प्रसाद परियोजनाएँ | 08 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

PRASHAD योजना, स्वदेश दर्शन योजना, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व (CSR), सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)

मेन्स के लिये:

सतत् पर्यटन, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने PRASHAD योजना के तहत "गोवर्धन का विकास, मथुरा" परियोजना के विभिन्न घटकों का उद्घाटन किया।

  • सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण और बुद्ध सर्किट जैसे विभिन्न आध्यात्मिक सर्किटों के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर पर्यटन के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये धन आवंटित किया।

प्रमुख बिंदु

  • ‘प्रसाद’ (PRASHAD) योजना:
    • पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से 'तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू किया गया था।
    • अक्तूबर 2017 में योजना का नाम बदलकर ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ (यानी ‘प्रसाद’) राष्ट्रीय मिशन कर दिया गया।
      • आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की हृदय (HRIDAY) योजना के बंद होने के बाद विरासत स्थलों के विकास को प्रसाद PRASHAD योजना में शामिल किया गया।
    • प्रसाद योजना के तहत विकास के लिये कई धार्मिक शहरों/स्थलों की पहचान की गई है जैसे अमरावती और श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश), कामाख्या (असम), परशुराम कुंड (लोहित ज़िला, अरुणाचल प्रदेश), पटना और गया (बिहार) आदि।
    • कार्यान्वयन एजेंसी: इस योजना के तहत चिह्नित परियोजनाओं को संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकार द्वारा चिह्नित एजेंसियों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।
    • वित्तपोषण तंत्र: केंद्र सरकार सार्वजनिक वित्तपोषण के लिये शुरू किये गए परियोजना घटकों हेतु 100% वित्तपोषण प्रदान करती है।
      • इस योजना के तहत परियोजनाओं की बेहतर स्थिरता के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने का प्रयास किया जाता है।
      • यह योजना इस योजना के तहत परियोजनाओं की बेहतर स्थिरता के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्त पोषण का लाभ उठाने का प्रयास किया जाता है।
      • प्रसाद योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
        • इसके गुणात्मक रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास पर प्रत्यक्ष प्रभाव के लिये तीर्थ यात्रा पर्यटन का उपयोग करना।
      • तीर्थ स्थलों के विकास में गरीब समर्थक पर्यटन अवधारणा और समुदाय आधारित विकास का पालन करना।
      • सार्वजनिक विशेषज्ञता और पूंजी का लाभ उठाना।
      • धार्मिक स्थलों में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांँचे को विकसित करके पर्यटकों के आकर्षण को स्थायी रूप से बढ़ाना।
      • बेहतर जीवन स्तर हेतु आय के स्रोतों में वृद्धि और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों में पर्यटन के महत्त्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना।
      • पहचान किये गए स्थानों में आजीविका उत्पन्न करने हेतु स्थानीय संस्कृति, कला, व्यंजन, हस्तशिल्प आदि को बढ़ावा देना।
  • स्वदेश दर्शन योजना:
    • स्वदेश दर्शन, एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम-आधारित पर्यटक सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था।
      • इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।
    • इस योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय सर्किट के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये राज्य सरकारों / केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करता है।
    • इस योजना की परिकल्पना अन्य योजनाओं जैसे- स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया आदि के साथ तालमेल बिठाने के लिये की गई है, जिसमें पर्यटन क्षेत्र को रोज़गार सृजन हेतु एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करने, आर्थिक विकास के लिये प्रेरणा शक्ति, विभिन्न क्षेत्रों के साथ तालमेल बनाने पर विचार करना है। साथ ही पर्यटन को अपनी क्षमता का एहसास कराने में सक्षम बनाना है।

पर्यटन से संबंधित अन्य सरकारी योजनाएँ:

स्रोत- पी.आई.बी