं और इसलिये संधि को अद्यतन करने की आवश्यकता है। 
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जल भंडारण एवं प्रबंधन प्रौद्योगिकियों में प्रगति को पुनः वार्ता के कुछ सबसे आवश्यक कारणों के रूप में उद्धृत किया जाता है। 
  • नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में असमर्थता: 
    • संधि में निर्धारित कई प्रौद्योगिकीय मानदंड अब संधि की भावना के अनुरूप नहीं रह गए हैं, जो भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग को बढ़ावा देने तथा सिंधु नदी बेसिन में जल संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने पर लक्षित थे। 
    • यह संधि जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में नई तकनीक, प्रौद्योगिकियों और अध्ययनों को शामिल कर सकने (जो उनके जीवनकाल और दक्षता में वृद्धि करते हैं) के दृष्टिकोण से सुसज्जित नहीं है, क्योंकि संधि पर वार्ता के समय ये उपलब्ध नहीं थे। 
  • संघर्ष समाधान: 
    • जल संसाधनों पर विवादों (जिसमें दोनों देशों के बीच विवाद और प्रत्येक देश के भीतर अलग-अलग राज्यों के बीच के विवाद शामिल हैं) को हल करने के लिये एक तंत्र प्रदान करने हेतु संधि में सुधार आवश्यक है। 
  • पारदर्शिता और सहयोग: 
    • डेटा एवं सूचनाओं को साझा करने के साथ ही जल संबंधी मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच अधिक पारदर्शिता एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिये संधि में सुधार आवश्यक है। 
  • संस्थागत व्यवस्था: 
    • सिंधु जल आयोग (Indus Waters Commission) और अन्य संबंधित संस्थानों की भूमिका को सुदृढ़ करने के साथ जल प्रबंधन के लिये संस्थागत व्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिये संधि में सुधार करना आवश्यक है। 

IWT पर भारतीय कदम के निहितार्थ क्या हो सकते हैं? 

  • दो देशों के बीच तनाव में वृद्धि: 
    • IWT भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिरता का एक स्रोत रहा है, लेकिन यदि संधि में बदलाव किये जाते हैं तो इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। 
      • उदाहरण के लिये, यदि भारत एक बाँध का निर्माण करता है जो पाकिस्तान में जल के प्रवाह को कम करे तो इससे राजनयिक तनाव बढ़ सकता है और सैन्य संघर्ष की स्थिति भी बन सकती है। 
  • विश्व बैंक की स्थिति पर प्रभाव: 
    • यदि संधि में संशोधन किया जाता है या इस पर पुनः वार्ता होती है तो IWT के एक मध्यस्थ के रूप में विश्व बैंक स्वयं को एक जटिल स्थिति में पा सकता है क्योंकि इससे जल विवादों में एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में उसकी भूमिका को आघात लगेगा। 
  • चीन के लिये एक मिसाल का निर्माण: 
    • चीन पहले से सिंधु नदी प्रणाली की दो नदियों (सतलज एवं सिंधु), ब्रह्मपुत्र और मेकांग पर एक आक्रामक रुख रखता है।  
    • यदि भारत IWT पर आक्रामक कार्रवाई करता है तो यह चीन के लिये सतलज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और मेकांग जैसी अन्य नदियों पर ऐसी की किसी कार्रवाई के लिये एक मिसाल प्रदान कर सकता है। 
      • हालाँकि इस तरह की कार्रवाइयों का परिणाम भारत और चीन के बीच तत्कालीन सापेक्षिक शक्ति गतिशीलता पर निर्भर करेगा। 
  • पश्चिमी शक्तियों की भूमिका: 
    • पश्चिमी शक्तियाँ भी इस मामले में हस्तक्षेप का प्रयास कर सकती हैं, विशेष रूप से यदि उन्हें लगे कि इससे भारत और पाकिस्तान के बीच जल युद्ध या इससे भी खतरनाक स्थिति का निर्माण हो सकता है। 

भारत-पाकिस्तान संबंधों में विद्यमान अन्य चुनौतियाँ  

  • सीमा-पार आतंकवाद: 
    • भारत पाकिस्तान पर भारत में सीमा-पार आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाता रहा है जबकि पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा है। 
    • सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा पाकिस्तान और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है तथा इस भूभाग में एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती का निर्माण करता है। 
  • कश्मीर का मुद्दा: 
    • कश्मीर का मुद्दा दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष को संदर्भित करता है, जहाँ दोनों देश कश्मीर के कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते हैं लेकिन इसके संपूर्ण भूभाग पर अपना दावा करते हैं। 
    • इस संघर्ष की जड़ें वर्ष 1947 के भारत विभाजन से जुड़ी हुई हैं और तब से दोनों देशों के बीच कई युद्ध और झड़पें हो चुकी हैं। 
  • राजनयिक संबंध: 
    • दोनों देशों के बीच सीमित राजनयिक संबंध रहे हैं, जहाँ समय-समय पर संबंधों को सुधारने के प्रयास किये गए हैं जो प्रायः विफलता का शिकार हुए हैं। 
    • वर्ष 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्धों सहित राजनीतिक तनावों एवं संघर्षों का एक लंबा इतिहास रहा है। 
  • सैन्य तनातनी: 
    • दोनों देश सीमाओं पर उल्लेखनीय सैन्य उपस्थिति रखते हैं जिससे तनाव और संघर्ष की संभावना बनी रहती है।

आगे की राह  

  • संयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता: 
    • साझा जल संसाधनों के समान एवं सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये देशों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है। 
    • संयुक्त प्रबंधन जल के उपयोग के लाभों एवं उत्तरदायित्वों को साझा करने के साथ-साथ उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती को दूर करने के लिये एक रूपरेखा स्थापित कर संघर्षों को रोकने और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। 
  • जल के उपयोग में अधिक लचीलापन: 
    • IWT के तहत जल के उपयोग में अधिक लचीलेपन की मांग की गई है। 
    • इसमें एक नदी बेसिन से दूसरे में जल के हस्तांतरण की अनुमति देना, भंडारण क्षमता में वृद्धि करना और जलविद्युत उत्पादन जैसे गैर-उपभोगात्मक उद्देश्यों के लिये जल का उपयोग करना शामिल हो सकता है। 
      • हालाँकि इस संधि में किसी भी बदलाव के लिये भारत और पाकिस्तान दोनों की सहमति की आवश्यकता होगी। 
  • प्रबंधन में बेसिन-आधारित दृष्टिकोण को अपनाना: 
    • सिंधु जल संधि के प्रबंधन में एक बेसिन-आधारित दृष्टिकोण (Basin-Wise Approach) को अपनाने में व्यक्तिगत परियोजनाओं या नदियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सिंधु बेसिन के जल संसाधनों को समग्र रूप से प्रबंधित करना शामिल होगा। 
    • यह दृष्टिकोण सिंधु बेसिन के विभिन्न घटकों की परस्पर संबद्धता पर बल देता है और भारत एवं पाकिस्तान दोनों के लाभ के लिये जल के उपयोग एवं प्रबंधन का अनुकूलन करना चाहता है। 
    • सिंधु जल संधि के प्रबंधन में बेसिन-आधारित दृष्टिकोण अपनाने से दोनों देशों के लिये जल सुरक्षा में सुधार, आर्थिक लाभ में वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता में वृद्धि की स्थिति का निर्माण हो सकता है। 

अभ्यास प्रश्न: भारत-पाकिस्तान संघर्ष को हल करने में जल कूटनीति क्या भूमिका निभा सकती है और दोनों देशों के बीच प्रभावी जल बँटवारे को सुनिश्चित करने के लिये कौन-से उपाय किये जाने चाहिये? 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. सिंधु नदी प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित चार नदियों में से तीन उनमें से एक में मिलती हैं, जो अंततः सीधे सिंधु में मिलती हैं। निम्नलिखित में से कौन-सी ऐसी नदी है जो सीधे सिंधु से मिलती है?

(a) चिनाब

(b) झेलम
(c) रावी
(d) सतलज

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • झेलम पाकिस्तान में झांग के पास चिनाब में मिलती है।
  • रावी सराय सिद्धू के निकट चिनाब में मिल जाती है।
  • सतलज पाकिस्तान में चिनाब में मिलती है। इस प्रकार सतलज को रावी, चिनाब और झेलम नदियों की सामूहिक जल निकासी प्राप्त होती है। यह मिथनकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी से मिलती है।
  • अतः विकल्प (d) सही है।

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)

 हिमनद                              नदी

  1. बंदरपूंछ :                        यमुना
  2.  बड़ा शिगरी :                    चिनाब
  3.  मिलम :                         मंदाकिनी
  4.  सियाचिन :                       नुब्रा
  5.  ज़ेमू :                            मानस

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से युग्म सही सुमेलित हैं?

(a) 1, 2 और 4 
(b) 1, 3 और 4
(c) 2 और 5 
(d) 3 और 5

उत्तर: (a)


प्रश्न. सिंधु जल संधि का लेखा-जोखा प्रस्तुत कीजिये और बदलते द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में इसके पारिस्थितिक, आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थों की जाँच कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016)