भारत में सामाजिक उद्यमिता | 16 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सामाजिक उद्यमी, गरीबी, पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) निवेश

मेन्स के लिये:

भारत में सामाजिक उद्यमिता, सामाजिक उद्यमियों का महत्त्व, विकास से संबंधित मुद्दे, वृद्धि और विकास

चर्चा में क्यों?

व्यवसायों और सरकारों के लिये वैश्विक सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में निर्णय लेने हेतु सामाजिक उद्यमिता तेज़ी से महत्त्वपूर्ण होती जा रही है।

सामाजिक उद्यमी:

  • परिचय:
    • यह वाणिज्यिक उद्यम के विचार को धर्मार्थ (Charitable) गैर-लाभकारी संगठन के सिद्धांतों के साथ मिश्रित करने वाली अवधारणा है।
    • इसमें सामाजिक असमानताओं को दूर करने हेतु कम लागत वाले उत्पादों एवं सेवाओं से जुड़े व्यावसायिक मॉडल के विकास पर ज़ोर दिया जाता है।
    • यह अवधारणा आर्थिक पहल को सफल बनाने में मदद करती है और इसके तहत किये जाने वाले सभी निवेश सामाजिक एवं पर्यावरणीय मिशन पर केंद्रित होते हैं।
    • सामाजिक उद्यमियों को सामाजिक नवप्रवर्तनकर्त्ता (Social Innovators) भी कहा जाता है। वे परिवर्तनकारी एजेंट के रूप में कार्य करते हैं और अपने अभिनव विचारों का उपयोग करके महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करते हैं।
    • वे समस्याओं की पहचान करते हैं और अपनी योजना के माध्यम से उनका समाधान करते हैं।
    • सामाजिक उत्तरदायित्व (Social Responsibility) और ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) निवेश के साथ-साथ सामाजिक उद्यमिता की अवधारणा भी तेज़ी से विकसित हो रही है।
    • सामाजिक उद्यमिता के उदाहरणों में- गरीब बच्चों के लिये शैक्षिक कार्यक्रम शुरू करना, पिछड़े क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करना और महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद करना शामिल है।

सामाजिक उद्यमियों का महत्त्व:

  • सामाजिक समस्याओं पर ध्यान देना: सामाजिक उद्यमी मुख्य रूप से सामाजिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिये सामाजिक व्यवस्था के निर्माण हेतु उपलब्ध संसाधनों को जुटाकर नवाचार की पहल करते हैं।
  • सामाजिक क्षेत्र में बदलाव के एजेंट: सामाजिक उद्यमी समाज में परिवर्तनकर्त्ताओं के रूप में कार्य करते हैं और इस रूप में मानव जाति के विकास में योगदान के लिये दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।
    • वे न केवल समाज में एक मज़बूत उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में बदलाव के एजेंट के रूप में भी कार्य करते हैं।
  • परिवर्तन लाना: वे सामाजिक मूल्यों के सृजन और उसे बनाए रखने के लिये एक मिशन को अंगीकार करते हैं। वे नए अवसरों की पहचान करते हैं और उनका सख्ती से पालन करते हैं। वे लगातार नवाचार, अनुकूलन और लर्निंग की प्रक्रिया में संलग्न होते हैं।
  • जवाबदेही में बढ़ोतरी: वे उपलब्ध संसाधनों तक सीमित रहे बिना साहसपूर्वक कार्य करते हैं और लक्षित समूहों के प्रति उच्च जवाबदेही का प्रदर्शन करते हैं।
  • लोगों के जीवन में सुधार: लोग नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस जैसे सामाजिक उद्यमियों की ओर आकर्षित होते हैं, वहीं कई कारणों से वे स्टीव जॉब्स जैसे व्यावसायिक उद्यमियों का अनुसरण करते है, ये असाधारण लोग शानदार विचारों के साथ आते हैं और सभी बाधाओं के खिलाफ नए उत्पादों को बनाने तथा सेवाओं को प्रदान करने में सफल होते हैं जिससे लोगों के जीवन में नाटकीय रूप से सुधार होता है।
  • समावेशी समाज को प्राप्त करने में सहायता: वे ज़मीनी स्तर पर समावेशी सुधार और समुदायों के पुनर्निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

सामाजिक उद्यमियों का भारत के विकास में योगदान:

  • कोई अन्य गैर-लाभ नहीं:
    • भारत के विकास क्षेत्र में तेज़ी से परिवर्तन आया है, जिसमें लाभकारी सामाजिक उद्यमों की स्थापना शामिल है जो अब "गैर-लाभकारी" या "कम-लाभ" वाले उद्यमों तक सीमित नहीं हैं।
      • ये लाभकारी सामाजिक उद्यम दान या अनुदान के बिना अपने संचालन के लिये पर्याप्त धन अर्जित कर सकते हैं।
  • सामाजिक प्रभाव निवेश:
    • भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण विकासात्मक मांगों को पूरा करने में सक्षम होने के लिये देश के सामाजिक उद्यमियों को पोषित, प्रोत्साहित और सम्मानित किया जा रहा है
    • प्रभाव निवेशक परिषद (Impact Investors Council-IIC) के अनुसार, भारत में लगभग 600 उद्यम अब 500 मिलियन लोगों को लाभान्वित करते हैं, जो 9 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक की पूंजी को आकर्षित करते हैं।
      • प्रभाव निवेशक परिषद (IIC) भारत में प्रभावी निवेशकों का प्रमुख राष्ट्रीय उद्योग संघ है।
      • इसका मिशन प्रभावशाली निवेश परिसंपत्ति वर्ग विकसित करते हुए देश में सामाजिक निवेश अंतर को समाप्त करने के लिये निजी पूंजी को प्रोत्साहित करना है।
  • सामाजिक नवाचार आंदोलन को मज़बूत करना:
    • आज के सामाजिक उद्यमी भारत के विकास में योगदान देने वाले मौलिक नवप्रवर्तक और गतिशील समस्या-समाधानकर्त्ता बन गए हैं।
    • ये उद्यम अद्वितीय समस्याओं को नवोन्मेषी रूप से हल करने के लिये घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के रणनीतिक सहयोग की तलाश में हैं।
    • प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग तथा सरकार द्वारा तेज़ी से डिजिटलीकरण की पहल ने उनके नवाचार को और आसान बना दिया है।
  • सरकार का समर्थन:
    • सोशल स्टॉक एक्सचेंज की घोषणा और आसन्न लॉन्च के साथ-साथ स्टार्टअप्स के लिये सरकारी समर्थन ने भारत में सामाजिक उद्यमिता हेतु अधिक सकारात्मक माहौल का मार्ग प्रशस्त किया है।
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने हाल ही में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिये रूपरेखा जारी की है, जिससे सामाजिक उद्यमियों हेतु अधिक धन जुटाना और अपने प्रभाव का विस्तार करना एवं तेज़ी से पहुँचना संभव हो गया है।
  • स्थिरता और बहुआयामी दृष्टिकोण:
    • व्यवसाय और सरकार दोनों ही स्थिरता के महत्त्व के बारे में तेज़ी से जागरूक हो रहे हैं।
    • सामाजिक उद्यमी और उनके व्यवसाय मॉडल हमेशा स्थिरता ढाँचे पर कार्य करते रहे हैं।
    • सरकार और कॉरपोरेट फर्म न केवल अपने व्यवसाय मॉडल से प्रेरणा लेने और उनसे सीखने वाले कार्यों को शामिल करने के लिये तैयार हैं, बल्कि इन उद्यमों को आगे बढ़ने में सहायता करने हेतु भी तैयार हैं।
    • इसके अतिरिक्त समाज में प्रचलित सामाजिक-आर्थिक अंतराल को कम करने के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
      • उदाहरण के लिये वित्तीय संसाधनों की कमी के अलावा गरीबी के सांस्कृतिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक आयाम भी हैं, जो भेदभाव, बहिष्कार, असुरक्षा, भेद्यता, शक्तिहीनता एवं अस्वीकृति के रूप में प्रकट होते हैं।
      • सामाजिक उद्यमी मॉडल प्रत्येक समस्या के लिये अनुकूलन प्रदान करते हैं, इसलिये किसी मुद्दे के सभी आयामों को संबोधित कर सकते हैं।

आगे की राह

  • अमृत काल (25 वर्ष की अवधि वर्ष 2047 तक) में उद्देश्य, दृष्टि, मूल्य और लोकाचार से प्रेरित सामाजिक कार्यों के इन उत्साही लोगों पर एक बड़ा सामाजिक आर्थिक प्रभाव पैदा करने के लिये अधिक ज़िम्मेदारी लेने तथा अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिये भरोसा किया जा सकता है।
    • एक दशक से अधिक समय से श्वाब (Schwab) फाउंडेशन फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप, विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) की एक सहयोगी संस्था और जुबिलेंट भारतीय फाउंडेशन ने अपने वार्षिक सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ ईयर (Social Entrepreneur of the Year-SEOY) इंडिया अवार्ड के माध्यम से भारत में सामाजिक उद्यमिता का पोषण किया है। SEOY अवार्ड इंडिया-2022 इस पुरस्कार का 13वाँ संस्करण है।
    • इस वर्ष के पुरस्कार के उच्च प्रभाव वाले विजेता उपरोक्त संकेतों को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करते हैं और हमें आश्वस्त करते हैं कि अगले 25 वर्षों में जब भारत अपनी स्वतंत्रताा की 100वीं वर्षगाँठ मनाएगा तब सामाजिक उद्यम देश में बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे होंगे।
  • सामाजिक उद्यमियों के लिये कार्यक्रमों को शुरू करना, महामारी से प्रेरित अंतरालों को कम करना, मौज़ूदा पहलों को बढ़ाना और मुख्यधारा की प्रतिक्रिया प्रणाली का हिस्सा बनना वर्तमान समय की आवश्यकता है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स