काराकोरम रेंज में ग्लेशियरों पर मौसमी प्रभाव | 09 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

ग्लेशियल सर्ज, काराकोरम श्रेणी, काराकोरम श्रेणी के ग्लेशियर

मेन्स के लिये:

वैश्विक तापन और ग्लेशियर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' (Department of Science and Technology- DST) के स्वायत्त संस्थान 'वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी' (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG)- देहरादून के वैज्ञानिकों द्वारा काराकोरम श्रेणी के ग्लेशियरों का अध्ययन किया गया।  

प्रमुख बिंदु:

  • अध्ययन के अनुसार, हाल ही में काराकोरम श्रेणी के 220 अधिक गलेशियरों में ‘ग्लेशियल सर्ज’ (Glacial surges) की घटना देखने को मिली।
  • अध्ययन के अनुसार, ग्रीष्मकाल में  पिघले हुए जल के प्रणालीगत प्रवाह (Channelised Flow) के कारण गर्मियों में ‘ग्लेशियल सर्ज’ मे वृद्धि रुक जाती है। 

ग्लेशियर:

  • पृथ्वी पर परत के रूप में हिम प्रवाह या पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह के रूप में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं।

ग्लेशियल सर्ज (Glacial surges):

  • ‘ग्लेशियल सर्ज’ एक अल्पकालिक घटना है जिसमें ग्लेशियर की लंबाई तथा आयतन में वृद्धि देखने को मिलती है। 
  • इस प्रकार ग्लेशियर सर्ज की घटना हिमालय के अधिकांश ग्लेशियरों; जिनके आयतन तथा लंबाई में कमी देखी गई है, के विपरीत घटना है। इन ग्लेशियर की गति सामान्य से 100 गुना अधिक तक देखने को मिलती है।

ग्लेशियल सर्ज (Glacial surges) की चक्रियता:

  • ग्लेशियर सर्ज अर्थात ग्लेशियरों के आगे बढ़ने की क्रिया एक स्थिर गति से न होकर चक्रीय प्रवाह के रूप में होती है।
  • इस तरह के ग्लेशियरों के चक्रीय दोलन को सामान्यत: दो चरणों में वर्गीकृत किया गया है: 
  • सक्रिय (वृद्धि) चरण (Active  Phase):  
    • इसमें ग्लेशियरों का तीव्र प्रवाह होता है तथा यह कुछ महीनों से कुछ वर्ष तक हो सकता है। 
  • निष्क्रिय चरण (Quiescent Phase): 
    • यह धीमी प्रक्रिया है तथा कई वर्षों तक कार्य करती है। 

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • पूर्व में ऐसा माना जाता था कि ग्लेशियर की गति का निर्धारण ग्लेशियर की भौतिक विशेषताओं यथा- मोटाई, आकार तथा उस क्षेत्र द्वारा निर्धारित किया जाता है जहाँ ये ग्लेशियर पाए पाते हैं।
  • वर्तमान में वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि ग्लेशियरों की गति को न केवल उनकी भौतिक विशेषताओं से अपितु ये बाह्य कारकों से भी प्रभावित होती है।
  • इन बाह्य कारकों में वर्षा की मात्रा और पिघला हुआ जल प्रमुख भूमिका निभाता है। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि इन दोनों कारकों में वैश्विक तापन के कारण वृद्धि होती है।

‘ग्लेशियर सर्ज’ चिंता विषय क्यों?

  • ये ग्लेशियर काराकोरम के कुल हिमाच्छादित क्षेत्र के 40% का प्रतिनिधित्व करते हैं। ‘ग्लेशियल सर्ज’ की घटना से से इन क्षेत्रों के गांवों, सड़कों और पुलों का विनाश हो सकता है। 
  • इससे 'झीलों में विस्फोट' की घटना देखने को मिल सकती है जिससे इन क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी जा सकती है। 

अध्ययन का महत्त्व:

  • अध्ययन ग्लेशिययों के व्यवहार को समझने तथा बेहतर आपदा प्रबंधन योजना बनाने में मदद करेगा। इसके लिये ‘ग्लेशियर सर्ज’ की लगतार निगरानी की जानी चाहिये।

काराकोरम श्रेणी:

  • काराकोरम और पीर पंजाल श्रेणी हिमालय श्रेणी के उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण में स्थित है। काराकोरम श्रेणी का एक बड़ा हिस्सा भारत और पाकिस्तान के मध्य विवादित है।
  • काराकोरम की लंबाई लगभग 500 किमी. है तथा इसमें पृथ्वी की कई शीर्ष चोटियाँ स्थित हैं। K2; जिसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है तथा जो दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, काराकोरम श्रेणी में स्थित है।
  • हिंदू-कुश श्रेणी जो काराकोरम श्रेणी का ही विस्तार माना जाता है अफगानिस्तान में स्थित है। ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद काराकोरम में सबसे अधिक ग्लेशियर हैं। सियाचिन ग्लेशियर और बिआफो(Biafo) ग्लेशियर; जो दुनिया के क्रमश: दूसरे और तीसरे बड़े ग्लेशियर हैं, इस सीमा में स्थित हैं।
Karakoram

स्रोत: पीआईबी