विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस 2021 | 23 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस 2021, वाटर एंड क्लाइमेट गठबंधन, जल घोषणा-पत्र, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट, ग्लोबल हाइड्रोमेट्री सपोर्ट फैसिलिटी, सतत् विकास लक्ष्य।

मेन्स के लिये:

जल घोषणा-पत्र: आवश्यकता एवं महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस (World Meteorological Congress) 2021 ने वाटर एंड क्लाइमेट गठबंधन सहित एक जल घोषणा-पत्र (Water Declaration) का समर्थन किया है।

  • इसने जल विज्ञान के लिये एक नई दृष्टि एवं रणनीति और संबंधित कार्य योजना को भी मंज़ूरी दी है।

विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस

  • विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का सर्वोच्च निकाय है। WMO मौसम विज्ञान, परिचालनात्मक जल विज्ञान और संबंधित भूभौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। भारत इसका सदस्य है। स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट नामक वार्षिक रिपोर्ट इसी के द्वारा तैयार की जाती है।

प्रमुख बिंदु

  • चिंताएँ:
    • विश्व स्तर पर केवल 40% देशों में प्रारंभिक बाढ़ और सूखा चेतावनी प्रणाली चालू है।
    • WMO के लगभग 60% सदस्य देशों में हाइड्रोलॉजिकल मॉनिटरिंग क्षमताओं का अभाव है। विश्व स्तर पर तीन अरब से अधिक लोगों के पास अपने जल से संबंधित डेटा के लिये कोई गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली नहीं है।
      • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा जारी अनुमानों के अनुसार, अपने जल संसाधनों (जिसमें नदियाँ, झीलें और भूजल आदि शामिल है) की स्थिति के बारे में जानकारी की कमी के कारण दुनिया की लगभग आधी आबादी जोखिम में है।
    • लगभग 107 देशों में जल संसाधन स्थायी रूप से प्रबंधित नहीं हैं।
  • जल घोषणा-पत्र (Water Declaration):
    • वर्ष 2030 तक बाढ़ और सूखे से संबंधित शीघ्र कार्रवाई करने के लिये प्रारंभिक चेतावनियाँ पृथ्वी पर हर जगह के लोगों को उपलब्ध होंगी।
    • सतत् विकास एजेंडे के तहत विकसित जल और जलवायु कार्रवाई की नीतियों को एकीकृत किया जाएगा ताकि लोगों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके
    • सदस्य इन लक्ष्यों को क्षमता विकास, ज्ञान के आदान-प्रदान और सूचना साझाकरण आदि के लिये साझेदारी के माध्यम से आगे बढ़ाएंगे।
  • वाटर एंड क्लाइमेट गठबंधन (Water and Climate Coalition):
    • गठबंधन को जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल), निम्न तापमंडल (क्रायोस्फीयर), मौसम विज्ञान एवं जलवायविक सूचनाओं के साझाकरण और पहुँच को बढ़ावा देने के लिये बनाया गया है।
    • इसका उद्देश्य भविष्य के जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ जनसांख्यिकीय एवं सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु लचीले जल अनुकूलन को बढ़ावा देना है।
    • साथ ही जल से संबंधित संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG 6 (सभी के लिये जल और स्वच्छता) की प्रगति में तेज़ी लाना भी है।
  • जल विज्ञान कार्य योजना:
    • प्रभाव आधारित पूर्व चेतावनी प्रणाली:
      • बाढ़ प्रबंधन पर संबद्ध कार्यक्रम के माध्यम से सदस्यों द्वारा कार्यान्वित व्यापक एकीकृत बाढ़ प्रबंधन रणनीति के संदर्भ में बाढ़ पूर्वानुमान के लिये प्रभाव आधारित एंड-टू-एंड पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems- EWS) होनी चाहिये।
      • कॉन्ग्रेस ने वैश्विक कवरेज के साथ फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम के भविष्य के विकास और कार्यान्वयन के लिये एक नई स्थिरता रणनीति को मंज़ूरी दी।
    • जल संसाधन और गुणवत्ता मूल्यांकन:
      • पानी के उपयोग एवं आवंटन और खाद्य उत्पादन के समर्थन के लिये एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) की अवधारणा को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिये और उसका पालन किया जाना चाहिये।
    • सूखे के प्रभाव को कम करना:
      • सदस्यों को सूखे की निगरानी, पूर्व चेतावनी, भेद्यता और प्रभाव आकलन, सूखा शमन, तैयारी एवं प्रतिक्रिया उपायों सहित एकीकृत सूखा प्रबंधन प्रणालियों को लागू करके सभी स्तरों पर सूखे के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना चाहिये।
    • खाद्य सुरक्षा:
      • क्षेत्रीय से लेकर स्थानीय तक सभी स्तरों पर सूचित अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के निर्णयों द्वारा खाद्य सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिये।
    • उच्च गुणवत्ता डेटा:
      • ग्लोबल हाइड्रोमेट्री सपोर्ट फैसिलिटी (Global Hydrometry Support Facility- HydroHub) द्वारा उन्नत वैज्ञानिक विश्लेषण के लिये उच्च गुणवत्ता वाले हाइड्रोलॉजिकल और हाइड्रोमेटोरोलॉजिकल डेटा की खोज, उपलब्धता एवं उपयोग में वृद्धि की जानी चाहिये।
    • परिचालन जल विज्ञान का अनुसंधान और अनुप्रयोग: 
      • अनुसंधान और परिचालन जल विज्ञान अनुप्रयोगों के बीच कम अंतर होना चाहिये, परिचालन जल विज्ञान पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की बेहतर समझ का उपयोग करता है।

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स्रोत: डाउन टू अर्थ