भारत के विकास इंजन के रूप में पर्यटन | 20 Aug 2025
प्रिलिम्स के लिये: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, स्वदेश दर्शन, प्रसाद, हील इन इंडिया पहल
मेन्स के लिये: भारत की आर्थिक मजबूती और रोजगार सृजन में पर्यटन की भूमिका, भारत के पर्यटन क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों?
भारतीय वस्तुओं पर 50% अमेरिकी टैरिफ लगाए जाने के बाद, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत जैसे विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि पर्यटन उच्च मूल्य वाले पर्यटकों को आकर्षित करके संभावित नुकसान की भरपाई करने में मदद कर सकता है, क्योंकि पर्यटन टैरिफ बाधाओं से मुक्त है।
भारत के पर्यटन क्षेत्र की संभावनाएँ क्या हैं?
- भारत का पर्यटन: भारत में पर्यटन क्षेत्र ने महामारी पूर्व की गति को पुनः प्राप्त कर लिया है, जो वित्तीय वर्ष 2022-2023 में GDP में 5% का योगदान देता है और 7.6 करोड़ नौकरियाँ सृजित करता है।
- भारत में वर्ष 2024 में 9.95 मिलियन विदेशी पर्यटक आगमन (FTA) दर्ज किये गए, जो फिर भी महामारी पूर्व स्तर से कम हैं। विदेशी मुद्रा अर्जन (FEE) वर्ष 2024 में 10% बढ़कर 2.9 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो पर्यटन की नौकरियों, राजस्व और वैश्विक स्थिति में भूमिका को मज़बूत करता है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन का 1.5% हिस्सा है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (WTTC) वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 8वीं सबसे बड़ी पर्यटन अर्थव्यवस्था है, जो 231.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देती है।
- मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स (2020–21) में भारत 46 गंतव्यों में से 10वें स्थान पर रहा, जैसा कि मेडिकल टूरिज्म एसोसिएशन द्वारा जारी किया गया।
- मुख्य स्रोत बाज़ार: वर्ष 2020 से 2024 के बीच, अमेरिका, बांग्लादेश, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया, श्रीलंका, जर्मनी और फ्राँस भारत के विदेशी पर्यटक आगमन के शीर्ष स्रोत देश बने।
- यात्रा के उद्देश्य मुख्य रूप से अवकाश (46%), प्रवासी यात्राएँ (27%) और व्यापार यात्रा (10%) हैं।
- भावी वृद्धि: WTTC ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2035 तक यात्रा और पर्यटन क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 42 ट्रिलियन रुपए का योगदान देगा और 64 मिलियन नौकरियों का समर्थन करेगा।
- वर्ष 2028 तक, FTA 30.5 मिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे 5.13 लाख करोड़ रुपए से अधिक राजस्व उत्पन्न होगा।
- वर्ष 2047 तक, भारत का लक्ष्य 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की पर्यटन अर्थव्यवस्था बनना है, जिसमें 100 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक, 20 बिलियन घरेलू यात्राएँ और 200 मिलियन पर्यटन-संबंधित नौकरियाँ सृजित हों।
भारतीय पर्यटन के विकास में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?
- वीज़ा और यात्रा में बाधाएँ: कागज़ी प्रक्रियाएँ, जटिल अनुमोदन और सीमित वीज़ा-रहित प्रवेश विदेशी पर्यटकों (FTA) के लिये भारत में प्रवेश को कठिन बनाते हैं।
- उदाहरण के लिये, केवल भूटान, नेपाल और मालदीव के नागरिक ही बिना वीज़ा भारत की यात्रा कर सकते हैं, जबकि चीन 70 देशों और थाईलैंड 90 देशों को वीज़ा-रहित प्रवेश की अनुमति देता है।
- निम्नस्तरीय अवसंरचना: सीमित होटल कमरों और अविकसित परिवहन नेटवर्क के कारण पर्यटकों की सुविधा प्रभावित होती है।
- भारत में लगभग 2,00,000 होटल कमरे हैं, जबकि चीन में 20 मिलियन। कई सरकारी होटल घाटे में चल रहे हैं, जिससे निवेश हतोत्साहित हो रहा है।
- स्वच्छता की कमी: हवाई अड्डों और सार्वजनिक क्षेत्रों के आसपास अपशिष्ट प्रबंधन की कमी तथा अव्यवस्थित वातावरण आगंतुकों पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं, विशेषकर जब इसकी तुलना स्वच्छ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थलों से की जाती है।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अपर्याप्त सुरक्षा और आपातकालीन सेवाएँ पर्यटकों के लिये जोखिम उत्पन्न करती हैं, विशेष रूप से दूरदराज़ या अधिक यातायात वाले क्षेत्रों में।
- कम वैश्विक प्रचार: भारत में एक मज़बूत, सतत् अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग अभियान का अभाव है। ‘अतुल्य भारत’ जैसी पिछली पहलें सफल रहीं, लेकिन पिछले दशक में कोई प्रमुख अभियान नहीं चला।
- जुलाई 2025 तक भारत में 44 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जबकि ग्रीस में लगभग आधे हैं, लेकिन वह तीन गुना अधिक पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह सांस्कृतिक संसाधनों के अपर्याप्त उपयोग, कमज़ोर वैश्विक ब्रांडिंग, असंतोषजनक आगंतुक सुविधाओं और सीमित प्रचार को दर्शाता है, जिससे भारत के लिये उच्च-मूल्य वाले पर्यटकों को आकर्षित करना कठिन हो जाता है।
- शहरी और कनेक्टिविटी अंतराल: दूरदराज़ या उच्च-संभावित स्थलों तक कठिन पहुँच पर्यटक आगमन को कम करती है।
- हिमालयन रिलीजियस सर्किट जैसे क्षेत्र सड़कें, हवाई अड्डे और आवास की दृष्टि से अविकसित बने हुए हैं।
भारत उच्च-मूल्य वाले पर्यटकों को कैसे आकर्षित कर सकता है?
- प्रवेश और यात्रा को सरल बनाना: ई-टूरिस्ट वीज़ा और आगमन पर वीज़ा (Visa-on-arrival) को अधिक देशों तक विस्तारित करने तथा उन्हें तीव्र एवं किफायती बनाने से आगमन को बढ़ावा मिल सकता है।
- उच्च-मूल्य वाले पर्यटकों (High-value tourists) के लिये बेहतर हवाई अड्डों, त्वरित आव्रजन और बहुभाषी समर्थन के माध्यम से निर्बाध यात्रा आवश्यक है।
- विशिष्ट, प्रीमियम अनुभवों को बढ़ावा देना: आयुर्वेद रिट्रीट, लक्ज़री वाइल्डलाइफ सफारी, आध्यात्मिक वेलनेस टूर, उच्च-स्तरीय सांस्कृतिक उत्सव और रिवर क्रूज़ जैसी विशिष्ट पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना। ये वे पर्यटक आकर्षित करते हैं जो अधिक भुगतान करने को तैयार हैं।
- लक्षद्वीप, अपने निर्मल समुद्र तटों, प्रवाल भित्तियों और स्वच्छ जल के कारण, उच्च-मूल्य वाले पर्यटक गंतव्य के रूप में अपार संभावनाएँ रखता है। सतत् पर्यटन प्रथाओं और सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध अवसंरचना के साथ, ये द्वीप एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकते हैं।
- इन्फ्लुएंसर्स, यात्रा लेखक तथा राय निर्माता को लक्ज़री अनुभवों के लिये आमंत्रित करना, जिससे आकांक्षाओं का निर्माण हो और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़े।
- पर्यटन स्थलों की विविधता को सर्किट्स के माध्यम से प्रदर्शित करना: स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी योजनाओं का उपयोग अनुभवों को प्रीमियम यात्रा कार्यक्रमों में पैकेज करने के लिये किया जा सकता है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय तीर्थयात्रियों के लिये बुद्धिस्ट सर्किट, वेलनेस एवं एडवेंचर को मिलाकर लक्ज़री हिमालयन सर्किट और उन्नत प्रसाद स्थलों के साथ स्पिरिचुअल सर्किट।
- ये पहल भारत को एकल-स्थल गंतव्य से बहु-दिवसीय गहन यात्रा में बदल देती हैं, जिससे पर्यटकों को लंबे समय तक ठहरने और अधिक व्यय करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- विश्व-स्तरीय अवसंरचना और कनेक्टिविटी: राज्यों के साथ चैलेंज-मोड पार्टनरशिप के माध्यम से 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों को विकसित करने की पहल, प्रीमियम सुविधाओं, लक्ज़री होटलों और निर्बाध कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करती है।
- होटलों को इंफ्रास्ट्रक्चर हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट (HML) के अंतर्गत वर्गीकृत करना उच्च-स्तरीय आतिथ्य क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करेगा, जो संपन्न पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- सेवा की गुणवत्ता को उन्नत करना: उच्च-मूल्य वाले पर्यटक आराम और सुविधा चाहते हैं। आतिथ्य क्षेत्र में मानव संसाधन (शेफ, गाइड, सेवा कर्मी) को प्रशिक्षित करने पर अधिक ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है।
- वैश्विक-स्तरीय होटल, बुटीक स्टे, लक्ज़री ट्रेन और क्रूज़ को प्रोत्साहित करना।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन: हील इन इंडिया पहल, जो आधुनिक चिकित्सा को आयुर्वेद, योग और स्वास्थ्य के साथ मिलाती है, भारत को एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में स्थापित करती है।
- वर्ष 2026 तक मेडिकल वैल्यू ट्रैवल 13.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने के साथ, भारत समग्र उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल चाहने वाले रोगियों को आकर्षित कर सकता है।
- मूल्य संवर्धन के रूप में ज्ञान: ज्ञान भारतम मिशन जैसी पहलें (पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण, विरासत का संरक्षण) विद्वानों और वैश्विक धरोहर प्रेमियों को लक्षित सांस्कृतिक पर्यटन का समर्थन कर सकती हैं।
- सुरक्षा और सुविधा को मज़बूत करना: 24x7 हेल्पलाइन, पर्यटन पुलिस, स्वागत पुस्तिकाएँ और बहुभाषी गाइड्स विश्वास स्थापित कर सकते हैं तथा अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं।
भारत में पर्यटन से संबंधित पहल
निष्कर्ष
पर्यटन भारत को रोज़गार सृजन, विदेशी मुद्रा अर्जन और वैश्विक ब्रांडिंग को मज़बूत करके, बिना किसी शुल्क के अनुकूलन का मार्ग प्रदान करता है। 'सेवा' और 'अतिथि देवो भव' जैसे मार्गदर्शक मूल्यों के साथ, भारत अपने पर्यटन परिदृश्य को पुनर्परिभाषित कर सकता है और वर्ष 2047 तक एक विश्वस्तरीय गंतव्य के रूप में उभर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. “भारत में पर्यटन को परिमाण से मूल्य की ओर स्थानांतरित होना चाहिये।” भारत की वैश्विक व्यापार चुनौतियों के आलोक में, परीक्षण कीजिये कि पर्यटन क्षेत्र आर्थिक अनुकूलन को कैसे बढ़ा सकता है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
मेन्स
प्रश्न 1. पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है ? (2019)
प्रश्न 2. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिकी वहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2015)