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भारत निर्वाचन आयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करना | 15 Jan 2022 | भारतीय राजनीति

यह एडिटोरियल 13/01/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Act Now, Recast The Selection Process Of The ECs” लेख पर आधारित है। इसमें भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के सदस्यों की नियुक्ति से संबद्ध मुद्दों की चर्चा की गई है।

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) एक संवैधानिक निकाय है जिसकी परिकल्पना भारतीय संविधान में निहित समता, न्याय, निष्पक्षता, स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखने और चुनावी शासन के अधीक्षण, निदेशन एवं नियंत्रण के संबंध में विधि के शासन का पालन कराने वाले निकाय के रूप में की गई है।    

इसकी स्थापना विश्वसनीयता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, अखंडता, जवाबदेहिता, स्वायत्तता और पेशेवर दक्षता के उच्चतम मानकों का पालन करते हुए चुनाव आयोजित कराने के लिये की गई थी।  

हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में ECI को चुनावी शासन में इसकी स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता और इसके सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में कई आरोपों का सामना करना पड़ा है।

ऐसा प्रतीत होता है कि ECI के बेहतर कार्यकरण के लिये इसके सदस्यों की नियुक्ति में एक अधिक पारदर्शी एवं स्वतंत्र तरीका अपनाए जाने की आवश्यकता है जो कार्यपालिका की किसी प्रभावी भागीदारीपूर्ण भूमिका से भी मुक्त हो।  

भारत निर्वाचन आयोग के सदस्य

संबद्ध समस्याएँ

आगे की राह

निष्कर्ष

ECI के संवैधानिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिये एक निष्पक्ष एवं पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया की आवश्यकता है जो निंदा से परे हो और यही भारतीय राजनीति के इस महत्त्वपूर्ण स्तंभ में लोगों के भरोसे की पुष्टि करेगी। निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर मौजूदा आवरण पर्याप्त रूप से उस ढाँचे को ही कमज़ोर करता है जिस पर भारत की लोकतांत्रिक आकांक्षाएँ टिकी हुई हैं।

अभ्यास प्रश्न: ‘‘निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की वर्तमान प्रणाली में व्याप्त कमियों को दूर करने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपाय किये जाने चाहिये कि नैतिक और सक्षम लोग ही संबंधित पदों पर आसीन हों।’’ टिप्पणी कीजिये।