भागीदारी शिखर सम्‍मेलन 2019

चर्चा में क्यों?


12 एवं 13 जनवरी, 2019 को महाराष्ट्र में भागीदारी शिखर सम्‍मेलन (Partnership Summit) के 25वें संस्‍करण का आयोजन किया गया।

थीम- न्यू इंडिया-राइज़िंग टू ग्लोबल अकेज़न (New India- Rising To Global Occasion)

प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन का आयोजन वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry), भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion), महाराष्‍ट्र सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

CII

  •  उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन के 22वें, 23वें और 24वें सत्र का आयोजन आंध्र प्रदेश में किया गया, जबकि 21वें सत्र का आयोजन वर्ष 2015 में राजस्थान में किया गया था।
  • शिखर सम्‍मेलन के दौरान देश के भीतर और पूरी दुनिया के साथ सक्रिय सहभागिता एवं गठबंधन करने वाले ‘नए भारत’ को दर्शाया गया।

International Participation

सम्मेलन में शामिल विषय


दो दिवसीय शिखर सम्‍मेलन में निर्धारित थीम के अंतर्गत निम्‍नलिखित विषयों को कवर किया गया-

  • ‘नए भारत’ के साथ साझेदारी (Partnering with New India)
  • सुधार एवं विनियमन - निवेश को बढ़ावा देने के लिये रणनीतियाँ (Reforms and De-regulation – Strategies to Boost Investment)
  • बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं का विस्‍तार - विकास के लिये अत्‍यंत ज़रूरी (The Infra Expanse-Super Imperative for Growth The Inclusion Dynamics)
  • समावेशी आयाम – सभी के लिये एक डिजिटल रूपरेखा (The Inclusion Dynamics – A Digital Wireframe for all)

महत्त्वपूर्ण क्षेत्रवार श्रृंखलाएँ


शिखर सम्‍मेलन के दौरान निम्‍नलिखित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रवार श्रृंखलाओं पर भी विचार-विमर्श किया गया-

  • नवाचार (Innovations)
  • इंडिया 4.0; आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), बिग डेटा (India 4.0: AI, Big Data)
  • कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण (Agri and Food Processing)
  • स्‍वास्‍थ्‍य सेवा (Heath Care)
  • पर्यटन एवं आतिथ्‍य (Tourism and Hospitality)
  • रक्षा एवं वैमानिकी (Defence and Aeronautics)
  • नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)

पृष्ठभूमि

  • भागीदारी शिखर सम्मेलन आर्थिक नीति के साथ-साथ भारत में विकास के रुझान पर भारतीय और अंतर्राष्‍ट्रीय हस्तियों के बीच संवाद, चर्चाओं, विचार-विमर्श और सहभागिता के लिये एक वैश्विक मंच है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग

  • औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • इससे पहले अक्तूबर 1999 में लघु उद्योग तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग (Small Scale Industries & Agro and Rural Industries -SSI&A&RI) और भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यम (Heavy Industries and Public Enterprises- HI&PE) के लिये अलग-अलग मंत्रालयों की स्थापना की गई थी।

कार्य एवं भूमिका

  • विकास की आवश्यकता और राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप औद्योगिक विकास के लिये औद्योगिक नीति और रणनीतियों का निर्माण एवं कार्यान्वयन।
  • सामान्य रूप से औद्योगिक विकास की निगरानी करना और विशेष रूप से सभी औद्योगिक एवं तकनीकी मामलों पर सलाह सहित निर्दिष्ट उद्योगों के प्रदर्शन की निगरानी।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment -FDI) नीति का निर्माण करना और FDI को स्वीकृति देना, प्रोत्साहन देना और सहज बनाना।
  • उद्योग स्तर पर विदेशी प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रोत्साहन देना और इसके लिये नीतिगत मानक तैयार करना।
  • पेटेंट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेतक आदि के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत नीतियों का निर्माण।
  • विकास और विनियमन अधिनियम, 1951 के तहत उद्योगों का प्रशासन।
  • औद्योगिक साझेदारी के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्श संबंधी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का काम करता है।
  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों को नेतृत्व प्रदान करने वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है जो भारत की विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  • 1895 में स्थापित भारत के इस प्रमुख व्यापार संघ के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से SME और MNC सहित लगभग 9000 सदस्य हैं तथा लगभग 265 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उद्योग/निकायों के 300,000 से अधिक उद्यमों की अप्रत्यक्ष सदस्यता है।

स्रोत : पी.आई.बी