छात्र वीज़ा मानदंडों में सख्ती | 23 Apr 2025

प्रिलिम्न्स के लिये:

वीज़ा, धन प्रेषण, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, गिफ्ट सिटी, वियना अभिसमय

मेन्स के लिये:

घरेलू शिक्षा प्रणालियों पर विदेशी शिक्षा नीतियों का प्रभाव, भारत की सॉफ्ट पावर और वैश्विक प्रभाव

स्रोत:द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारतीय छात्रों को अमेरिका में वीज़ा जारी करने में तीव्र गिरावट और वीज़ा निरस्तीकरण में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही ऑस्ट्रेलिया में वीज़ा मानदंड कड़े हो रहे हैं, जिससे शैक्षणिक योजनाएँ और कॅरियर आकांक्षाएँ बाधित हो रही हैं।

भारतीय छात्र वीज़ा के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • वीज़ा जारी करने में तीव्र गिरावट: फरवरी 2025 में, अमेरिका ने फरवरी 2024 की तुलना में  भारतीय नागरिकों को जारी किये गए F-1 छात्र वीज़ा में 30% की गिरावट (590 से 411 वीज़ा) दर्ज की।
    • यह गिरावट वैश्विक औसत 4.75% की गिरावट से अनुपातहीन रूप से अधिक है, तथा चीन (5.2%), जापान (9.6%) और वियतनाम (7.4%) जैसे अन्य शीर्ष देशों की गिरावट की तुलना में काफी अधिक है।
    • भारतीय छात्रों के लिये वीज़ा प्रतीक्षा अवधि भी काफी लंबी है, दिल्ली में औसतन 58 दिन, जबकि पूर्वी एशियाई राजधानियों में यह अवधि केवल 2-15 दिन है।

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  • वीज़ा समाप्ति और निरस्तीकरण में वृद्धि:  अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत में जिन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के अमेरिकी वीज़ा निरस्त कर दिये गए, उनमें से 50% भारतीय नागरिक थे। 
    • ये प्रतिसंहरण (वापस लिया जाना) मुख्य रूप से अमेरिकी विदेश विभाग के AI-आधारित "कैच एंड रिवोक" कार्यक्रम द्वारा संचालित थे, जो सोशल मीडिया और पुलिस डेटाबेस की निगरानी करता है, जिससे निष्पक्षता, पारदर्शिता और कूटनीतिक नतीजों को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • विधिक और वित्तीय कठिनाई: प्रतिसंहरण का सामना करने वाले छात्रों को अपनी SEVIS (छात्र और विनिमय आगंतुक सूचना प्रणाली) प्रस्थिति पुनः प्राप्त करने हेतु जटिल विधिक प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है।
    • अनेक व्यक्तियों ने मुकदमा दायर किया है, लेकिन इसकी लागत बहुत अधिक है, तथा इस विलंब के कारण छात्रों के शैक्षणिक सत्र, रोज़गार और छात्रवृत्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • लक्षित वीज़ा जाँच: विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया ने भारत के पाँच राज्यों- पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार के आवेदकों के लिये वीज़ा जाँच बढ़ा दी है।
    • इससे इन क्षेत्रों से आने वाले भारतीय आवेदकों के विरुद्ध प्रोफाइलिंग और अनुचित सामान्यीकरण की आशंकाएँ  उत्पन्न हो गई हैं।

भारतीय छात्र वीज़ा मुद्दों के संभावित निहितार्थ क्या हैं?

  • भारत की सॉफ्ट पावर पर नकारात्मक प्रभाव: चीन सहित भारत, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के दो सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, लेकिन सीमित अमेरिकी वीज़ा और ऑस्ट्रेलिया में सख्त मानदंडों के कारण इसे बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
    • इन व्यवधानों से AI, जलवायु विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत की सॉफ्ट पावर और वैश्विक प्रभुता प्रभावित होती है।
  • भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये जोखिम: भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, इसलिये कौशल विकास के लिये वैश्विक शिक्षा तक पहुँच महत्त्वपूर्ण है। वीज़ा प्रतिबंध और प्रतिसंहरण से अवसरों में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे दीर्घकालिक उत्पादकता और नवाचार प्रभावित होते हैं।
  • विप्रेषण में गिरावट: वर्ष 2024 में, भारत को रिकॉर्ड 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विप्रेषण प्राप्त हुआ, जो आंशिक रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में रह रहे भारतीय छात्रों द्वारा प्राप्त हुआ था। 
  • सख्त वीज़ा मानदंडों से छात्रों का प्रवास और धन प्रेषण कम हो सकता है, जिसका भारत की अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है।
  • SEVIS रिमूवल: SEVIS रिमूवल के तत्काल और गंभीर परिणाम होते हैं, जैसे कि रोज़गार की पात्रता समाप्त हो जाना और आश्रितों जैसे कि जीवनसाथी और बच्चों के लिये कठिनाइयाँ, जबकि इसके विपरीत वीज़ा रेवोकेशन के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में पुनः प्रवेश पर प्रतिबंध लग जाता है, लेकिन इससे छात्र की कानूनी स्थिति तत्काल समाप्त नहीं होती।
    • ऋण या बचत पर निर्भर रहने वाले मध्यम वर्ग के उम्मीदवार सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, तथा उन्हें आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • मानव पूंजी का निष्कासन और पुनर्निर्देशन: पारंपरिक गंतव्यों (अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) से हटकर नॉर्डिक देशों और दक्षिण कोरिया जैसे उभरते केंद्रों की ओर जाने से भारत के वैश्विक प्रतिभा प्रवाह की दिशा बदल रही है।
  • यह पुनर्निर्देशन नेटवर्क निर्माण, प्रवासी प्रभाव और रणनीतिक उद्योग प्लेसमेंट, विशेष रूप से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM), स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान, को प्रभावित करता है।
  • घरेलू उच्च शिक्षा अवसंरचना पर दबाव: जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय अवसर कम होते जा रहे हैं, भारत में गुणवत्तापूर्ण संस्थानों की मांग तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है।
    • इससे पहले से ही सीमित टियर-I विश्वविद्यालयों (IIT, IIM, AIIMS) पर दबाव बढ़ सकता है और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत क्षमता निर्माण एवं मान्यता सुधारों को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिये मज़बूर होना पड़ सकता है।

कौन-सी रणनीतियाँ भारतीय छात्र वीज़ा से संबंधित चुनौतियों को कम कर सकती हैं?

  • राजनयिक साधनों का लाभ उठाना: वर्ष 1963 का वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस भारतीय मिशनों को विदेशों में भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा करने का अधिकार प्रदान करता है। इस कानूनी संभावना का उपयोग करके उन छात्रों की मदद करने के लिये और अधिक कार्य किया जाना चाहिये जिन्हें वीज़ा प्राप्त करने में परेशानी हो रही है।
    • उत्प्रवास अधिनियम, 1983 के तहत छात्र वीज़ा परामर्शदाताओं को लाने के लिये इसे प्रभावी बनाया जाए तथा झूठे वादों या जाली दस्तावेज़ो के लिये दंड लगाया जाए।
  • आपातकालीन छात्र सुरक्षा तंत्र: वीज़ा निरस्तीकरण, ट्यूशन हानि या जबरन निर्वासन का सामना करने वाले छात्रों की सहायता के लिये विदेश मंत्रालय के तहत एक विदेशी शिक्षा संरक्षण कोष (OEPF) की स्थापना की जाए।
  • घरेलू उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना: वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट के अनुसार, भारत द्वारा शीर्ष-स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों को परिसर स्थापित करने या संयुक्त-डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये, जैसे GIFT (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) सिटी में विश्व स्तरीय संस्थानों को संचालित करने की अनुमति दी गई।
    • इसके साथ ही NEP 2020 के तहत भारतीय विश्वविद्यालयों को दोहरे डिग्री कार्यक्रम एवं अंतर्राष्ट्रीय संकाय विनिमय जैसे सुधारों को अपनाना चाहिये तथा विश्व स्तरीय शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने के लिये बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERUs) की स्थापना करनी चाहिये।
  • छात्रों के लिये डिजिटल रजिस्ट्री: भारत को रियल टाइम वीज़ा ट्रैकिंग एवं दूतावास सहायता के क्रम में एक स्वैच्छिक डिजिटल छात्र रजिस्ट्री बनानी चाहिये। 
    • भारतीय दूतावास, अमेरिका के "कैच एंड रिवोक" कार्यक्रम के समान एक AI-आधारित प्रणाली विकसित कर सकते हैं ताकि वीज़ा जोखिमों के बारे में प्रारंभिक चेतावनी के लिये छात्रों के डिजिटल प्रोफाइल तथा सोशल मीडिया पर नजर रखी जा सके।
  • शिक्षा परामर्शदाताओं का विनियमन: भारत को शिक्षा परामर्शदाताओं पर लेखा परीक्षा के साथ धोखाधड़ी के लिये दंड लागू करके विनियमन को कड़ा करना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों को गुमराह न किया जाए। 
    • शिक्षा मंत्रालय को जागरूकता अभियान शुरू करने के साथ घोटालों को कम करने के लिये प्रतिष्ठित परामर्शदाताओं की सत्यापित सूची उपलब्ध करानी चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय छात्रों के लिये वीज़ा मानदंडों को सख्त करने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। इससे संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये भारत सरकार क्या उपाय कर सकती है?