सक्षम पोर्टल और समुद्री शैवाल मिशन: TIFAC | 13 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (Technology Information, Forecasting and Assessment Council- TIFAC) ने दो नई प्रौद्योगिकी पहलों- सक्षम (Saksham) नाम से एक जॉब पोर्टल तथा समुद्री शैवाल की व्यावसायिक खेती एवं इसके प्रसंस्करण के लिये समुद्री शैवाल मिशन (Seaweed Mission) का शुभारंभ किया है।

  • TIFAC का गठन फरवरी 1988 में 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में किया गया। यह भारत में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का आकलन करने और महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में भविष्य के तकनीकी विकास की दिशा निर्धारित करने का कार्य करता है।

प्रमुख बिंदु

सक्षम पोर्टल:

  • पोर्टल के विषय में: 
    • सक्षम (श्रमिक शक्ति मंच) पोर्टल देश भर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) तथा अन्य उद्योगों की ज़रूरतों एवं श्रमिकों के कौशल को एक साझा मंच प्रदान करता है। यह एक अखिल भारतीय पोर्टल है।
    • इस पोर्टल के माध्यम से 10 लाख ब्लू कॉलर नौकरियों का सृजन किया जाएगा।
  • विशेषताएँ:
    • उच्च प्रौद्योगिकी: यह अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों में श्रमिकों को उनके कौशल के हिसाब से उद्योगों में संभावित रोज़गार के अवसरों की जानकारी देता है। इसके लिये एलगारिथम (कलन विधि) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का इस्तेमाल किया गया है। इसमें श्रमिकों के कौशल प्रशिक्षण का विश्लेषण करने की सुविधा भी है।
    • ऑटोमेटिक अपडेट: विभिन्न व्हाट्सएप और अन्य लिंक के माध्यम से श्रमिक और उद्योगों (विशेषकर एमएसएमई) से संबंधित डेटा/जानकारी को ऑटोमेटिक रूप से अपडेट (Automatic Updation) किया जा रहा है।
  • लाभ: 
    • यह पोर्टल श्रमिकों और उनके कौशल के बारे में सीधे MSME एवं अन्य नियोक्ताओं को जानकारी देने में भी मदद करेगा।
      • यह पोर्टल श्रमिकों को समीपवर्ती MSME में नौकरी का अवसर प्रदान कर उनके प्रवासन को कम करेगा।
    •  यह उद्योगों में श्रमिकों की ज़रूरतों के लिये बिचौलियों और ठेकेदारों पर निर्भरता को खत्म करेगा।

अन्य संबंधित पहलें:

समुद्री शैवाल मिशन:

  • पृष्ठभूमि:
    • समुद्री शैवाल का वैश्विक उत्पादन 32 मिलियन टन है जिसका मूल्य लगभग 12 अरब अमेरिकी डॉलर है। कुल वैश्विक उत्पादन का 57 प्रतिशत हिस्सा चीन, 28 प्रतिशत इंडो​नेशिया इसके बाद दक्षिण कोरिया और भारत द्वारा 0.01-0.02 प्रतिशत का उत्पादन किया जाता है। 
    • समुद्री शैवालों की खेती के अनेक लाभों के बावजूद भारत में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के समान व्यावसायिक खेती उपयुक्त पैमाने पर नहीं की जाती है।
  • मिशन के बारे में:
    • इसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में समुद्री शैवाल की व्यावसायिक खेती और मूल्य संवर्द्धन के लिये शुरू किया गया है।
    • इस मिशन में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं:
      • आर्थिक रूप से फायदेमंद समुद्री शैवाल की खेती के लिये भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मॉडल फार्म की स्थापना करना।
      • देश में आर्थिक रूप से फायदेमंद समुद्री शैवाल की बड़े पैमाने पर खेती के लिये बीज की आपूर्ति हेतु समुद्री शैवाल नर्सरी की स्थापना करना।
      • उपभोक्ता के खान पान की आदतों के अनुरूप खाद्य समुद्री शैवाल के लिये प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों की स्थापना करना।
      • समुद्री शैवाल के विकास से जुड़ी मूल्य शृंखला, आपूर्ति शृंखला विकास, देश में समुद्री परियोजनाओं के पर्यावणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभावों जैसी गतिविधियों से संबधित आँकड़ों का संग्रह करना।
  • लाभ: समुद्री शैवाल की खेती भारत में 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र या भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के 5% हिस्से में की जाए तो:
    • पाँच करोड़ लोगों को रोज़गार मिल सकता है।
    • एक नया समुद्री शैवाल उद्योग स्थापित हो सकता है।
    • यह राष्ट्रीय जीडीपी में बड़ा योगदान कर सकता है।
    • समुद्री उत्पादों में वृद्धि कर सकता है।
    • शैवालों की जल क्षेत्रों में अनावश्यक भरमार को कम कर सकता है।
    • लाखों टन कार्बन डाइआक्साइड (CO2) को अवशो​षित कर सकता है।
    • जैव ईंधन का 6.6 अरब टन उत्पादन कर सकता है।

समुद्री शैवाल

समुद्री शैवाल के विषय में: 

  • ये  शैवाल जड़, तना और पत्तियों रहित बिना फूल वाले होते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • समुद्री शैवाल पानी के नीचे जंगलों का निर्माण करते हैं, जिन्हें केल्प फारेस्ट (Kelp Forest) कहा जाता है। ये जंगल मछली, घोंघे आदि के लिये नर्सरी का कार्य करते हैं।
  • समुद्री शैवाल की अनेक प्रजातियाँ हैं जैसे- ग्रेसिलिरिया एडुलिस, ग्रेसिलिरिया क्रैसा, ग्रेसिलिरिया वेरुकोसा, सरगस्सुम एसपीपी और टर्बिनारिया एसपीपी आदि।

अवस्थिति: 

  • समुद्री शैवाल ज़्यादातर अंतर-ज्वारीय क्षेत्र (Intertidal Zone) और उथले तथा गहरे समुद्री पानी में पाए जाते हैं, इसके अलावा ये ज्वारनदमुख (Estuary) एवं बैकवाटर (Backwater) में भी पाए जाते हैं।
  • दक्षिण मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) में चट्टानी अंतर-ज्वारीय क्षेत्र और निचले अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में कई समुद्री प्रजातियों की समृद्ध आबादी है।

पारिस्थितिक महत्त्व:

  • जैव संकेतक: समुद्र में कृषि, उद्योग, मत्स्य पालन और घरों से जाने वाला कचरा असंतुलन शैवाल प्रस्फुटन, समुद्री रासायनिक क्षति आदि का कारण बनता है। समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
  • आयरन सीक्वेस्टर: जलीय जीव आयरन पर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। जब इस खनिज की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है तो समुद्री शैवाल इसका अवशोषण करके समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान से बचा लेते हैं। समुद्री शैवालों द्वारा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले अधिकांश भारी धातुओं को अवशोषित कर लिया जाता है।
  • ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों का पूर्तिकर्त्ता: समुद्री शैवाल प्रकाश संश्लेषण और समुद्री जल में मौजूद पोषक तत्त्वों के माध्यम से भोजन प्राप्त करते हैं। ये अपने शरीर के हर हिस्से से ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ये अन्य समुद्री जीवों को भी जैविक पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करते हैं।

जलवायु परिवर्तन के शमन में भूमिका:

  • समुद्री शैवालों की जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कुल समुद्र के सिर्फ 9% हिस्से में मौजूद शैवाल से प्रतिवर्ष लगभग 53 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण किया जा सकता है। इसलिये समुद्री शैवाल की खेती कार्बन के अवशोषण के लिये 'समुद्री वनीकरण' के रूप में की जा सकती है।

अन्य उपयोगिताएँ:

  • इनका उपयोग उर्वरकों के रूप में और जलीय कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये किया जा सकता है।
  • समुद्री शैवाल को मवेशियों को खिलाकर इनसे होने वाले मीथेन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं।
  • इन्हें तट बाँधों के रूप में समुद्र तट के कटाव से निपटने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इनका उपयोग टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन, पेंट आदि तैयार करने में एक घटक के रूप में किया जाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.