राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक | 12 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक जलवायु सूचकांक और भारत की रैंकिंग, राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक, नीति आयोग।

मेन्स के लिये:

नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन की दिशा में भारत का योगदान, CoP-26 में जलवायु परिवर्तन के लिये पंचामृत की वकालत, संरक्षण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक (State Energy and Climate Index- SECI) लॉन्च किया। यह पहला सूचकांक है जिसका उद्देश्य जलवायु और ऊर्जा क्षेत्र में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किये गए प्रयासों को ट्रैक करना है।

  • सूचकांक के मापदंडों को जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिये भारत के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

SECI के प्रमुख बिंदु:

  • उद्देश्य: सूचकांक के प्रमुख उद्देश्य:
    • ऊर्जा पहुँच, ऊर्जा खपत, ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण की सुरक्षा में सुधार के प्रयासों के आधार पर राज्यों की रैंकिंग।
    • राज्य स्तर पर सस्ती, सुलभ, कुशल और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के एजेंडे को चलाने में मदद करना।
    • ऊर्जा और जलवायु के विभिन्न आयामों पर राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
  • मुख्य घटक: स्टेट एनर्जी एंड क्लाइमेट इंडेक्स (SECI) राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को छह मापदंडों पर रैंक प्रदान करता है:
    • डिस्कॉम' (विद्युत वितरण कंपनियाँ) प्रदर्शन।
    • सामर्थ्य पहुँच और ऊर्जा की विश्वसनीयता।
    • स्वच्छ ऊर्जा पहल।
    • ऊर्जा दक्षता।
    • पर्यावरणीय स्थिरता।
    • नई पहल।
  • वर्गीकरण: SECI स्कोर के परिणाम के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है- फ्रंट रनर, अचीवर्स और एस्पिरेंट्स।
    • शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: गुजरात, केरल और पंजाब को नीति आयोग के SECI में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले तीन राज्यों के रूप में चुना गया है।
      • छोटे राज्यों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले तीन राज्य हैं: गोवा, त्रिपुरा और मणिपुर
    • असंतोषजनक प्रदर्शन: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड राज्यों को सबसे नीचे रखा गया।

SECI-Score

  • आवश्यकता: भारत एक संसाधन संपन्न और विविधतापूर्ण देश है। इसके कई राज्य क्षेत्रफल, जनसंख्या और संसाधनों की विविधता के मामले में यूरोपीय संघ के देशों से तुलनीय हैं।
    • इस प्रकार एक ही आकार के सभी दृष्टिकोण (One-Size-Fits-All approach) सभी राज्यों के लिये उपयुक्त नहीं है क्योंकि प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश (UT) संस्कृति, भूगोल और ऊर्जा संसाधनों के उपयोग के संदर्भ में भिन्न है।
    • प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के पास अपनी क्षमता और क्षमता का दोहन करने के लिये अपनी स्वयं की नीति होना अनिवार्य है।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारत की प्रतिबद्धताएंँ:

  • प्रधानमंत्री ने CoP26 शिखर सम्मेलन में जलवायु कार्रवाई के लिये भारत की ओर से पाँच प्रतिबद्धताएँ प्रस्तुत कीं, इनमें शामिल हैं:
    • वर्ष 2030 तक भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट (GW) तक बढ़ाना।
    • वर्ष 2030 तक भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना।
    • वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% से अधिक की कमी करना।
    • अब से वर्ष 2030 तक इसके शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करना।
    • वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।

Summarised-list-of-Global-indices

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शुरू किया गया था।
  2. गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

  • भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांँसीसी राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का शुभारंभ किया गया था। अत: कथन 1 सही है।
  • प्रारंभिक चरण में आईएसए को कर्क रेखा और मकर रेखा (उष्ण क्षेत्र) के बीच पूर्ण या आंशिक रूप से स्थित देशों की सदस्यता के लिये खोल गया था। वर्ष 2018 में ISA की सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिये खोली गई थी। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य नहीं हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • अत:  विकल्प (A) सही उत्तर है।

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये थे और यह वर्ष 2017 में लागू हुआ। 
  2. समझौते का लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है, ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। 
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विकासशील देशों की मदद करने हेतु वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 1000 बिलियन डॉलर का दान करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

  • पेरिस समझौते को दिसंबर 2015 में पेरिस, फ्राँस में COP21 में पार्टियों के सम्मेलन (COP) द्वारा संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के माध्यम से अपनाया गया था। यह 4 नवंबर, 2016 को लागू हुआ। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है, ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। अत: कथन 2 सही है।
  • वर्ष 2010 में कानकुन समझौतों के माध्यम से विकसित देशों ने विकासशील देशों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वर्ष 2020 तक प्रतिवर्ष संयुक्त रूप से 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लक्ष्य के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।
  • इसके अलावा वे इस बात पर भी सहमत हुए कि वर्ष 2025 से पहले पेरिस समझौते के तहत प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: द हिंदू