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भारत : एक प्रौद्योगिकीय अग्रणी के रूप में | 21 Dec 2021 | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

यह एडिटोरियल 20/12/2021 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित ‘‘Can India Become A Technology Leader’’ लेख पर आधारित है। इसमें यह भारत के प्रौद्योगिकीय विकास से संबद्ध चुनौतियों और इनसे निपटने के लिये आवश्यक उपायों के संबंध में चर्चा की गई है।

जब भी कोई प्रौद्योगिकीय दिग्गज कंपनी भारत में जन्मे प्रौद्योगिकीय विशेषज्ञ को अपना प्रमुख चुनती है तो निश्चित रूप से देश में गर्व की एक भावना का संचार होता है, लेकिन साथ ही कुछ निराशा भी जन्म लेती है।

विश्वभर में भारत से संबद्ध प्रसिद्ध प्रौद्योगिकीविदों की उपस्थिति के बावजूद भारत अभी भी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी नहीं बन सका है। इस विफलता के लिये निम्न सार्वजनिक व्यय, उच्च आयात औरब्रेन ड्रेनजैसे कारकों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

भारत की प्रौद्योगिकी क्रांति के लिये अमेरिका और जापान जैसे वैश्विक प्रौद्योगिकीय नेतृत्वकर्त्ता देशों के साथ भारत के उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों का लाभ उठाया जाना चाहिये। इसके अलावा, भारत को प्रौद्योगिकी के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में से एक में स्थापित करने हेतु अनुसंधान एवं विकास और तृतीयक शिक्षा क्षेत्र में अधिकाधिक सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता है।

वैश्विक प्रौद्योगिकीय नेतृत्वकर्ता बनने में सरकार की भूमिका

भारत और प्रौद्योगिकी की दुनिया

आगे की राह

निष्कर्ष

भारत में वैश्विक प्रौद्योगिकी सीढ़ी के ऊपरी सोपानों पर अपना स्थान बना सकने की क्षमता है। आवश्यकता इस बात की है कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आर्थिक विकास में उनके संभावित दीर्घकालिक योगदान, उनके द्वारा सृजित प्रौद्योगिकियों और उनके द्वारा सृजित की जा सकने वाली रणनीतिक एवं ज्ञान आस्तियों के लिये पर्याप्त महत्त्व दिया जाए।

अभ्यास प्रश्न: भारत की प्रौद्योगिकीय प्रगति के मार्ग में कौन-सी बाधाएँ मौजूद हैं और इन बाधाओं को दूर करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?