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व्यापार सुगमता रिपोर्ट: प्रमाणिकता पर प्रश्नचिन्ह | 31 Aug 2020 | भारतीय अर्थव्यवस्था

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में व्यापार सुगमता रिपोर्ट व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

हाल ही में विश्व बैंक ने वार्षिक प्रकाशन व्यापार सुगमता रिपोर्ट (Ease Of Doing Business) के प्रकाशित करने पर रोक लगा दिया है। विश्व बैंक को कुछ देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा में अनियमितता की सूचना प्राप्त हुई थी। विश्व बैंक ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि उनके द्वारा पिछले पाँच वर्षों में व्यापार सुगमता रिपोर्ट के लिये उपलब्ध कराए गए संस्थागत डेटा की व्यवस्थित समीक्षा व मूल्यांकन का निर्णय लिया गया है। ध्यातव्य है कि भारत ने व्यापार को सुगम बनाने के लिये वर्ष 2014 में मेक इन इंडिया (Make in India) पहल की नींव रखी थी।

वैश्विक महामारी COVID-19 के बाद 'भारतीय उद्योग परिसंघ' (Confederation of Indian Industry-CII) ने भारत के व्यापार परिदृश्य को आसान बनाने के लिये प्रमुख क्षेत्रों में आवश्यक उपायों की पहचान की है ताकि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण किया जा सके।

इस आलेख में व्यापार सुगमता सूचकांक, सूचकांक के मानक, भारत की स्थिति, व्यापार सुगमता रिपोर्ट में खामियाँ, चिली व रूस का उदाहरण तथा व्यापार सुगमता बढ़ाने हेतु भारत के प्रयासों पर विमर्श किया जाएगा।      

व्यापार सुगमता सूचकांक से तात्पर्य 

व्यापार सुगमता सूचकांक के मानक

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व्यापार सुगमता सूचकांक के निम्नलिखित मानक हैं-

भारत की वर्तमान स्थिति 

व्यापार सुगमता रिपोर्ट में कमियाँ: भारत के संदर्भ में 

चिली व रूस का उदाहरण

अन्य कमियाँ

व्यापार सुगमता बढ़ाने हेतु भारत के प्रयास

नवीन सुधारों की आवश्यकता 

लॉजिस्टिक सुधारों की आवश्यकता

निष्कर्ष

प्रश्न- व्यापार सुगमता सूचकांक क्या है? हालिया विवाद के संदर्भ में व्यापार सुगमता रिपोर्ट की प्रमाणिकता का मूल्यांकन करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधारों का उल्लेख कीजिये