इस्पात/स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति | 14 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, हब और स्पोक मॉडल, 6Rs सिद्धांत

मेन्स के लिये:

पुनर्चक्रण नीति से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय इस्पात मंत्रालय द्वारा इस्पात/स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति (Steel Scrap Recycling Policy) जारी की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस्पात क्षेत्र में चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy)
    • गुणवत्ता वाले स्टील उत्पादन के लिये वाहनों और व्हाइट गुड्स (White Goods) से निकलने वाले स्टील स्क्रैप का उपयोग करना।
    • इससे भारत की वाहनों के आयात पर निर्भरता कम होगी।
  • विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility- EPR)
    • ऑटोमोबाइल वाहनों के अप्रयोग की स्थिति में उनके पुनर्चक्रण को ध्यान में रखते हुए वाहनों को डिज़ाइन किया जाएगा।
    • भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की (Metal Scrapping Centres) स्थापना को बढ़ावा देने के लिये नीति में एक रूपरेखा की परिकल्पना की गई है।
  • हब और स्पोक मॉडल (Hub and Spoke model- H&S)
    • हब और स्पोक मॉडल का उपयोग तब किया जाता है जब एक केंद्रीय लोकेशन (जिसे 'हब' कहा जाता है) के साथ कई लोकेशन स्थान (Multiple Locations Sourcing) होते हैं। यह लोकेशन ग्राहक के संपर्क के लिये एक एकल बिंदु प्रदान करता है, जिसे 'स्पोक' कहा जाता है।
    • नीति के तहत स्क्रैप (लौह, गैर-लौह और अन्य गैर-धातु) पुनर्नवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
    • 4 संग्रहण (Collection) और निराकरण केंद्र (Dismantling Centre) 1 स्क्रैप प्रसंस्करण केंद्र (Processing Centre) के साथ कार्य करेंगे।
  • पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया गया है
    • यह नीति 6Rs {Reduce- कम करना, Reuse-पुन: उपयोग, Recycle- पुनरावृत्ति, Recover- पुनर्प्राप्त, Redesign- नया स्वरूप और Remanufacture नया निर्माण} के सिद्धांतों पर काम करेगी।
    • इसका उद्देश्य ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas- GHG) उत्सर्जन को कम करना है।
    • इसका उद्देश्य पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEF & CC) द्वारा जारी किये गए खतरनाक और अन्य अपशिष्टों (प्रबंधन और सीमा-पार (Transboundary) मूवमेंट) नियमों, 2016 (Hazardous & Other Wastes (Management & Transboundary Movement) Rules, 2016) के अनुपालन हेतु खतरनाक अपशिष्टों के उपचार के लिये एक तंत्र बनाना है।

भारत में इस्पात स्क्रैप की स्थिति:

  • स्क्रैप के रूप में प्रयुक्त या पुन: उपयोग की जाने वाली स्टील, भारतीय स्टील उद्योग के लिये द्वितीयक कच्चा माल है वहीं लौह अयस्क स्टील बनाने का प्राथमिक स्रोत है।
  • इस्पात स्क्रैप की वर्तमान आपूर्ति घरेलू असंगठित स्क्रैप उद्योग से 25 मिलियन टन और स्क्रैप के आयात से 7 मिलियन टन है।
  • प्रतिस्पर्द्धी दरों पर कच्चे माल की उपलब्धता इस्पात उद्योग के विकास और राष्ट्रीय स्टील नीति (National Steel Policy- NSP) 2017 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये जरूरी है।
  • NSP-2017 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन प्रति वर्ष स्टील उत्पादन क्षमता बनाकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी स्टील उद्योग विकसित करना है।

स्रोत: PIB