चलनिधि प्रबंधन ढाँचे के संबंध में RBI की अनुशंसाएँ | 09 Aug 2025

स्रोत: BS

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंतरिक कार्य समूह (IWG) ने चलनिधि प्रबंधन ढाँचे (Liquidity Management Framework - LMF) की दक्षता और पूर्वानुमेयता में सुधार हेतु अपनी अनुशंसाएँ प्रस्तुत की हैं। यह ढाँचा फरवरी 2020 से कार्यान्वयन में है।

RBI का चलनिधि प्रबंधन ढाँचा (LMF) क्या है?

  • परिचय: LMF मूल रूप से वह उपकरण-संग्रह (toolkit) है, जिसका उपयोग RBI बैंकिंग प्रणाली में उपलब्ध नकदी की मात्रा को नियंत्रित करने, अल्पकालिक ब्याज दरों को दिशा देने और मौद्रिक नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये करता है।
  • मुख्य तंत्र (Core Mechanism): LMF का मूल आधार चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility - LAF) है, जो रेपो और रिवर्स रेपो व्यवस्था के माध्यम से आवश्यकतानुसार चलनिधि को प्रवाहित (inject) या अवशोषित (absorb) करता है।
    • यह ढाँचा आमतौर पर "कॉरिडोर प्रणाली" पर आधारित होता है, जिसमें नीतिगत रेपो दर बीच में स्थित होती है। रातोंरात भारित औसत कॉल दर (Weighted Average Call Rate - WACR) मौद्रिक नीति का मुख्य परिचालन लक्ष्य होती है।
  • LMF के उपकरण: इस ढाँचे में लंबी अवधि और संरचनात्मक चलनिधि समायोजन के लिये खुले बाज़ार का परिचालन (OMO), नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) जैसे अन्य उपकरण भी शामिल हैं।

RBI की अनुशंसाएँ: चलनिधि प्रबंधन ढाँचे (LMF) पर

  • परिचालन लक्ष्य के रूप में WACR को जारी रखना: WG ने सुझाव दिया है कि रातोंरात WACR को मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य बनाए रखा जाए।
    • कारण: WACR का अन्य कोलैटरलयुक्त मनी मार्केट दरों के साथ उच्च सहसंबंध (correlation) पाया गया है।
      • यह मौद्रिक नीति संकेतों के प्रभावी संप्रेषण (transmission) हेतु एक विश्वसनीय माध्यम बना हुआ है।
  • 14-दिन के VRR/VRRR नीलामी को समाप्त करना: 14-दिन के परिवर्ती दर रेपो (VRR) और परिवर्ती दर रिवर्स रेपो (VRRR) नीलामियों को अस्थायी चलनिधि प्रबंधन के प्राथमिक साधन के रूप में समाप्त करने की सिफारिश की गई है।
    • इसके स्थान पर RBI को 7-दिन के रेपो/रिवर्स रेपो और रातोंरात से लेकर 14 दिन तक की अवधि वाले अन्य ऑपरेशनों के माध्यम से अस्थायी चलनिधि का प्रबंधन करना चाहिये।
    • कारण: 14-दिन की VRR/VRRR नीलामियों में कम भागीदारी देखी गई है क्योंकि बैंक अल्पकालिक साधनों जैसे कि स्थायी जमा सुविधा (SDF) को प्राथमिकता देते हैं।.
      • अल्पकालिक परिचालन चलनिधि आवश्यकताओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं।
  • रेपो/रिवर्स रेपो संचालन के लिये पूर्व सूचना: RBI को रेपो या रिवर्स रेपो संचालन की कम से कम एक दिन पूर्व सूचना प्रदान करनी चाहिये। 
    • यदि आवश्यक हो, तो RBI वर्तमान चलनिधि स्थितियों के अनुसार उसी दिन भी संचालन कर सकता है।
    • कारण: पूर्व सूचना से बाज़ार में अनिश्चितता घटती है और मनी मार्केट दरें स्थिर बनी रहती हैं।
  • न्यूनतम CRR आवश्यकता: RBI को 90% दैनिक न्यूनतम CRR बनाए रखने की आवश्यकता को जारी रखना चाहिये।
    • कारण: यह सुनिश्चित करता है कि बैंक पर्याप्त भंडार बनाए रखें, जिससे चलनिधि की कमी से बचा जा सके।

RBI के LMF से संबंधित प्रमुख पद:

  • भारित औसत कॉल दर (Weighted Average Call Rate- WACR): यह वह औसत ब्याज दर है जिस पर बैंक कॉल मनी मार्केट में एक दिन (रात भर) के लिये एक-दूसरे से धन उधार लेते हैं और उधार देते हैं, जो लेन-देन की मात्रा के आधार पर भारित होती है। 
    • मौद्रिक नीति के लिये RBI का मुख्य परिचालन लक्ष्य अल्पकालिक ब्याज दरों का संकेत देना है।
  • परिवर्तनीय दर रेपो (VRR): यह RBI की एक लिखत (Instrument) है जिसका उपयोग अल्पकालिक चलनिधि प्रबंधन के लिये किया जाता है। स्थिर रेपो के विपरीत, जहाँ दर पूर्व-निर्धारित होती है, VRR बाज़ार की माँग के आधार पर उधार दर निर्धारित करने के लिए नीलामी तंत्र का उपयोग करता है।
  • परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (VRRR): यह एक मौद्रिक नीति लिखत है जिसका उपयोग RBI द्वारा नीलामी के माध्यम से अतिरिक्त चलनिधि को अवशोषित करने के लिये किया जाता है, जहाँ बैंक RBI के पास अल्पकालिक जमा रखने के लिये परिवर्तनीय ब्याज दरों पर बोली लगाते हैं तथा बदले में ब्याज कमाते हैं।
    • नियत रिवर्स रेपो दर के विपरीत, VRRR दरें नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से तय होती हैं, जिससे बाज़ार की शक्तियाँ दर निर्धारण में भूमिका निभा पाती हैं और RBI को अतिरिक्त चलनिधि को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करने में सहायता मिलती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. तरलता प्रबंधन और मौद्रिक नीति के सुचारू संचरण को सुनिश्चित करने में तरलता समायोजन फ्रेमवर्क की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।