स्किल इम्पैक्ट बॉण्ड | 06 Aug 2025
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
जैसे-जैसे भारत आर्थिक विकास और समावेशी विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है, वैसे-वैसे स्किल इम्पैक्ट बॉण्ड (SIB) जैसे नवाचारी मॉडल उभर रहे हैं, जो विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों तथा महिलाओं के बीच कौशल विकास एवं रोज़गार से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में सहायक साबित हो रहे हैं।
- स्किल इम्पैक्ट बॉण्ड (SIB) 2025 रिपोर्ट से पता चलता है कि झारखंड में नामांकित प्रशिक्षुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है तथा परिधान क्षेत्र में नामांकन में महिलाओं का वर्चस्व बना हुआ है, हालाँकि महिलाओं की प्रतिधारण व नियुक्ति दरों में सुधार के बावजूद लैंगिक आधारित वेतन असमानताएँ बनी हुई हैं।
स्किल इम्पैक्ट बॉण्ड (SIB) क्या है?
- परिचय: SIB भारत का पहला विकास प्रभाव बॉण्ड (Development Impact Bond- DIB) है, जिसे वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था। यह मॉडल मुख्य रूप से कौशल विकास और रोज़गार उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
- यह नामांकन से हटकर प्लेसमेंट और प्रतिधारण जैसे परिणामों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह सामाजिक और विकास संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिये निजी क्षेत्र के वित्तपोषण का उपयोग करता है।
- उद्देश्य: 50,000 युवाओं को कौशल प्रदान करना, जिनमें 60% महिलाएँ हों, विशेष रूप से हाशिए पर स्थित और ग्रामीण पृष्ठभूमि से, तथा यह सुनिश्चित करना कि कम-से-कम 30,150 युवाओं को 3+ महीने तक नौकरी मिलती रहे।
- SIB रिपोर्ट 2025 की मुख्य विशेषताएँ:
- शीर्ष राज्य: झारखंड (27%), ओएफ, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना में सबसे अधिक नामांकन है।
- लोकप्रिय क्षेत्र:
- महिलाएँ: मुख्य रूप से परिधान में प्रशिक्षित, खुदरा, IT-सक्षम सेवाओं (ITeS) और BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा) में उनकी संख्या बढ़ रही है।
- पुरुष: निर्माण क्षेत्र से ऑटोमोटिव और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों की ओर बढ़ना।
- महिला-नेतृत्व कौशल: 23,700 से अधिक प्रशिक्षुओं में से 72% से अधिक कमज़ोर पृष्ठभूमि की महिलाएँ थीं। महिलाओं की प्रमाणन दर 92% तक पहुँच गई और रोज़गार प्राप्ति 81% रही। महिलाओं में स्व-रोज़गार 6% से बढ़कर 14% हो गया।
- बेहतर रोज़गार के परिणाम: सभी प्रशिक्षुओं में से 75% को नौकरी मिल गई और 60% राष्ट्रीय औसत से तीन महीने से अधिक समय तक रोज़गार में रहे। महिलाओं का रोज़गार 35% से बढ़कर 48% हो गया।
- लिंग वेतन अंतर: समान नौकरी परिणामों के बावजूद पुरुषों ने महिलाओं (11,500-13,000 रुपये) की तुलना में अधिक कमाया (12,400-15,700 रुपये)।
भारत में कौशल विकास की स्थिति क्या है?
- कम नियोजनीयता: भारत कौशल रिपोर्ट, 2024 के अनुसार, भारत में मूल्यांकन किये गए युवाओं में केवल 51.25% के पास ही आवश्यक कौशल हैं जो उन्हें रोज़गार योग्य बनाते हैं।
- कम औपचारिक प्रशिक्षण: आर्थिक सर्वेक्षण 2023–24 के अनुसार, केवल 4.4% युवा औपचारिक रूप से प्रशिक्षित हैं, जबकि 16.6% को अनौपचारिक रूप से प्रशिक्षण प्राप्त है।
- उद्योग में कौशल की कमी: मैनपावरग्रुप (अमेरिका स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी) के वर्ष 2025 ग्लोबल टैलेंट शॉर्टेज सर्वेक्षण के अनुसार, 75% वैश्विक नियोक्ताओं को कुशल कार्यबल खोजने में कठिनाई हो रही है।
- भारत में ML इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, डेवऑप्स इंजीनियर और डेटा आर्किटेक्ट जैसे प्रमुख पदों में 60% से 73% तक मांग-आपूर्ति का अंतर है।
- अल्परोज़गार (Underemployment): आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 के अनुसार, 50% से अधिक स्नातक और 44% परास्नातक निम्न-कौशल वाली नौकरियों में कार्यरत हैं, जो कार्यबल के अप्रभावी उपयोग को दर्शाता है।
- महिलाओं की सीमित भागीदारी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, भारत में STEM छात्रों में महिलाओं की संख्या 40% है, लेकिन STEM पेशेवरों में उनकी संख्या केवल 14-27% है।
भारत में कौशल विकास में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- असंगत गुणवत्ता और अवसंरचना की कमी: कई ITI, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, प्रशिक्षित प्रशिक्षकों और आधुनिक उपकरणों की कमी से जूझ रहे हैं, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता तथा युवाओं की रोज़गार क्षमता दोनों ही प्रभावित होती हैं।
- उद्योग से जुड़ाव की कमी और कौशल का असंतुलन: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और स्किल इंडिया जैसी योजनाएँ पाठ्यक्रम पूरा करने पर अधिक ध्यान देती हैं, जबकि व्यावहारिक प्रासंगिकता को नजरअंदाज़ किया जाता है।
- AI, साइबर सुरक्षा और हरित ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण की भारी कमी है।
- निजी क्षेत्र की न्यून भागीदारी और ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा: नियमों की जटिलता, प्रोत्साहनों की कमी और शैक्षणिक संस्थानों व उद्योग के बीच कमज़ोर संबंधों के कारण निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है।
- स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH) के बावजूद, कौशल विकास अभी भी शहरी क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिससे 90% अनौपचारिक कार्यबल को दरकिनार कर दिया जाता है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार, केवल 10% ग्रामीण श्रमिकों को ही औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त होता है।
प्रमुख कौशल विकास योजनाएँ और पहल
- स्किल इंडिया मिशन
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS)
- इंडिया स्किल्स एक्सेलेरेटर (ISA)
- प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (PMKK)
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
- SANKALP (आजीविका संवर्द्धन के लिये कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता)
- STRIVE (औद्योगिक मूल्य संवर्द्धन के लिये कौशल सुदृढ़ीकरण)
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)
- पूर्व शिक्षा की मान्यता (RPL)
भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये?
- समावेशी ग्रामीण कौशल: कृषि-तकनीक, खाद्य प्रसंस्करण और शिल्प पर केंद्रित ग्रामीण कौशल और आजीविका मिशन शुरू करना। मोबाइल केंद्रों, ग्राम केंद्रों और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों का उपयोग करना।
- भविष्य के लिये तैयार और डिजिटल कौशल: पाठ्यक्रम को उद्योग 4.0, हरित नौकरियों और डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ संरेखित करना।
- सेक्टर स्किल काउंसिल (SSC) MSME और गिग प्लेटफॉर्म के साथ मिलकर पाठ्यक्रम तैयार करेंगे।
- AI-आधारित बहुभाषी सामग्री और टियर-2/3 शहरों में 5G-सक्षम हब के साथ स्किल इंडिया डिजिटल हब का विस्तार करना।
- शिक्षा एकीकरण और महिला कौशल: NEP 2020 के तहत स्कूल स्तर से व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू करना और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के साथ जोड़ना।
- अनुकूल प्रशिक्षण, डिजिटल पहुँच, बाल देखभाल, अनुदान और मार्गदर्शन के माध्यम से STEM, वित्त और गिग भूमिकाओं में महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देना।
- निगरानी, सॉफ्ट स्किल्स और जवाबदेही: जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये AI-संचालित डैशबोर्ड, परिणाम-आधारित फंडिंग, जियो-टैगिंग, बायोमेट्रिक उपस्थिति और तीसरे पक्ष के ऑडिट का उपयोग करना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्परिभाषित करने में स्किल इम्पैक्ट बॉन्ड (SIB) पहल के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। यह परिणाम-आधारित वित्तपोषण में लैंगिक सशक्तीकरण और नवाचार को कैसे बढ़ावा देता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. "भारत में जनांकिकीय लाभांश तब तक सैद्धांतिक ही बना रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील नहीं हो जाती।" सरकार ने हमारी जनसंख्या को अधिक उत्पादनशील और रोज़गार-योग्य बनने की क्षमता में वृद्धि के लिये कौन-से उपाय किये हैं? (2016) प्रश्न ‘‘व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार्थक बनाने के लिये ‘सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न)’ की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है।’’ टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द) (2021) |