चक्रवात अम्फान का सुंदरबन पर प्रभाव | 13 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

अम्फान, सुंदरबन, विश्व पर्यावरण दिवस, डैम्पियर हॉजज़ लाइन, मैंग्रोव

मेन्स के लिये:

चक्रवात अम्फान का सुंदरबन पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आए चक्रवात ‘अम्फान’ (Amphan) के कारण ‘सुंदरबन’ (Sunderbans) का 28% से अधिक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • अम्फान के कारण लगभग 1200 वर्ग किमी. में फैले मैंग्रोव वन क्षतिग्रस्त हुए हैं। मुख्य वन संरक्षक के अनुसार, ज्यादातर क्षति दक्षिण 24 परगना के पथारप्रतिमा और कुलतली इलाकों में हुई है। भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन को अत्यधिक क्षति हुई है, जबकि बांग्लादेश की तरफ कम क्षति हुई है।
  • गौरतलब है कि विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day- WED) के अवसर पर पश्चिम बंगाल में ‘मैंग्रोव’ और अन्य पेड़ लगाने हेतु अभियान भी चलाया जा रहा है।  
  • पश्चिम बंगाल सरकार ने वन विभाग को 14 जुलाई, 2020 तक मैंग्रोव के 3.5 करोड़ पौधे लगाने हेतु तैयारी करने के निर्देश दिये हैं। 
  • गौरतलब है कि ‘डैम्पियर हॉजज़ लाइन’ (Dampier Hodges line) के दक्षिण में स्थित भारतीय सुंदरबन 9630 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें से मैंग्रोव वन 4263 वर्ग किमी. में फैले हुए हैं। 
    • ‘डैम्पियर हॉजज़ लाइन’ (Dampier-Hodges line)- यह एक काल्पनिक रेखा है जो 24 परगना दक्षिण और उत्तरी ज़िलों से होकर गुजरती है और ज्वार-भाटा से प्रभावित एश्चुअरी ज़ोन की उत्तरी सीमा को इंगित करती है। 
  • बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के बाद भी क्षतिग्रस्त मैंग्रोव वन की पुनर्स्थापना में वर्षों लग सकते हैं। 
  • विशेषज्ञों का मानना है कि मैंग्रोव न केवल हवा की गति को कम करते हैं बल्कि चक्रवात के दौरान समुद्री लहरों की गति को भी कम करते हैं।  

मैंग्रोव परितंत्र (Mangrove Ecosystem): 

  • मैंग्रोव सामान्यतः वे वृक्ष होते हैं जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के तटों, ज्वारनदमुख, ज्वारीय कीक्र, बैकवाटर (Backwater), लैगून एवं पंक जमावों में विकसित होते हैं। 
  • मैंग्रोव शब्द की उत्पत्ति पुर्तगाली शब्द ‘मैग्यू’ तथा अंग्रेजी शब्द ‘ग्रोव’ से मिलकर हुई है। 
  • ऐसा समझा जाता है कि मैंग्रोव वनों का सर्वप्रथम उद्गम भारत के मलय क्षेत्र में हुआ और आज भी इस क्षेत्र में विश्व के किसी भी स्थान से अधिक मैंग्रोव प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • यह धारणा कि मैंग्रोव केवल खारे पानी में उग सकते हैं सही नहीं है। ये ताज़े पानी वाले स्थानों पर भी उग सकते हैं लेकिन तब इनकी वृद्धि सामान्य से कम होती है। 
  • किसी मैंग्रोव क्षेत्र में पौधों की प्रजातियों की संख्या तथा उनके घनत्व को नियंत्रित करने वाला मुख्य कारक उस क्षेत्र की वनस्पतियों के खारे पानी को सहन करने की क्षमता तथा तापमान है।

मैंग्रोव की विशेषताएँ:

  • मैंग्रोव प्रजातियाँ बहुत अधिक सहनशील होती हैं और प्रतिदिन खारे पानी के बहाव को झेलती हैं।
  • सभी मैंग्रोव पौधे अपनी जड़ों से पानी का अवशोषण करते समय नमक की कुछ मात्रा को अलग कर देते हैं, साथ ही ये पौधे दूसरे पौधों की अपेक्षा नमक की अधिक मात्रा अपने ऊतकों में सहन कर सकते हैं।
  • मैंग्रोव पौधे अस्थिर भूमि में उगते हैं। इनकी विलक्षण जड़ें इन्हें न केवल स्थायित्त्व प्रदान करती हैं बल्कि धाराओं के तेज़ बहाव और तूफानों में भी मज़बूती से खड़ा रखती हैं और श्वसन में सहायता करती हैं।
  • मैंग्रोव पौधों में विशेष श्वसन जड़ों का विकास होता है जिनके माध्यम से ये पौधे ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करते हैं। इन जड़ों को ‘न्यूमेटोफोर्स’ कहते हैं।  

भारत में मैंग्रोव वनस्पति:

  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2017 (India State of Forest Report-ISFR) के अनुसार,  देश में मैंग्रोव वनस्पति का क्षेत्र 4921 वर्ग किमी. है, जिसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
  • मैंग्रोव वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में पिछले आकलन की तुलना में सकरात्मक बदलाव देखा गया है।

राज्य/संघ क्षेत्र 

कच्छ वनस्पति स्थल 

पश्चिम बंगाल 

सुंदरबन

ओडिशा 

भीतरकनिका, महानदी, स्वर्णरेखा, देवी-कोड़ा ,धामरा,     

आंध्रप्रदेश 

कोरिंगा, पूर्वी गोदावरी, कृष्णा

तमिलनाडु 

पिचवरम, मुथुपेट, पुलीकट, काजुवेली   

अंडमान एवं निकोबार 

उत्तरी अंडमान, निकोबार  

केरल 

वेम्बनाड, कन्नूर (उत्तरी केरल)

कर्नाटक 

कुंडापुर, दक्षिण कन्नड/होनावर, कारवार, मंगलौर  

गोवा 

गोवा 

महाराष्ट्र 

अचरा-रत्नागिरी, देवगढ़ -विजय दुर्ग, वेलदुर 

गुजरात 

कच्छ की खाड़ी, खंभात की खाड़ी  

सुंदरबन (Sunderbans):

  • सुंदरबनयूनेस्को विश्व धरोहर स्थल’ (UNESCO World Heritage site) है जो कोलकाता से लगभग 110 किलोमीटर दूर 24 परगना ज़िले के दक्षिण पूर्वी सिरे पर स्थित है।
  • यह भारत और बांग्लादेश दोनों में फैला दलदलीय वन क्षेत्र है तथा यहाँ पाए जाने वाले सुंदरी नामक वृक्षों के कारण प्रसिद्ध है।
  • सुंदरबन दुनिया के सबसे बड़े डेल्टा का एक हिस्सा है जो गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों से मिलकर बना है।
  • सुंदरबन का जंगल भारत और बांग्लादेश में लगभग 10000 वर्ग किमी. में फैला हुआ है, जिसमें से 40% भाग भारत में स्थित है।
  • वर्ष 1973 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया तथा वर्ष 1984 में इसे सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया। 

स्रोत: द हिंदू