प्रिलिम्स फैक्ट: 07 अक्तूबर, 2021

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स-2021

(Henley Passport Index-2021)

दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट को प्रदर्शित करने वाले 'हेनले पासपोर्ट इंडेक्स-2021' में भारत को 90वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

प्रमुख बिंदु

  • इंडेक्स के विषय:
    • ‘हेनले पासपोर्ट इंडेक्स’ दुनिया के सभी पासपोर्टों की मूल रैंकिंग है, जो यह बताता है कि किसी एक विशेष देश का पासपोर्ट धारक कितने देशों में बिना पूर्व वीज़ा के यात्रा कर सकता है।
    • यह इंडेक्स मूलतः डॉ. क्रिश्चियन एच. केलिन (हेनले एंड पार्टनर्स के अध्यक्ष) द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी रैंकिंग ‘इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (IATA) के विशेष डेटा पर आधारित है, जो अंतर्राष्ट्रीय यात्रा की जानकारी का दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सटीक डेटाबेस प्रदान करता है।
    • इसे वर्ष 2006 में लॉन्च किया गया था और इसमें 199 देशों के पासपोर्ट शामिल हैं।
  • वैश्विक रैंकिंग
    • इस वर्ष की रैंकिंग में जापान और सिंगापुर को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है तथा इन देशों के पासपोर्ट धारकों को 192 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा करने की अनुमति है, जबकि दक्षिण कोरिया और जर्मनी दूसरे स्थान पर हैं।
      • यह लगातार तीसरी बार है जब जापान ने शीर्ष स्थान हासिल किया है।
    • वहीं इस रैंकिंग में अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, पाकिस्तान और यमन सबसे कम शक्तिशाली पासपोर्ट वाले देश हैं।
  • भारत का प्रदर्शन 
    • भारत इस रैंकिंग में 90वें स्थान पर पहुँच गया है और भारत के पासपोर्ट धारकों को कुल 58 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा करने की अनुमति है।
      • ज्ञात हो कि भारत ताजिकिस्तान और बुर्किना फासो के साथ रैंक साझा कर रहा है।
    • जनवरी 2021 के सूचकांक में भारत 85वें, 2020 में 84वें और 2019 में 82वें स्थान पर था।

रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, 2021

Nobel Prize for Chemistry, 2021

रसायन विज्ञान में 2021 का नोबेल पुरस्कार बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन को असममित ऑर्गेनोकैटलिसिस (Asymmetric Organocatalysis) के विकास के लिये दिया गया।

  • पिछले साल CRISPR-Cas9- डीएनए स्निपिंग "कैंची" के रूप में जानी जाने वाली जीन-संपादन तकनीक विकसित करने के लिये फ्रांसीसी नागरिक इमैनुएल चार्पेंटियर और अमेरिकी जेनिफर डौडना को यह सम्मान दिया गया था।
  • 2021 के लिये भौतिकी और चिकित्सा में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।

प्रमुख बिंदु 

  • ऑर्गेनोकैटलिसिस के विकास के बारे में:
    • उन्होंने अणु निर्माण के लिये एक नया और सरल उपकरण ऑर्गेनोकैटलिसिस विकसित किया है।
      • यह कई शोध क्षेत्र और उद्योग रसायनज्ञों की अणुओं के निर्माण की क्षमता पर निर्भर है जो लोचदार और टिकाऊ सामग्री बना सकते हैं, बैटरी में ऊर्जा स्टोर कर सकते हैं या बीमारियों के प्रसार को रोक सकते हैं। इस कार्य के लिये उत्प्रेरकों की आवश्यकता होती है।
      • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, धातु और एंजाइम के रूप में केवल दो प्रकार के उत्प्रेरक उपलब्ध थे। उत्प्रेरक बिना प्रक्रिया में प्रतिभाग किये इसकी दर को बढ़ाता है।
    • वर्ष 2000 में उन्होंने एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर तीसरे प्रकार के कटैलिसीस (catalysis) का विकास किया। इसे असममित ऑर्गेनोकैटलिसिस कहा जाता है और ये छोटे कार्बनिक अणुओं से बनते हैं।
  • महत्त्व: 
    • इसके उपयोगों में नए फार्मास्यूटिकल्स अनुसंधान शामिल हैं और इससे रसायन विज्ञान के प्रयोगों एवं अनुसंधानों में पर्यावरणीय अनुकूलता बढ़ेगी।
    • उत्प्रेरक (धातु और एंजाइम) की कुछ सीमाएँ थीं।
      • जैसे ये धातुएँ महँगी हैं, इन्हें प्राप्त करना कठिन है और मनुष्यों तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।
      • सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बावजूद अंतिम उत्पाद चुनौतीपूर्ण थे, वे पर्यावरण अनुकूल नहीं थे। अंतिम उत्पादों संबंधी समस्याएँ दवाओं के निर्माण जैसे क्षेत्रों के लिये अधिक चुनौतीपूर्ण थीं।
      • इसके अलावा धातुओं के संक्षारण से बचने हेतु जल और ऑक्सीजन से मुक्त वातावरण की आवश्यकता होती है, जिसे औद्योगिक पैमाने पर सुनिश्चित करना मुश्किल था।
    • दूसरी ओर एंजाइम पानी को रासायनिक प्रतिक्रिया के लिये एक माध्यम के रूप में उपयोग किये जाने की स्थिति में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
  • ऑर्गेनोकैटलिसिस (Organocatalysis):
    • कार्बनिक यौगिक ज़्यादातर प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, जो कार्बन परमाणुओं के ढाँचे के समरूप बने होते हैं और आमतौर पर हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर या फास्फोरस युक्त होते हैं।
    • प्रोटीन एक प्रकार के कार्बनिक रसायन हैं एवं नाइट्रोजन और ऑक्सीजन युक्त कार्बन यौगिक अमीनो एसिड की लंबी शृंखलाएँ हैं।
    • एंजाइम भी प्रोटीन होते हैं, इसलिये ये भी एक प्रकार के कार्बनिक यौगिक हैं। ये कई आवश्यक जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिये ज़िम्मेदार हैं।
    • ऑर्गनोकैटलिसिस एक उत्पादन प्रक्रिया में कई चरणों को एक अखंड अनुक्रम में निष्पादित करने की अनुमति देते हैं तथा रासायनिक निर्माण के उप-उत्पाद के रूप में कचरे को सीमित करते हैं।
    • वर्ष 2000 के बाद से ऑर्गेनोकैटलिसिस एक आश्चर्यजनक गति से विकसित हुआ है। बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन इस क्षेत्र में अग्रणी बने हुए हैं तथा उन्होंने प्रयोगों से सिद्ध किया कि कार्बनिक उत्प्रेरक का उपयोग कई रासायनिक प्रतिक्रियाओं हेतु किया जा सकता है।
      • इन प्रतिक्रियाओं के माध्यम से शोधकर्त्ता अब नए फार्मास्यूटिकल्स से लेकर अणुओं तक किसी का भी निर्माण अधिक कुशलता से कर सकते हैं जो सौर सेल में प्रकाश को अवशोषित कर सकते हैं।
  • असममितऑर्गेनोकैटलिसिस (Asymmetric Organocatalysis):
    • असममित ऑर्गेनोकैटलिसिस नामक प्रक्रिया ने रसायन के दो समान संस्करणों वाले स्वरुप में मौजूद असममित अणुओं का उत्पादन करना बहुत आसान बना दिया है।
    • रसायनज्ञ अक्सर इन समान संस्करणों का उपयोग दावा के क्षेत्र में करना चाहते थे लेकिन ऐसा करने के लिये कुशल तरीकों को खोजना मुश्किल हो गया है।
    • समान संस्करणों वाले कुछ अणुओं में भिन्न गुण होते हैं। एक उदाहरण कार्वोन नामक रसायन है, जिसके एक रूप में स्पीयरमेंट की तरह और दूसरे संस्करण से जड़ी-बूटी, डिल की तरह गंध आती है।
    • अंतर्ग्रहण की दशा में एक ही अणु के विभिन्न संस्करणों के अलग-अलग प्रभाव हो सकते हैं। तब यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि केवल वांछित प्रभाव वाली दवा के समान संस्करण बनाने में सक्षम हो।

स्वदेश दर्शन योजना

Swadesh Darshan Scheme

हाल ही में स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने बौद्ध सर्किट विकास के लिये 325.53 करोड़ रुपए लागत की 5 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।

  • इसने केंद्र सरकार की देखो अपना देश पहल के हिस्से के रूप में एक बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर का भी आयोजन किया है।
  • इस दौरे में बिहार में गया-बोधगया, राजगीर-नालंदा और उत्तर प्रदेश में सारनाथ-वाराणसी गंतव्य शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • स्वदेश दर्शन योजना के बारे में:
    • स्वदेश दर्शन केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था।
    • इस योजना की परिकल्पना अन्य योजनाओं जैसे- स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया आदि के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिये की गई है।
    • इस योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय सर्किट के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान करता है।
    • इस योजना के उद्देश्यों में से एक एकीकृत तरीके से उच्च पर्यटक मूल्य, प्रतिस्पर्द्धा और स्थिरता के सिद्धांतों पर थीम आधारित पर्यटक सर्किट विकसित करना है।
  • पर्यटक सर्किट:
    • इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।
  • अन्य संबंधित पहलें: 
    • प्रसाद योजना:
      • प्रसाद योजना के तहत बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 30 परियोजनाएँ भी शुरू की गई हैं।
    • प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल:
      • बोधगया, अजंता और एलोरा में बौद्ध स्थलों की पहचान आइकॉनिक टूरिस्ट साइट्स (भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के उद्देश्य से) के रूप में विकसित करने के लिये की गई है।
    • बौद्ध कानक्लेव:
      • बौद्ध कानक्लेव भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर वैकल्पिक वर्ष में आयोजित किया जाता है।
    • ‘देखो अपना देश' पहल:
      • इसे पर्यटन मंत्रालय द्वारा 2020 में शुरू किया गया था ताकि नागरिकों को देश के भीतर व्यापक रूप से यात्रा करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके और इस प्रकार घरेलू पर्यटन सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास को सक्षम बनाया जा सके।

नया बाघ रिज़र्व: छत्तीसगढ़

New Tiger Reserve: Chhattisgarh

हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया है।

  • NTCA पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 2005 में बाघ संरक्षण को मज़बूटी प्रदान करने के लिये की गई थी।

प्रमुख बिंदु 

  • बाघ रिज़र्व के बारे में:
  • महत्त्व:
    • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान देश में एशियाई चीतों का अंतिम ज्ञात निवास स्थान था।
    • यह झारखंड और मध्य प्रदेश को जोड़ता है तथा बाघों की आवाजाही के लिये बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) एवं पलामू टाइगर रिज़र्व (झारखंड) के बीच एक गलियारा प्रदान करता है।
  • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान:
    • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के बारे में:
      • इसका नाम सतनामी सुधारवादी नायक, गुरु घासीदास के नाम पर रखा गया है। यह छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले में स्थित है।
      • पार्क की लहरदार स्थलाकृति है और यह उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 
    • जैव विविधता:
      • वनस्पति: वनस्पति में मुख्य रूप से सागौन, साल और बाँस के पेड़ों के साथ मिश्रित पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
      • जीव: बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, सियार, सांभर, चार सींग वाला मृग आदि।
  • तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य:
    • तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के बारे में:
      • यह उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में स्थित है। इसका नाम तमोर पहाड़ी और पिंगला नाला के नाम पर रखा गया है।
      • तमोर पहाड़ी और पिंगला नाला अभयारण्य क्षेत्र की पुरानी और प्रमुख विशेषताएँ मानी जाती हैं। 
    • जैव विविधता:
      • वनस्पति: अभयारण्य में मिश्रित पर्णपाती वनों का आधिक्य है। साल और बाँस के जंगल भी देखे जा सकते हैं।
      • जीव: बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, सांभर हिरण, ब्लू ऑक्स, चीतल, बाइसन और अन्य कई जानवर यहाँ पाए जाते हैं।