कोरोनावायरस का नया स्वरूप | 11 Jan 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने कोरोनावायरस के दक्षिण अफ्रीकी उपभेद/स्ट्रेन (Strain) के संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की है।  

प्रमुख बिंदु: 

क्या है कोरोनावायरस का दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन?

  • दक्षिण अफ्रीका में कोरोनोवायरस के स्पाइक प्रोटीन में N501Y उत्परिवर्तन की पुष्टि के कारण इस स्ट्रेन को 501Y.V2 का नाम दिया गया है, गौरतलब है कि कोरोनावायरस शरीर के अंदर कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिये इसी प्रोटीन का उपयोग करता है।  
    • स्पाइक प्रोटीन में यह परिवर्तन संभवतः वायरस के व्यवहार को संक्रमित करने की इसकी क्षमता, बीमारी की गंभीरता या टीके द्वारा प्राप्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच जाने आदि रूपों में प्रभावित कर सकता है। 
  • यह उत्परिवर्तन यूके द्वारा WHO को अधिसूचित नए स्ट्रेन (Strain) में भी पाया गया था।
    • हालाँकि ब्रिटेन में देखे गए उत्परिवर्तित वायरस में भी N501Y उत्परिवर्तन पाया गया है परंतु जातिवृत्तीय विश्लेषण से पता चलता है कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया 501Y.V2 वायरस वेरिएंट अलग है।   
    • जातिवृत्तीय विश्लेषण (Phylogenetic Analysis) एक प्रजाति या जीवों के एक समूह या जीव के एक विशेष लक्षण के क्रमगत विकास का अध्ययन है। 

चिंताएँ: 

  • प्रारंभिक परीक्षणों से पता चला है कि SARS-CoV2 के खिलाफ प्रभावी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोरोनावायरस के दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ कम प्रभावी हैं।

टीकाकरण का प्रभाव: 

  • वर्तमान में यूके और दक्षिण अफ्रीका की प्रयोगशालाओं में उन लोगों के सीरम का परीक्षण किया जा रहा है जिनको COVID-19 का टीका लगाया जा चुका है, ताकि इस बात की जाँच की जा सके कि क्या यह टीका दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन को  बेअसर कर सकता है या नहीं।

वायरस उत्परिवर्तन की निगरानी:

  • वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग और ‘ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लूएंज़ा डेटा’ (GISAID) जैसे सार्वजनिक जीनोमिक अनुक्रम डेटाबेस WHO तथा अन्य  भागीदारों को वायरस की शुरुआत से ही इसकी निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
    • GISAID, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा देशों को जीनोम अनुक्रम साझा करने के लिये वर्ष 2008 में शुरू किया गया एक सार्वजनिक मंच है।
    • GISAID पहल मानव वायरस से जुड़े सभी इन्फ्लूएंज़ा वायरस अनुक्रम, महामारी विज्ञान और संबंधित नैदानिक डेटा तथा एवियन एवं अन्य जानवरों  से जुड़े वायरस के भौगोलिक व प्रजाति-विशिष्ट डेटा के अंतर्राष्ट्रीय साझाकरण को बढ़ावा देता है।

भारत में उत्परिवर्ती स्ट्रेन की स्थिति:

  • भारत में ब्रिटेन के उत्परिवर्ती स्ट्रेन के 82 मामले दर्ज किये गए हैं, जबकि अभी तक दक्षिण अफ्रीका के उत्परिवर्ती स्ट्रेन का कोई मामला सामने नहीं आया है।

पूर्व के उत्परिवर्तन:

  • D614G उत्परिवर्तन: 
    • इस विशेष उत्परिवर्तन ने वायरस को मनुष्यों में ACE2 रिसेप्टर के साथ अधिक कुशलतापूर्वक जुड़ने में सहायता प्रदान की, जिससे यह अपने पूर्ववर्ती स्ट्रेन की तुलना में मानव शरीर में प्रवेश करने में अधिक सफल रहा।
    • D614G ने संक्रामकता में वृद्धि के साथ संक्रमित व्यक्ति की नाक और गले के अंदर कोशिकाओं की दीवारों से खुद को जोड़ने में उन्नत क्षमता प्रदर्शित की, जिससे वायरल लोड बढ़ गया।
  • N501Y उत्परिवर्तन: 
    • इस मामले में स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से में एकल न्यूक्लियोटाइड परिवर्तन हुआ है, इसलिये रोग की जैविक संरचना या इसके निदान पर कोई असर नहीं होगा।
    • इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह स्ट्रेन अधिक संक्रामक या उपचार अथवा टीकाकरण के प्रति अधिक गंभीर/प्रतिरोधी है।

उत्परिवर्तन (Mutation)

  • उत्परिवर्तन का तात्पर्य वायरस के आनुवंशिक अनुक्रम में परिवर्तन से है। 
    • SARS-CoV-2 जो कि एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस है, के मामले में उत्परिवर्तन अथवा म्यूटेशन का तात्पर्य उस अनुक्रम में परिवर्तन से है जिसमें उसके अणु व्यवस्थित होते हैं।
    • SARS-CoV-2 कोविड-19 के लिये उत्तरदायी वायरस है।
    • RNA एक महत्त्वपूर्ण जैविक बृहद् अणु (Macromolecule) है जो सभी जैविक कोशिकाओं में उपस्थित होता है।
      • यह मुख्य रूप से प्रोटीन संश्लेषण में शामिल होता है। यह डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic acid- DNA) के निर्देशों द्वारा नियंत्रित होता है, इसमें जीवन के विकास एवं रक्षण हेतु आवश्यक आनुवंशिक निर्देश शामिल होते हैं।
    • डीएनए एक कार्बनिक रसायन है, जिसमें आनुवंशिक जानकारी तथा प्रोटीन संश्लेषण के लिये निर्देश शामिल होते हैं। यह प्रत्येक जीव की अधिकांश कोशिकाओं में पाया जाता है।
  • RNA वायरस में उत्परिवर्तन प्रायः तब होता है जब स्वयं की प्रतिकृति बनाते समय वायरस से कोई चूक हो जाती है।
    • यदि उत्परिवर्तन/म्यूटेशन के परिणामस्वरूप प्रोटीन संरचना में कोई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होता है तो ही किसी बीमारी के प्रकार में बदलाव हो सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस