सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम | 22 Oct 2025
प्रीलिम्स के लिये: सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम, संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (UNCRC), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
मेन्स के लिये: परिवार की बदलती संरचना, भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने में स्कूलों, माता-पिता और समाज की भूमिका।
चर्चा में क्यों?
‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एक एपिसोड में एक बच्चे के अमिताभ बच्चन के प्रति अत्यधिक आत्मविश्वासपूर्ण व्यवहार ने जेनरेशन अल्फा में ओवरइंडल्जेंट पेरेंटिंग (अत्यधिक लाड़-प्यार वाले पालन-पोषण) पर बहस छेड़ दी, जिसे विशेषज्ञ ‘सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम’ से जोड़ रहे हैं।
सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम क्या है?
- परिचय: सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम एक ऐसा शब्द है, जो चीन की वन-चाइल्ड पॉलिसी (1979-2015) के दौर से आया है। यह उस स्थिति को दर्शाता है, जिसमें एक बच्चा छह वयस्कों (दो माता-पिता और चार ग्रैंडपेरेंट्स- दादा-दादी, नाना-नानी) के अत्यधिक स्नेह एवं संसाधनों की प्राप्ति का केंद्र बन जाता है।
- इस अत्यधिक लाड़-प्यार (Overindulgence) के कारण बच्चे में हकदारी और यह भावना विकसित होती है कि हर इच्छा पूरी होनी चाहिये, जिससे अनुशासन, धैर्य या सहानुभूति के लिये कम स्थान बचता है।
- भारतीय संदर्भ: भारत में, सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम शहरी मध्यवर्गीय परिवारों में सामान्य है, जहाँ कामकाजी माता-पिता और लाड़-प्यार करने वाले ग्रैंडपेरेंट्स बच्चों की देखरेख करते हैं, उन्हें उपहार तथा छूट प्रदान करते हैं।
- यह अत्यधिक लाड़-प्यार बच्चों में यह भावना उत्पन्न करता है कि वे तुरंत मांग करने और पुरस्कार पाने के योग्य हैं, बिना यह समझे कि प्रयास, सीमाएँ या परिणाम क्या होते हैं।
- सामाजिक दृष्टिकोण: यह दर्शाता है कि समाज ज़िम्मेदारी-आधारित (जहाँ बच्चे योगदान देते और अनुकूलन करते हैं) से अधिकार-आधारित (जहाँ बच्चे आराम और देखभाल के अधिकार का अनुभव करते हैं) समाज की ओर बदल रहा है।
- एर्विंग गॉफमैन का ‘नाटकीय दृष्टिकोण’: यह बताता है कि आधुनिक बच्चे परिवार और मीडिया के प्रभाव में ऐसी भूमिकाएँ निभाना सीखते हैं, जो स्वीकृति आकर्षित करें, बजाय कि चरित्र निर्माण में सहायता करें।
- इस दृष्टिकोण में बचपन नैतिक शिक्षा की बजाय सामाजिक स्वीकृति का मंच बन जाता है।
- ज़िग्मंट बॉमन की ‘लिक्विड मॉडर्निटी’: यह कहती है कि आज का समाज तत्काल संतोष, बदलती पहचान और सामाजिक दृश्यता को दीर्घकालिक भावनात्मक स्थिरता पर प्राथमिकता देता है।
- एर्विंग गॉफमैन का ‘नाटकीय दृष्टिकोण’: यह बताता है कि आधुनिक बच्चे परिवार और मीडिया के प्रभाव में ऐसी भूमिकाएँ निभाना सीखते हैं, जो स्वीकृति आकर्षित करें, बजाय कि चरित्र निर्माण में सहायता करें।
- मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक प्रभाव:
- कम असहनीयता (Low frustration tolerance): बच्चा अस्वीकृति, इनकार या आलोचना को सहन नहीं कर पाता।
- पुरस्कार मांगने वाला व्यवहार (Reward-demanding behaviour): वे प्यार को भौतिक पुरस्कार से जोड़ते हैं और तत्काल संतोष की उम्मीद करते हैं।
- भावनात्मक अपरिपक्वता (Emotional immaturity): धैर्य, सहानुभूति या आत्म-नियंत्रण की सीमित क्षमता।
- निर्भरता और संवेदनशीलता (Dependency and fragility): बच्चा असफलता या सहपाठी दबाव का सामना करते समय स्वायत्तता एवं मानसिक दृढ़ता के साथ संघर्ष करता है।
- गंभीर मामलों में, ऐसे बच्चे अपनी इच्छाओं से वंचित होने पर गुस्सा, आक्रामकता या चिंता प्रदर्शित कर सकते हैं।
- दीर्घकालिक परिणाम: सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम के तहत पाले गए बच्चे प्राय: अहंकारी (Ego-centric) व्यवहार विकसित करते हैं, जो संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।
- समय के साथ, यह उनकी आक्रामकता, नशीली दवाओं के उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा सकता है।
जेनरेशन अल्फा के समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं?
- अधीरता और तत्काल संतोष (Impatience and Instant Gratification): एक क्लिक में समाधान प्राप्त करने तथा कंटेंट की त्वरित उपलब्धता वाली डिजिटल दुनिया में पले-बढ़े जेनरेशन अल्फा को धैर्य रखना व इंतज़ार करना मुश्किल लगता है।
- वे तुरंत परिणाम की उम्मीद करते हैं और प्राय: धैर्य, दृढ़ता एवं असफलता को सहन करने की क्षमता में कमी रखते हैं।
- अत्यधिक आत्मविश्वास और हकदारी (Overconfidence and Entitlement): घर और ऑनलाइन दोनों जगह लगातार स्वीकृति मिलने से योग्यता के बिना अत्यधिक आत्मविश्वास विकसित होता है।
- इसका परिणाम होता है कम विनम्रता, आलोचना स्वीकारने में कठिनाई और अवास्तविक आत्म-धारणा।
- व्यावहारिक मानदंडों का क्षरण (Erosion of Behavioural Norms): जैसे-जैसे सामाजिक इंटरैक्शन स्क्रीन के माध्यम से बढ़ रहे हैं, बच्चे वरिष्ठों, अधिकार और सामाजिक शिष्टाचार के प्रति कम सम्मान दिखाते हैं।
- बिना फिल्टर वाले ऑनलाइन कंटेंट के संपर्क में आने से भाषा और व्यवहार में अनौपचारिकता एवं अपमानजनकता सामान्य हो जाती है।
- भावनात्मक संवेदनशीलता और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ (Emotional Fragility and Mental Health Issues): अत्यधिक संरक्षण और सोशल मीडिया पर लगातार तुलना किये जाने से भावनात्मक अनुकूलन कमज़ोर हो जाता है।
- स्कूल जाने वाले बच्चों में दुश्चिंता, चिड़चिड़ापन और आत्म-सम्मान की समस्याओं का स्तर बढ़ता दिख रहा है।
- सामाजिक और सहानुभूतिपूर्ण कौशल में गिरावट (Declining Social and Empathic Skills): आमने-सामने बातचीत कम होने से उनकी भावनाओं को समझने, मतभेदों पर बातचीत करने या झगड़े को संभालने की क्षमता कम हो जाती है।
- वर्चुअल कनेक्शन प्राय: वास्तविक मित्रता की जगह ले लेते हैं, जिससे भावनात्मक अलगाव पैदा होता है।
- उपभोक्तावाद (Consumerism): इन्फ्लुएंसर संस्कृति भौतिकवाद और प्रदर्शनात्मक जीवन-शैली को बढ़ावा देती है, जहाँ आत्म-मूल्य दृश्यता एवं संपत्ति पर निर्भर होता है।
- प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भरता (Overdependence on Technology): प्रारंभिक डिजिटल संपर्क से सृजनात्मकता में कमी, ध्यान अवधि में संक्षिप्तता और लत वाला व्यवहार उत्पन्न होता है।
- स्वतंत्र रूप से समस्याओं को हल करने या आलोचनात्मक रूप से सोचने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
- डेटा और गोपनीयता जोखिम (Data and Privacy Risks): जेनरेशन अल्फा पहली पूरी तरह डेटा-आधारित पीढ़ी है, जिसकी जानकारी जन्म से ही संग्रहित की जाती है।
- यह कानूनी और नैतिक चिंताएँ उत्पन्न करता है, जो डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 और संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (UNCRC) के बाल अधिकार प्रावधानों के तहत आती हैं।
जेनरेशन अल्फा के लिये पालन-पोषण और समाज का सुधारात्मक मॉडल क्या हो सकता है?
- पुरस्कार को अधिकार नहीं, बल्कि प्रयास से जोड़ें: बच्चों को खास सुविधाएँ तभी मिलनी चाहियें, जब वे अपना कार्य संपन्न करें। इससे ‘मुझे इनाम मिलना ही चाहिये’ जैसी मानसिकता (जैसे कि सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम में देखी जाती है) से बचा जा सकता है।
- UNCRC अनुच्छेद 5 द्वारा समर्थित, जो बच्चे की विकसित होती क्षमताओं के अनुरूप मार्गदर्शन और निर्देश पर ज़ोर देता है।
- भावनात्मक लचीलापन उत्पन्न करना: नियंत्रित विफलता, रचनात्मक आलोचना और समस्या-समाधान से धैर्य, अनुकूलनशीलता एवं भावनात्मक विनियमन का विकास होता है।
- भारत की राष्ट्रीय बाल नीति (2013) स्कूलों और समुदायों में लचीलापन निर्माण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करती है।
- उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना: सहानुभूति, सहयोग और नागरिक उत्तरदायित्व सिखाने के लिये कार्य सौंपना, सहकर्मी समूह की गतिविधियाँ एवं सामुदायिक सहभागिता करना, जो सामाजिक उत्तरदायित्व के विकास और सामाजिक मूल्यों के प्रति सम्मान में सहायक होता है।
- स्नेह और सीमाओं में संतुलन बनाए रखना: परिवारों को बच्चों में अत्यधिक लाड़-प्यार और आवेगी अधिकार की भावना को रोकना चाहिये। संयुक्त परिवार का सहयोग भी अनुशासन को मज़बूत करे, न कि लाड़‑प्यार की भरपाई करे।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 जैसे भारतीय कानूनी ढाँचे बच्चों के नैतिक विकास के मार्गदर्शन में परिवार की भूमिका पर ज़ोर देते हैं।
- डिजिटल एक्सपोजर को विनियमित करना: ऑनलाइन गतिविधि, सोशल मीडिया उपयोग और रियलिटी TV एक्सपोजर पर नज़र रखें।
- सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के दिशा-निर्देश साइबर धमकी, शोषणकारी सामग्री एवं ऑनलाइन उत्पीड़न से बच्चों की सुरक्षा को अनिवार्य बनाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ, जैसे- बाल ऑनलाइन संरक्षण पर उद्योग के लिये UNICEF के दिशा-निर्देश, आयु-उपयुक्त संपर्क और डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित करते हैं।
- स्कूलों, समुदायों और डिजिटल प्लेटफॉर्मों को सुरक्षित, पोषणकारी एवं अनुशासित वातावरण बनाने के लिये सहयोगात्मक रूप से काम करना चाहिये।
निष्कर्ष
जेनरेशन अल्फा तकनीकी रूप से अत्यधिक सक्षम है, लेकिन भावनात्मक रूप से अभी भी अपरिपक्व है। समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती केवल होशियार बच्चों को तैयार करने की नहीं है, बल्कि ऐसे ज़िम्मेदार, सहानुभूतिपूर्ण और धरातल से जुड़े नागरिकों को गढ़ने की है, जो डिजिटल कौशल के साथ-साथ भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं साझा मूल्यों के प्रति सम्मान का संतुलन बनाए रखें।
दृष्टि मेंस प्रश्न: प्रश्न. ‘सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम’ क्या है और यह शहरी भारत में बदलती पारिवारिक संरचनाओं एवं पालन-पोषण के तरीकों को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है? |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):
1. सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम क्या है?
इसका तात्पर्य एक ऐसे बच्चे से है, जिसे छह वयस्कों (दो माता-पिता और चार ग्रैंडपेरेंट्स - दादा-दादी, नाना-नानी) द्वारा अत्यधिक लाड़-प्यार दिया जाता है, जिसके कारण वह अधिकार एवं भावनात्मक निर्भरता की ओर अग्रसर होता है।
2. कौन-सी जेनरेशन सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम से सबसे अधिक प्रभावित है?
जेनरेशन अल्फा (लगभग वर्ष 2010 और 2020 के मध्य पैदा हुए), एकल और डिजिटल रूप से संचालित परिवारों में पले-बढ़े।
3. कौन-सी भारतीय नीतियाँ बाल विकास और लचीलेपन को संबोधित करती हैं?
राष्ट्रीय बाल नीति (2013) एवं किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 मार्गदर्शन, नैतिक विकास तथा पारिवारिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर देते हैं।
4. कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय ढाँचा ज़िम्मेदार पालन-पोषण और बाल अधिकारों का समर्थन करता है?
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC) में बच्चे की विकसित होती क्षमताओं के अनुरूप माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
मेंस
प्रश्न. बच्चों को दुलारने की जगह अब मोबाइल फोन ने ले ली है। बच्चों के समाजीकरण पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2023)