महिला सैनिक प्रादेशिक सेना की बटालियनों में शामिल | 19 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
प्रादेशिक सेना महानिदेशालय ने पहली बार महिलाओं को टेरिटोरियल आर्मी (TA) होम एंड हर्थ (H&H) इन्फैंट्री बटालियन में शामिल करने का निर्णय लिया है, जो रक्षा बलों में महिलाओं की भूमिकाओं के विस्तार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी-TA) क्या है?
- परिचय: प्रादेशिक सेना (TA) एक अंशकालिक स्वैच्छिक सैन्य बल है, जो नियमित भारतीय सेना को समर्थन और संवर्द्धन प्रदान करता है।
- यह नागरिक सैनिकों की सेना (भूमि पुत्र) की अवधारणा पर आधारित है और इसके अधिकारियों को बुनियादी सैन्य कौशल पर वार्षिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
- यह प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कार्य करता है तथा प्रशिक्षित नागरिक स्वयंसेवकों को अपना नियमित व्यवसाय जारी रखते हुए वर्दी में सेवा करने की अनुमति प्रदान करता है।
- पृष्ठभूमि: TA की उत्पत्ति वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्थापित किये गए स्वयंसेवी बलों से मानी जाती है।
- वर्ष 1917 के भारतीय रक्षा बल अधिनियम के तहत विश्वविद्यालयों को रक्षा इकाइयाँ गठित करने का अधिकार दिया गया, जिसके तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1918 में कलकत्ता विश्वविद्यालय कोर में शामिल हुये।
- इस बल के दो भाग थे- यूरोपीय सहायक बल और भारतीय शाखा, जो बाद में भारतीय प्रादेशिक बल बन गया।
- बल के दो भाग थे- यूरोपियन ऑक्सिलरी फोर्स और इंडियन ब्रांच — जो बाद में भारतीय प्रादेशिक बल (Indian Territorial Force) बना।
- स्वतंत्रता के बाद प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 पारित किया गया, प्रादेशिक सेना का औपचारिक उद्घाटन 9 अक्तूबर, 1949 को प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल श्री सी राजगोपालाचारी द्वारा किया गया (जिसे अब प्रादेशिक सेना के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है)।
- वर्ष 1917 के भारतीय रक्षा बल अधिनियम के तहत विश्वविद्यालयों को रक्षा इकाइयाँ गठित करने का अधिकार दिया गया, जिसके तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1918 में कलकत्ता विश्वविद्यालय कोर में शामिल हुये।
- विकास: TA की शुरुआत विभिन्न प्रकार की इकाइयों के साथ हुई थी, लेकिन समय के साथ इनमें से अधिकांश का या तो विलय कर दिया गया या उन्हें भंग कर दिया गया।
- अब इसमें इन्फैंट्री बटालियन, जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में होम एंड हर्थ यूनिट्स, इकोलॉजिकल्स बटालियन, नियंत्रण रेखा पर फेंसिंग के लिये इंजीनियर यूनिट्स, रेलवे जैसी विभागीय इकाइयाँ और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिये कॉम्पोज़िट इको टास्क फोर्स शामिल हैं।
- महत्त्व: यह नियमित सेना को स्थैतिक कर्त्तव्यों से मुक्त करता है ताकि पूर्णकालिक सैनिक मुख्य युद्ध कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
- विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में टीए होम एंड हर्थ बटालियनों के माध्यम से उग्रवाद और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता प्रदान करना।
- प्राकृतिक आपदाओं, औद्योगिक अशांति और आवश्यक सेवाओं की बहाली के दौरान सहायता प्रदान करता है।
- TA इको बटालियनों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, वनरोपण और भूमि क्षरण को रोकने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- राष्ट्रीय आपातकाल, युद्ध और बड़े पैमाने पर आंतरिक संघर्ष के दौरान जुटाए जाने में सक्षम एक आरक्षित बल के रूप में कार्य करता है।
- यह नागरिक-सैन्य समन्वय को मज़बूत करता है, क्योंकि इसके सदस्य स्वयं नागरिक होते हैं, जो राष्ट्रीय सेवा में विविध कौशल प्रदान करते हैं।
टेरिटोरियल आर्मी (TA) होम एंड हर्थ (H&H) बटालियनों में महिलाओं को शामिल करने का क्या महत्त्व है?
- प्रादेशिक सेना ने वर्ष 2019 में महिला अधिकारियों को कमीशन देना शुरू किया, जिसके तहत वे इकोलॉजिकल टास्क फोर्स इकाइयों, तेल क्षेत्र से संबंधित TA इकाइयों और रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट में सेवा दे सकती हैं।
- सकारात्मक अनुभवों के बाद सेना ने अब उनकी भूमिकाओं का और विस्तार करने का निर्णय लिया है तथा होम एंड हर्थ बटालियनों में महिला सैनिकों की भर्ती की तैयारी कर रही है, जिससे उन्हें व्यापक संचालनात्मक ज़िम्मेदारियाँ सॅंभालने के अवसर मिलेंगे।
- यह कदम महिलाओं के लिये संचालनात्मक अवसरों को बढ़ाता है, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिये मानव संसाधन को सुदृढ़ करता है तथा भारत की रक्षा सेनाओं में लैंगिक समावेशन को आगे बढ़ाता है।
रक्षा बलों में महिलाएँ
- प्रारंभिक सैन्य भूमिकाएँ: महिलाओं ने सबसे पहले सैन्य नर्सिंग सेवा (1888) के माध्यम से सेना में प्रवेश किया। बाद में वर्ष 1958 में उन्हें इंडियन आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में नियमित कमीशन के साथ डॉक्टरों के रूप में शामिल किया गया।
- गैर-चिकित्सीय प्रवेश: वर्ष 1992 में महिला विशेष प्रवेश योजना (WSES) की शुरुआत हुई, जिसने महिलाओं के लिये नॉन-कॉम्बैट भूमिकाएँ खोलीं। इसके तहत आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स, सिग्नल्स, इंटेलिजेंस और इंजीनियर्स जैसी शाखाओं में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के लिये अवसर मिले।
- सेना अधिनियम, 1950 ने महिलाओं की भूमिकाओं को सीमित रखा और उन्हें केवल अधिसूचित शाखाओं में ही नियुक्ति की अनुमति दी, जैसे—आर्मी पोस्टल सर्विस, जज एडवोकेट जनरल (JAG) विभाग, आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स (AEC), ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और सर्विस कॉर्प्स।
- शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC): वर्ष 2005 में SSC प्रणाली को औपचारिक रूप से लागू किया गया, जिसमें महिला अधिकारियों को 14 वर्षों की सेवा अवधि प्रदान की गई, जिससे उनके सैन्य करियर की संरचना अधिक व्यवस्थित हुई।
- स्थायी कमीशन (पीसी) और न्यायिक हस्तक्षेप: वर्ष 2008 में महिलाओं को सबसे पहले JAG और AEC जैसी सीमित शाखाओं में स्थायी कमीशन (PC) प्रदान किया गया था।
- बबीता पुनिया बनाम भारत सरकार (2020) के ऐतिहासिक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने उन सभी शाखाओं में PC अनिवार्य कर दिया जहाँ SSC की अनुमति है, जिससे महिलाएँ कमांड पदों तक पहुँच सकें।
- लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाएँ: IAF ने वर्ष 2016 में महिला लड़ाकू पायलटों को शामिल किया और वर्ष 2022 में यह लड़ाकू भूमिका एक स्थायी व्यवस्था बन गई।
- अग्निपथ योजना (2022): सेना, नौसेना और वायु सेना में अग्निवीर के रूप में महिलाओं को शामिल किया जाएगा, जिससे सैनिक स्तर के अवसरों का विस्तार होगा।
- सशस्त्र बलों में महिलाओं की वर्तमान स्थिति: महिलाएँ वर्तमान में भारतीय सेना का लगभग 4% हिस्सा हैं। वर्ष 2022 से नौसेना ने पनडुब्बी और विमानन सहित सभी शाखाओं को महिला अधिकारियों के लिये खोल दिया है। कई महिलाएँ अब युद्धक विमानन भूमिकाओं में और नौसेना के जहाज़ों पर तैनात होकर सक्रिय रूप से सेवा दे रही हैं।
- प्रमुख उपलब्धियाँ: कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में प्रमुख भूमिका निभाई।
- लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और रूपा ए. ने 25,600 नॉटिकल मील का अभियान, नाविका सागर परिक्रमा II पूरा किया।
निष्कर्ष
प्रादेशिक सेना की होम एंड हर्थ बटालियनों में महिला सैनिकों की भर्ती भारत के रक्षा बलों में लैंगिक समावेशन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह कदम भारत के सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका के निरंतर विकास को दर्शाता है, जो अधिक समानता और सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. सशस्त्र बलों में लैंगिक बाधाओं को तोड़ना न केवल समानता का प्रश्न है, बल्कि परिचालनात्मक आवश्यकता भी है। विवेचना कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. प्रादेशिक सेना (TA) क्या है?
प्रादेशिक सेना एक अंशकालिक स्वैच्छिक सैन्य बल है, जिसे प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 के तहत संचालित किया जाता है। यह नियमित भारतीय सेना का सहयोग और समर्थन करता है, जबकि नागरिकों को पार्ट-टाइम सेवा का अवसर भी प्रदान करता है।
2. प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस कब मनाया जाता है?
प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को मनाया जाता है, जिसका औपचारिक उद्घाटन 1949 में सी. राजगोपालाचारी द्वारा किया गया था।
3. TA में महिलाओं की भर्ती क्यों महत्त्वपूर्ण है?
यह महिलाओं के लिये परिचालन अवसरों का विस्तार करती है, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिये मानव संसाधन को मज़बूत बनाती है तथा भारत की रक्षा सेवाओं में लैंगिक समावेशन को बढ़ावा देती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारतीय रक्षा के संदर्भ में 'ध्रुव' क्या है? (2008)
(a) विमान ले जाने वाला युद्धपोत
(b) मिसाइल ले जाने वाली पनडुब्बी
(c) उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर
(d) अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल
उत्तर: (c)
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प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)