भारत में तकनीक-संचालित बहुभाषी समावेशन | 29 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके डिजिटल बहुभाषी समावेशन की दिशा में अग्रसर है।
- भाषिणी, भारतजेन और आदि-वाणी जैसे प्लेटफॉर्म भारत के विशाल भौगोलिक परिदृश्य में शासन, शिक्षा और संचार के क्षेत्र में 22 अनुसूचित भाषाओं तथा सैकड़ों जनजातीय और क्षेत्रीय बोलियों को संरक्षित, डिजिटाइज़ और प्रोत्साहित करने के लिये उपयोग में लाए जा रहे हैं।
भारत भाषा संरक्षण और डिजिटल समावेशन के साथ प्रौद्योगिकी को किस प्रकार एकीकृत कर रहा है?
- भाषिणी: यह राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा लागू की गई पहल है।
- यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित रियल-टाइम अनुवाद, वाक् पहचान और भाषा समझ से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करती है।
- यह 22 अनुसूचित भाषाओं तथा कई जनजातीय भाषाओं का समर्थन करती है, जिससे शासन, शिक्षा और डिजिटल संचार में बहुभाषी पहुँच संभव हो पाती है।
- संचिका: इसका प्रबंधन केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान द्वारा किया जाता है।
- यह अनुसूचित और जनजातीय भाषाओं के लिये शब्दकोशों, प्राइमरों, कहानी-पुस्तकों और मल्टीमीडिया संसाधनों को एकत्रित करता है।
- भारतजेन: यह भारतीय भाषाओं के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विकसित एक बहुभाषी एआई मॉडल है।
- यह टेक्स्ट-टू-टेक्स्ट (T2T) और टेक्स्ट-टू-स्पीच (TTS) मॉडल विकसित करता है।
- यह लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण और परिरक्षण योजना (SPPEL) और संचिका डिजिटल रिपॉजिटरी के डेटासेट का उपयोग करता है।
- आदि-वाणी: इसे वर्ष 2024 में जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) द्वारा शुरू किया गया था। यह भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मंच है, जिसे जनजातीय भाषाओं के अनुवाद और संरक्षण के लिये विकसित किया गया है।
- यह उन्नत वाक् पहचान और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) का उपयोग करके संथाली, भीली, मुंडारी और गोंडी जैसी भाषाओं का समर्थन करता है।
- GeMAI (गवर्मेंट ई-मार्केटप्लेस एआई असिस्टेंट): इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत गवर्मेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है।
- यह अनेक भारतीय भाषाओं में ध्वनि और पाठ-आधारित समर्थन प्रदान करता है।
- यह छोटे विक्रेताओं और स्थानीय उद्यमियों को उनकी मूल भाषाओं में नेविगेट करने और लेन-देन करने में सहायता करता है।
- अनुवादिनी: इसे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा विकसित किया गया है।
- इंजीनियरिंग, कानून और चिकित्सा पाठ्यपुस्तकों को भारतीय भाषाओं में परिवर्तित करने के लिये एआई-आधारित अनुवाद का उपयोग करता है।
- यह मातृभाषा में सीखने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- ई-कुंभ (कई भारतीय भाषाओं में ज्ञान का प्रसार): AICTE द्वारा संचालित एक डिजिटल प्लेटफॉर्म जो भारतीय भाषाओं में तकनीकी और उच्च शिक्षा की पुस्तकों तक मुफ्त पहुँच प्रदान करता है।
- SWAYAM (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स): यह शिक्षा मंत्रालय (एमओई) का एक विशाल ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) प्लेटफॉर्म है।
- SWAYAM पूरे भारत में पाँच करोड़ से ज़्यादा शिक्षार्थियों को बहुभाषी ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह डिजिटल उच्च शिक्षा में भाषाई समावेशिता को मज़बूत करता है।
भाषा संरक्षण और डिजिटल समावेशन को समर्थन देने वाली राष्ट्रीय और संस्थागत पहलें कौन-सी हैं?
- SPPEL (लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण और परिरक्षण के लिये योजना): यह शिक्षा मंत्रालय (MoE) द्वारा वर्ष 2013 में शुरू की गई तथा केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL), मैसूरु द्वारा कार्यान्वित की गई।
- 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का दस्तावेज़ीकरण और डिजिटल अभिलेखीकरण।
- इसका उद्देश्य लुप्तप्राय भारतीय भाषाओं, खासकर 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का दस्तावेज़ीकरण और डिजिटल संग्रह करना है।
- यह समृद्ध लिखित रूप, ऑडियो और वीडियो डेटासेट तैयार करता है, जो संरक्षण और नवाचार दोनों में मदद करते हैं तथा एआई और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) प्रणालियों के लिये महत्त्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं।
- TRI-ECE (जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम) योजना: यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) द्वारा कार्यान्वित है।
- यह अंग्रेज़ी और हिंदी पाठ और भाषण को जनजातीय भाषाओं में और इसके विपरीत रूपांतरित करने के लिये एआई-आधारित अनुवाद उपकरणों को बढ़ावा देती है।
- इसका उद्देश्य सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) के साथ सहयोग करना है।
- NTM (राष्ट्रीय अनुवाद मिशन): यह शिक्षा मंत्रालय (MOE) का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- NTM का उद्देश्य शिक्षा और अनुसंधान को लोकतांत्रिक बनाने के लिये ज्ञान और शैक्षणिक ग्रंथों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना है।
- NMM (राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन): इसका संचालन संस्कृति मंत्रालय (MOC) द्वारा किया जाता है।
- NMM संस्कृत, पाली, प्राकृत और क्षेत्रीय भाषाओं में प्राचीन भारतीय पांडुलिपियों के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार पर कार्य करता है।
प्रौद्योगिकी-आधारित बहुभाषीय प्लेटफार्मों का व्यापक प्रभाव क्या है?
- शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण: भाषिणी और GeMAI जैसे बहुभाषी एआई प्लेटफॉर्म नागरिकों को अपनी भाषा में सरकारी सेवाओं, सूचनाओं और डिजिटल पोर्टलों तक पहुँच हेतु सक्षम बनाते हैं।
- इससे शासन में, विशेषकर ग्रामीण और गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के लिये पारदर्शिता, भागीदारी और विश्वास बढ़ता है।
- शिक्षा और कौशल विकास: ई-कुंभ, अनुवादिनी और स्वयं जैसे मंच क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें, तकनीकी सामग्री और ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करके शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाते हैं।
- यह मातृभाषा में सीखने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण का समर्थन करता है, सीखने की समझ को बेहतर बनाता है तथा डिजिटल शिक्षा में मौजूद अंतर को कम करने में सहायक सिद्ध होता है।
- सांस्कृतिक और भाषाई संरक्षण: SPPEL, संचिका और आदि-वाणी जैसी पहल लुप्तप्राय और जनजातीय भाषाओं का डिजिटल दस्तावेज़ीकरण करती हैं तथा मौखिक परंपराओं, कहानियों और ज्ञान प्रणालियों को जीवित रखती हैं।
- वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भाषाई विरासत प्रौद्योगिकी के साथ विकसित हो, न कि उसकी छाया में लुप्त हो जाए।
- आर्थिक और सामाजिक समावेशन: भाषा-समावेशी डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थानीय उद्यमियों, किसानों और छोटे व्यवसायों को सरकारी योजनाओं, ई-कॉमर्स और वित्तीय सेवाओं के साथ अधिक आसानी से जुड़ने में मदद करते हैं।
- इससे सूचना संबंधी बाधाएँ कम होती हैं और डिजिटल अर्थव्यवस्था में समान भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
- अनुसंधान और नवाचार: इन पहलों के माध्यम से बनाए गए बड़े बहुभाषी डेटासेट भारत के एआई अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करते हैं तथा स्वदेशी भाषा प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष:
भारत के भाषा संरक्षण प्रयास अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा संचालित हैं ताकि इसकी भाषाई विरासत जीवंत और सुलभ बनी रहे। भाषिणी और भारतजेन जैसे प्लेटफॉर्म समावेशी डिजिटल विकास और बहुभाषी नवाचार में वैश्विक नेतृत्व को बढ़ावा देते हुए सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करते हैं।
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दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत की लुप्तप्राय और जनजातीय भाषाओं के संरक्षण में प्रौद्योगिकी की भूमिका का परीक्षण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भाषिणी क्या है?
भाषिणी, राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) के अंतर्गत एक AI-संचालित बहुभाषी अनुवाद प्लेटफॉर्म है, जिसका कार्यान्वयन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया जाता है।
2. कौन-सा प्लेटफॉर्म आदिवासी भाषाओं के AI-आधारित संरक्षण पर केंद्रित है?
जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया आदि-वाणी, संथाली, भीली और गोंडी जैसी आदिवासी भाषाओं के रीयल-टाइम अनुवाद और संरक्षण के लिये भारत का पहला AI-संचालित प्लेटफॉर्म है।
3. भारत के बहुभाषी पारिस्थितिकी तंत्र में भारतजेन की क्या भूमिका है?
भारतजेन 22 अनुसूचित भाषाओं के लिये टेक्स्ट-टू-टेक्स्ट और टेक्स्ट-टू-स्पीच AI अनुवाद मॉडल विकसित करता है, जिससे शासन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुगमता बढ़ती है।
4. अनुवादिनी और ई-कुंभ जैसी पहल NEP 2020 का समर्थन किस प्रकार करती हैं?
अनुवादी तकनीकी पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करती है, जबकि ई-कुंभ शैक्षिक सामग्री तक मुफ्त बहुभाषी पहुँच प्रदान करता है - जो मातृभाषा में शिक्षा के एनईपी 2020 के लक्ष्य का समर्थन करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
- यूनिसेफ द्वारा 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया।
- पाकिस्तान की संविधान सभा में यह मांग रखी गई कि राष्ट्रीय भाषाओं में बांग्ला को भी सम्मिलित किया जाए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित भाषाओं पर विचार कीजिये: (2014)
- गुजराती
- कन्नड़
- तेलुगू
उपर्युक्त में से किसे/किन्हें सरकार द्वारा 'शास्त्रीय भाषा/भाषाएँ' घोषित किया गया है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)

