AI-संचालित स्वास्थ्य सुधार के मार्ग | 17 Oct 2025
यह एडिटोरियल 14/10/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “Build AI infrastructure to turn daily clinical data into a learning system” पर आधारित है। यह लेख इस बात पर प्रकाश डालता है कि स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी क्षमता केवल एल्गोरिथम की जटिलता पर नहीं, बल्कि डेटा और फीडबैक प्रणालियों पर संस्थागत नियंत्रण पर निर्भर करती है, जहाँ निरंतर चिकित्सक-नेतृत्व वाली शिक्षा अनुकूलनशील एवं विश्वसनीय परिणाम सुनिश्चित करती है।
प्रिलिम्स के लिये: स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सटीक चिकित्सा, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, IndiaAI मिशन, AIKosh (डेटासेट प्लेटफॉर्म), टेली मानस, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
मेन्स के लिये: स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रमुख अनुप्रयोग, स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े प्रमुख मुद्दे।
स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का रूपांतरणकारी सामर्थ्य केवल उसके एल्गोरीदमिक परिष्कार पर निर्भर नहीं करता, बल्कि डेटा अवसंरचना पर संस्थागत नियंत्रण तथा सतत् शिक्षण प्रणालियों के विकास पर भी आधारित है। वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाओं में प्रयुक्त AI मॉडल प्रायः बाह्य रूप से प्रशिक्षित होते हैं, जिनमें वास्तविक काल में सुधार और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलन के लिये आवश्यक प्रतिपुष्टि तंत्र (Feedback Mechanisms) का अभाव रहता है। इसके परिणामस्वरूप नैदानिक यथार्थ एवं प्रणाली के प्रदर्शन के बीच एक गंभीर अंतर उभर आता है।
स्वास्थ्य सेवा में AI की वास्तविक प्रभावशीलता का मार्ग उन स्वदेशी प्रतिपुष्टि चक्रों (Proprietary Feedback loops) के निर्माण में निहित है, जिनमें चिकित्सकीय विशेषज्ञता प्रत्यक्ष रूप से एल्गोरिदम के परिष्कार में योगदान दे। इस प्रकार, स्थिर समाधानों के स्थान पर निरंतर परिष्कृत होती प्रणालियों के माध्यम से गुणात्मक सुधार सुनिश्चित किये जा सकते हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में AI के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?
- उन्नत चिकित्सा इमेजिंग एवं निदान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): AI एल्गोरिदम, विशेष रूप से डीप लर्निंग मॉडल, चिकित्सीय छवियों का मानव आँख की अपेक्षा अधिक तीव्रता और सटीकता से विश्लेषण कर निदान प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं, जो रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों की कमी वाले देश के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- इससे कैंसर, डायबिटिक रेटिनोपैथी और हृदय संबंधी विकारों जैसी बीमारियों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है, जिससे प्रारंभिक हस्तक्षेप के माध्यम से रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होता है।
- उदाहरण के लिये, भारतीय स्टार्टअप Qure.ai का qXR सिस्टम छाती के एक्स-रे का तीव्र विश्लेषण कर क्षयरोग (TB) जैसी असामान्यताओं का पता लगाता है।
- भारत में चिकित्सीय निदान में AI बाज़ार के वर्ष 2025 से 2034 के तक 12.72% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है, जो इस प्रवृत्ति के तीव्र प्रसार और विशाल बाज़ार संभावनाओं को रेखांकित करता है।
- उदाहरण के लिये, भारतीय स्टार्टअप Qure.ai का qXR सिस्टम छाती के एक्स-रे का तीव्र विश्लेषण कर क्षयरोग (TB) जैसी असामान्यताओं का पता लगाता है।
- AI-संचालित औषधि अन्वेषण और अनुसंधान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आणविक अंतःक्रियाओं का अनुकरण करने, औषधि-लक्ष्य बंधन की भविष्यवाणी करने तथा नैदानिक परीक्षणों के डिज़ाइन को अनुकूलित करने के माध्यम से औषधि अन्वेषण और अनुसंधान की दीर्घ एवं महंगी प्रक्रिया को तीव्र और जोखिम-मुक्त बनाने में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकर्त्ता के रूप में उभर रही है।
- यह परिवर्तन भारत के औषधि उद्योग के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जो इसे जेनेरिक-केंद्रित मॉडल से नवीन औषधि नवोन्मेष और बायोसिमिलर विकास की ओर ले जाएगा।
- हैदराबाद स्थित एक्सेलरा कंपनी AI/ML तथा स्वामित्व डेटा का उपयोग कर वैश्विक ग्राहकों के लिये औषधि अन्वेषण की प्रक्रिया को तीव्र करती है।
- भारत के फार्मा क्षेत्र द्वारा प्रस्तुत किये गये पेटेंटों की संख्या वर्ष 2013 में 1,590 से बढ़कर वर्ष 2023 में 8,793 हो गई है, जो नई डिजिटल प्रौद्योगिकियों एवं रणनीतिक सहयोग से प्रेरित अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षमताओं में हो रहे विस्तार को दर्शाती है।
- व्यक्तिगत चिकित्सा और जीनोमिक्स एकीकरण: AI द्वारा सक्षम सटीक चिकित्सा (Precision Medicine) स्वास्थ्य देखभाल को “सभी के लिये एक समान” दृष्टिकोण से आगे बढ़ाकर रोगी के आनुवंशिक, व्यवहारिक, पर्यावरणीय, और नैदानिक डेटा को एकीकृत कर उपचार प्रोटोकॉल को अनुकूलित करता है, विशेषकर कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के लिये।
- यह संदर्भ-संज्ञानात्मक (Context-Aware) वैयक्तिकरण भारत की विविध और सामाजिक-आर्थिक रूप से भिन्न जनसंख्या के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जहाँ पर्यावरणीय कारक अक्सर आनुवंशिकी से अधिक प्रभावशाली होते हैं।
- उदाहरण के लिये, बंगलूरू स्थित ऑन्कोस्टेम डायग्नोस्टिक्स व्यक्तिगत स्तन कैंसर चिकित्सा और पुनरावृत्ति की भविष्यवाणी हेतु जीनोमिक्स-आधारित डेटा पर AI का उपयोग करता है।
- भारत में व्यवहारिक और सामाजिक-आर्थिक निर्धारकों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है तथा अनुमान है कि AI-संचालित व्यक्तिगत चिकित्सा बाज़ार वर्ष 2027 तक वैश्विक स्तर पर 500 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो विशाल स्थानीय संभावनाओं को रेखांकित करता है।.
- उदाहरण के लिये, बंगलूरू स्थित ऑन्कोस्टेम डायग्नोस्टिक्स व्यक्तिगत स्तन कैंसर चिकित्सा और पुनरावृत्ति की भविष्यवाणी हेतु जीनोमिक्स-आधारित डेटा पर AI का उपयोग करता है।
- प्रशासनिक और परिचालन कार्यप्रवाह का स्वचालन: AI-संचालित समाधान अस्पतालों के गैर-नैदानिक प्रशासनिक बोझ को सुव्यवस्थित करते हैं, जिसमें प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) के माध्यम से रोगी अनुसूची, बिलिंग, दावा प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) प्रबंधन शामिल है।
- यह परिचालन अनुकूलन अस्पताल की नकदी प्रवाह सुधारने, त्रुटियों को कम करने और चिकित्सीय कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रोगी देखभाल में अधिक समय देने के लिये आवश्यक है।
- उदाहरण के लिये, Eka.care का AI मेडिकल स्क्राइब, Eka Scribe, डॉक्टर-रोगी संवाद को वास्तविक समय में संरचित प्रिस्क्रिप्शन में परिवर्तित करता है।
- टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र का विस्तार: AI उन्नत टेलीमेडिसिन और दूरस्थ रोगी निगरानी (RPM) प्लेटफार्मों के लिये आधार के रूप में कार्य करता है, जो पूर्वानुमान विश्लेषण और संवादात्मक AI (चैटबॉट्स) का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराता है।
- यह बिना किसी भौतिक यात्रा की आवश्यकता के, प्राथमिकता निर्धारण, आभासी सहायता और विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिये ट्रिकॉग हेल्थ का AI प्लेटफॉर्म, InstaECG, वास्तविक समय में ECG व्याख्या प्रदान करता है, जिससे हृदय रोग विशेषज्ञों के बिना दूरदराज़ के क्लीनिकों में भी हृदयाघात का तत्काल निदान संभव हो जाता है।
- केंद्र सरकार ने IndiaAI मिशन के लिये 10,372 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं, जो विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में एप्लिकेशन विकास को लक्षित करते हैं तथा व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य पहुँच के लिये सरकारी प्रयासों को रेखांकित करते हैं।
- उदाहरण के लिये ट्रिकॉग हेल्थ का AI प्लेटफॉर्म, InstaECG, वास्तविक समय में ECG व्याख्या प्रदान करता है, जिससे हृदय रोग विशेषज्ञों के बिना दूरदराज़ के क्लीनिकों में भी हृदयाघात का तत्काल निदान संभव हो जाता है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी हेतु पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण: AI की पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण क्षमताएँ सक्रिय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, जो महामारी विज्ञान डेटा, सोशल मीडिया प्रिवृत्तियों और पर्यावरणीय कारकों का विश्लेषण करके रोग के प्रकोप, अस्पताल में भर्ती और संसाधन आवश्यकताओं (जैसे, वेंटिलेटर और बिस्तर आवंटन) का पूर्वानुमान लगाती हैं।
- इससे शीघ्र हस्तक्षेप और लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान संभव हो पाते हैं।
- गैर-संचारी रोगों की भविष्यवाणी हेतु AI-आधारित जोखिम मॉडलिंग का उपयोग तीव्रता से बढ़ रहा है। उदाहरण के लिये, नीति आयोग एक पायलट परियोजना के रूप में डायबिटिक रेटिनोपैथी का शीघ्र पता लगाने वाली तकनीक को लागू करने हेतु माइक्रोसॉफ्ट और फोरस हेल्थ के साथ सहयोग कर रहा है।
- बढ़ते AIKosh (डेटासेट प्लेटफॉर्म) में AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिये 3,000 से अधिक डेटासेट उपलब्ध हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य पूर्वानुमान विश्लेषण के लिये एक आधारभूत डेटा पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता में AI: AI-संचालित संवादात्मक एजेंट (चैटबॉट) एवं AI-सक्षम टेलीसाइकियाट्री प्लेटफॉर्म 24/7, नाम रहित और सुलभ प्रारंभिक जाँच, भावनात्मक समर्थन तथा संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) तकनीकों की पेशकश करके मानसिक स्वास्थ्य सहायता का लोकतंत्रीकरण कर रहे हैं।
- भारत में मनोचिकित्सकों के प्रति अत्यधिक नकारात्मक धारणाएँ तथा अत्यंत कम मनोचिकित्सक-रोगी अनुपात को देखते हुए यह आवश्यक है।
- उन्नत टेली मानस ऐप (भारत का राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम) विस्तारित आभासी सहायता का एक उदाहरण है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में AI से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और स्वास्थ्य समानता संबंधी चिंताएँ: शहरी, सुप्रलेखित या पश्चिमी आबादी से प्राप्त गैर-प्रतिनिधित्व डेटा पर प्रशिक्षित AI मॉडल, प्रायः मौजूदा स्वास्थ्य असमानताओं को अपनाते और बढ़ाते हैं, जिससे वंचित समूहों के लिये व्यवस्थित रूप से गलत निदान होता है।
- निष्पक्षता की यह कमी सीधे तौर पर कमज़ोर आबादी को प्रभावित करती है तथा समावेशी स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य को विफल कर देती है।
- डेटा प्राइवेसी, सुरक्षा और सहमति: AI प्रणालियों को प्रशिक्षित और संचालित करने के लिये संवेदनशील व्यक्तिगत स्वास्थ्य डेटा की आवश्यकता गोपनीयता के उल्लंघन, अनधिकृत प्रोफाइलिंग और रोगी के विश्वास की हानि जैसे गंभीर जोखिम उत्पन्न करती है, विशेष रूप से तेज़ी से विस्तार करती डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में।
- सशक्त, गतिशील सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं लेकिन ये प्रायः महंगे होते हैं।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, फिर भी AI-विशिष्ट कानून का अभी भी अभाव है।
- डेटा मानकीकरण और अंतर-संचालनीयता का अभाव: भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र डेटा अत्यधिक अव्यवस्थित है, जो अनेक अस्पतालों, क्लीनिकों और प्रयोगशालाओं में असमान, गैर-संचारी "साइलो" में मौजूद है, जो अक्सर गैर-मानकीकृत प्रारूपों या कागज़ी रिकॉर्ड के रूप में होता है।
- अंतर-संचालनीयता की यह कमी, AI सिस्टम को संपन्न और एकीकृत डेटा से वंचित करती है, जो सशक्त प्रशिक्षण और वास्तविक समय नैदानिक कार्यान्वयन के लिये आवश्यक है।
- यद्यपि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देता है, फिर भी HL7/FHIR जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाना अभी भी कम है, विशेषकर पुराने सिस्टम में।
- चिकित्सक अक्सर कागज़ी फाइलों और डिजिटल रिपोर्टों को मैन्युअल रूप से संभालते हैं, जो एक प्रमुख बाधा है, जिसे AI तब तक दूर नहीं कर सकता जब तक कि डेटा प्रवाह निर्बाध न हो।
- विनियामक और जवाबदेही अस्पष्टता: AI मॉडलों की गतिशील, स्व-शिक्षण प्रकृति, चिकित्सा उपकरणों के लिये पारंपरिक, स्थिर विनियामक ढाँचे को चुनौती देती है, जिससे एक ‘ब्लैक बॉक्स’ समस्या उत्पन्न होती है, जहाँ निर्णय लेने का तर्क अपारदर्शी होता है।
- स्पष्ट कानूनी और नैदानिक जवाबदेही का अभाव व्यापक नैदानिक अपनाने में एक बड़ी बाधा है।
- डेटा की गुणवत्ता, गलत सूचना, नैदानिक सुरक्षा और नैतिक या विनियामक जोखिमों को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं ।
- हाल ही में एक व्यक्ति को ChatGPT द्वारा दी गई आहार संबंधी सलाह के पालन के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जो असत्यापित AI-संचालित चिकित्सा मार्गदर्शन के खतरों को उजागर करता है।
- चिकित्सा उपकरण नियम, 2017, सॉफ्टवेयर ऐज़ ए मेडिकल डिवाइस (SaMD) में AI/ML के विशिष्ट पहलुओं को पूरी तरह संबोधित नहीं करते।
- उच्च कार्यान्वयन लागत और कौशल अंतराल: उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (GPU), विशेष इंजीनियरिंग प्रतिभा और पुराने अस्पताल IT प्रणालियों के साथ एकीकरण में प्रारंभिक निवेश कई स्वास्थ्य क्षेत्र प्रदाताओं के लिये अत्यधिक महंगा है, विशेष रूप से संसाधन रहित टियर 2/3 शहरों और ग्रामीण केंद्रों में।
- इंडियाAI मिशन रियायती दरों (65 रुपये प्रति घंटा) पर उच्च-स्तरीय GPU उपलब्ध कराकर इस समस्या का समाधान कर रहा है, फिर भी अधिकांश भारतीय कंपनियाँ अभी भी राजस्व का केवल 2% ही प्रौद्योगिकी के लिये आवंटित करती हैं।
- निदान में AI को लागू करने की लागत 40,000 से 1,000,000 डॉलर के बीच हो सकती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डेटा की कमी और गुणवत्ता: प्रमुख शहरी केंद्रों में डेटा की मात्रा बहुत अधिक है, वहीं ग्रामीण और छोटे शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले, एनोटेटेड नैदानिक डेटा की अत्यधिक कमी है।
- इस कमी के कारण भारत के अधिकांश हिस्सों की विशिष्ट महामारी विज्ञान और तार्किक चुनौतियों के अनुरूप प्रभावी AI मॉडल को प्रशिक्षित करना लगभग असंभव हो जाता है।
- उदाहरण के लिये, विशाल मात्रा में डेटा उत्पन्न होने के बावजूद, अनुमान है कि संगणकीय अवसंरचना और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी के कारण केवल 1% एकत्र डेटा वर्तमान में विश्लेषित किया जा रहा है।
- नीति आयोग ने सक्षम डेटा पारिस्थितिकी तंत्र की अनुपस्थिति को भी एक बड़ी बाधा बताया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में AI के नैतिक उपयोग हेतु ICMR दिशानिर्देश:
- मार्च 2023 में, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने “जैवचिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग हेतु नैतिक दिशानिर्देश” जारी किये, जिसमें रोगी कल्याण और उत्तरदायी नवोन्मेष पर केंद्रित दस मूलभूत नैतिक सिद्धांत स्थापित किये गए।
दस मार्गदर्शक सिद्धांत:
- जवाबदेही और उत्तरदायित्व: AI के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये नियमित ऑडिट आयोजित करना तथा पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये परिणामों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना।
- स्वायत्तता: सभी AI-सहायता प्राप्त निर्णयों में मानवीय निगरानी बनाए रखें और रोगियों से सूचित सहमति प्राप्त करना तथा संभावित जोखिमों एवं सीमाओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देना।
डेटा प्राइवेसी: AI विकास और परिनियोजन के प्रत्येक चरण में रोगी की गोपनीयता एवं व्यक्तिगत डेटा अखंडता की सुरक्षा करना। - सहयोग: स्वास्थ्य सेवा में AI प्रौद्योगिकियों की नैतिक और प्रभावी उन्नति को बढ़ावा देने के लिये अंतर-विषयक और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षा और जोखिम न्यूनीकरण: दुरुपयोग को रोकने के लिये उपायों को लागू करना, डेटा सुरक्षा को प्रभावी करना तथा लागू करने से पहले संबंधित समितियों द्वारा नैतिक समीक्षा को अनिवार्य बनाना।
- सुगम्यता, समानता और समावेशिता: डिजिटल विभाजन के कारण उत्पन्न असमानताओं को दूर करते हुए AI-संचालित स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
- डेटा अनुकूलन: AI प्रणालियों में एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रहों और तकनीकी अशुद्धियों को न्यूनतम करने के लिये डेटा की गुणवत्ता एवं प्रतिनिधित्व में सुधार करना।
- गैर-भेदभाव और निष्पक्षता: यह सुनिश्चित करना कि AI उपकरण बिना किसी पूर्वाग्रह के डिज़ाइन और लागू हों तथा सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये समान पहुँच उपलब्ध हो।
- विश्वसनीयता: सत्यापन, विश्वसनीयता, नैतिक अनुपालन और कानूनी मानकों के पालन के माध्यम से AI प्रणालियों में विश्वास स्थापित करना।
- पारदर्शिता: कार्यप्रणाली, डेटा स्रोतों व प्रदर्शन मेट्रिक्स में खुलापन सुनिश्चित करके चिकित्सकों और शोधकर्त्ताओं को AI की वैधता एवं विश्वसनीयता का आकलन करने में सक्षम बनाना।
स्वास्थ्य क्षेत्र में AI के एकीकरण को सुदृढ़ करने हेतु भारत क्या उपाय अपना सकता है?
- अर्थगत डेटा अंतर-संचालनीयता का अधिदेशन: स्वास्थ्य क्षेत्र के डेटा के लिये एक राष्ट्रीय तकनीकी मानक स्थापित करना आवश्यक है, जो आधारभूत और संरचनात्मक डेटा विनिमय से आगे जाकर अर्थगत अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित करे।
- इसके तहत सभी सार्वजनिक और निजी इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHRs), जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) से जुड़े हैं, में क्लिनिकल शब्दावली हेतु SNOMED CT और प्रयोगशाला परिणाम हेतु LOINC का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिये।
- यह एकसमान डेटा भाषा विविध अस्पताल प्रणालियों में सामान्यीकृत एवं सशक्त AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिये अपरिहार्य है।
- फेडरेटेड लर्निंग आर्किटेक्चर लागू करना: डेटा प्राइवेसी संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए, साथ ही यह सुनिश्चित करते हुए कि AI मॉडल्स की विविध डेटासेट तक एक्सेस हो, भारत को फेडरेटेड लर्निंग की ओर रुख करना चाहिये।
- यह आर्किटेक्चर AI मॉडल्स को अलग-अलग अस्पताल डेटा पर स्थानीय रूप से प्रशिक्षित करने की अनुमति देता है, बिना डेटा को परिसर से बाहर जाए केवल मॉडल पैरामीटर्स का आदान-प्रदान किया जाता है।
- यह निजता-संरक्षण ML दृष्टिकोण डेटा सुरक्षा बनाए रखता है, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP अधिनियम) का पालन करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि मॉडल्स भारतीय रोगी विविधता के पूर्ण स्पेक्ट्रम के संपर्क में हों।
- साथ ही, स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल सूचना सुरक्षा अधिनियम (DISHA) एक प्रस्तावित भारतीय कानून है जिसका उद्देश्य डिजिटल स्वास्थ्य डेटा के संग्रह, भंडारण और उपयोग को विनियमित करना है।
- नियामक सैंडबॉक्स स्थापित करना: ICMR या CDSCO के तहत नियामक सैंडबॉक्स बनाया जाना चाहिये जहाँ उच्च-जोखिम वाले AI चिकित्सा उपकरणों का वास्तविक दुनिया के नैदानिक वातावरण में मानवीय निगरानी में एक निश्चित अवधि के लिये परीक्षण किया जा सके, उसके बाद उन्हें पूर्ण बाज़ार अनुमोदन प्रदान किया जा सके।
- यह अनुकूली शासन दृष्टिकोण नियामकों को समय के साथ AI के वास्तविक काल के प्रदर्शन और परिवर्तन को समझने में सक्षम बनाता है, जिससे वे सॉफ्टवेयर के लिये पारंपरिक, स्थिर नियामक जाँचों से आगे बढ़ सकते हैं तथा चिकित्सकों के बीच गतिशील विश्वास का निर्माण कर सकते हैं।
- समावेशी और सिंथेटिक डेटासेट तैयार करना: AI प्रशिक्षण के लिये विविध राष्ट्रीय डेटासेट को सक्रिय रूप से तैयार और एनोटेट किया जाना चाहिये, विशेष रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले ग्रामीण, सामाजिक-आर्थिक एवं क्षेत्रीय रोग पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करके एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह को कम करें।
- साथ ही, सरकारी और शैक्षणिक निकायों को उच्च-निष्ठा सिंथेटिक डेटा बनाने के लिये जनरेटिव एडवर्सेरियल नेटवर्क (GAN) में निवेश करना चाहिये जो दुर्लभ स्थितियों या कम प्रतिनिधित्व वाले रोगी जनसांख्यिकी के लिये डेटा की कमी को बढ़ाता है, जिससे AI-संचालित निदान में निष्पक्षता एवं समानता सुनिश्चित होती है।
- नैदानिक AI साक्षरता अधिदेश: स्नातक चिकित्सा (MBBS), नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के साथ-साथ अभ्यासरत चिकित्सकों के लिये अनिवार्य सतत् चिकित्सा शिक्षा (CME) में अनिवार्य AI साक्षरता एवं महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन मॉड्यूल को एकीकृत किया जाना चाहिये।
- एल्गोरिदम संबंधी पारदर्शिता, मॉडल की सीमाओं को समझने और खतरनाक स्वचालन पूर्वाग्रह को रोकने के लिये विश्वास का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मानव चिकित्सक ही उत्तरदायित्व का अंतिम बिंदु बना रहे।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर AI सह-निर्माण को प्रोत्साहित करना: लक्षित सार्वजनिक वित्त पोषण कार्यक्रम और हैकथॉन शुरू किया जाना चाहिये, संभवतः IndiaAI ऐप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव के माध्यम से, जो तकनीकी स्टार्टअप्स एवं कम सेवा वाले क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) के बीच साझेदारी को अनिवार्य बनाते हैं।
- इन कार्यक्रमों को ASHA और ANM कार्यकर्त्ताओं जैसे अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ AI समाधानों का सह-निर्माण करना चाहिये, यह सुनिश्चित करते हुए कि तकनीक प्रासंगिक हो, स्थानीय भाषा में सक्षम हो तथा ट्राइएज व रिमोट स्क्रीनिंग जैसी वास्तविक अंतिम-बिंदु चुनौतियों का समाधान करे।
- एक व्याख्यात्मक AI (XAI) मानक स्थापित करना: एक राष्ट्रीय मानक विकसित किया जाना चाहिये, जिसके लिये सभी चिकित्सकीय रूप से तैनात AI समाधानों को अपने आउटपुट के लिये स्पष्ट, समझने योग्य औचित्य प्रदान करने की आवश्यकता हो, जो अपारदर्शी 'ब्लैक बॉक्स' मॉडल से परे हो।
- इस XAI मानक का चिकित्सकों द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिये, जिसमें उन विशेषताओं और डेटा बिंदुओं का विवरण दिया जाना चाहिये जिन्होंने निदान या उपचार की सिफारिश में सबसे अधिक योगदान दिया, जिससे चिकित्सकों का विश्वास बढ़े तथा नैदानिक एवं कानूनी संदर्भ में AI के तर्क को उचित ठहराया जा सके।
निष्कर्ष:
स्वास्थ्य सेवा में AI का वादा केवल तकनीकी परिष्कार पर ही नहीं, बल्कि भारत के स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर नैतिक, समावेशी और अंतःक्रियाशील एकीकरण पर भी टिका है। डेटा इंटरऑपरेबिलिटी, क्लिनिकल फीडबैक लूप और पारदर्शिता को प्राथमिकता देकर, भारत AI को एक नैदानिक उपकरण से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समकारी में बदल सकता है। उत्तरदायित्व और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी विनियमन एवं मानवीय निगरानी केंद्रीय होनी चाहिये। उत्प्रेरक के रूप में IndiaAI मिशन के साथ, देश सभी के लिये सटीक स्वास्थ्य सेवा का लोकतंत्रीकरण करने की दिशा में अग्रसर है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में भारत में स्वास्थ्य सेवा को अधिक न्यायसंगत और कुशल बनाने की क्षमता है, फिर भी यह नैतिकता, उत्तरदायित्व एवं समावेशन से संबंधित गंभीर चिंताएँ भी उत्पन्न करती है। विवेचना कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
- औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना
- सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
- रोगों का निदान
- टेक्स्ट से स्पीच (Text- to- Speech) में परिवर्तन
- विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर : (d)
मेन्स
प्रश्न 1. निषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं, जिनका रोबोटों के द्वारा धारणीय रूप से प्रबंधन किया जा सकता है? ऐसी पहलों पर चर्चा कीजिये, जो प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में मौलिक और लाभप्रद नवाचार के लिये अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें। (2015)