काले धन के खतरे से निपटना | 27 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

लोकसभा, काला धन, दोहरा कराधान अपवंचन समझौता, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम-2018

मेन्स के लिये:

काले धन के खतरे से निपटने के लिये किये गए विभिन्न उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि सरकार के काले धन से संबंधित कानून ने ऐसे कई उदाहरणों का पता लगाने में मदद की है जहाँ भारतीयों को विदेशों में अघोषित आय जमा करते हुए पाया गया है।

प्रमुख बिंदु:

काला धन:

  • आर्थिक सिद्धांत में काले धन की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, इसके लिये कई अलग-अलग शब्दों जैसे- समानांतर अर्थव्यवस्था, काला धन, काली आय, बेहिसाब अर्थव्यवस्था, अवैध अर्थव्यवस्था और अनियमित अर्थव्यवस्था आदि के रूप से उपयोग किया जा रहा है।
  • काले धन की सबसे सरल परिभाषा संभवतः उस धन के रूप में हो सकती है जिसे कर प्राधिकारियों से छिपाया गया हो।
  • यह दो व्यापक श्रेणियों से संबंधित हो सकती है:
    • अवैध गतिविधि: 
      • अवैध गतिविधि के माध्यम से अर्जित धन के बारे में स्पष्ट रूप से कर अधिकारियों को सूचित नहीं किया जाता है, अतः इसे ‘काला धन’ कहते हैं।
    • कानूनी लेकिन सूचित नहीं की गई गतिविधि:
      • दूसरी श्रेणी में कानूनी गतिविधि से संबंधित आय शामिल है जिसके संबंध में  कर अधिकारियों को सूचित नहीं किया जाता है।

प्रभाव:

  • राजस्व की हानि:
    • काला धन कर के एक हिस्से को समाप्त कर देता है और इस प्रकार सरकार का घाटा बढ़ जाता है।
    • सरकार को इस घाटे को करों में वृद्धि, सब्सिडी में कमी और उधार में वृद्धि करके संतुलित करना होता है।
    • उधार लेने से ब्याज के बोझ के कारण सरकार के ऋण में और वृद्धि होती है। अगर सरकार घाटे को संतुलित करने में असमर्थ है, तो उसे खर्च कम करना होगा, जो कि विकास को प्रभावित करता है।
  • धन संचलन:
    • आमतौर पर लोग काले धन को सोने के तौर पर, अचल संपत्ति और अन्य गुप्त तरीकों के रूप में रखते हैं।
    • ऐसा पैसा मुख्य अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं बनता है और इसलिये आमतौर पर प्रचलन से बाहर रहता है।
    • काला धन अमीरों के बीच संचालित होता रहता है और उनके लिये अधिक अवसर पैदा करता है।
  • उच्च मुद्रास्फीति:
    • अर्थव्यवस्था में बेहिसाब काला धन होने से मुद्रास्फीति की स्थिति अधिक देखी जाती है, जो गरीबों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है।
    • यह अमीर और गरीब के बीच असमानता को भी बढ़ाता है।

सरकार द्वारा की गई पहलें:

आगे की राह

चूंकि काले धन की समस्या पर अभी भी काबू नहीं पाया जा सका है,इसलिये इससे निपटने के लिये और भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। कुछ मज़बूत कदम जो उठाए जा सकते हैं वे इस प्रकार हैं:

  • संबंधित उपयुक्त विधायी ढाँचा: सार्वजनिक खरीद, विदेशी अधिकारियों द्वारा ली जाने वाली रिश्वत की रोकथाम, नागरिक शिकायत निवारण, सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) सुरक्षा, यूआईडी आधार
  • अवैध धन से निपटने वाली संस्थाओं की स्थापना और उनका सुदृढ़ीकरण: सूचना के आदान-प्रदान के लिये आपराधिक जाँच प्रकोष्ठ निदेशालय, मॉरीशस और सिंगापुर में आयकर विदेशी इकाइयाँ, ITOU, CBDT के तहत विदेशी कर, कर अनुसंधान और जाँच प्रभाग को मज़बूत करने में बहुत उपयोगी रहे हैं।
  • चुनावी सुधार: काले धन के उपयोग के लिये चुनाव सबसे बड़े चैनलों में से एक है। चुनावों में धनबल को कम करने के लिये उचित सुधार।
  • प्रभावी कार्रवाई के लिये कर्मियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना: संबंधित क्षेत्र में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण। उदाहरण के लिये वित्तीय आसूचना इकाई-भारत (Financial Intelligence Unit-India) अपने कर्मचारियों को धनशोधन रोधी, आतंकवादी वित्तपोषण और संबंधित आर्थिक मुद्दों पर प्रशिक्षण के अवसर प्रदान कर उनके कौशल को नियमित रूप से उन्नत करने हेतु सक्रिय प्रयास करती है।

स्रोत: पीआईबी