पीएम-प्रणाम योजना और FRP में वृद्धि | 01 Jul 2023

प्रिलिम्स के लिये:

उचित और लाभकारी मूल्य (FRP), गन्ना, पीएम-प्रणाम योजना

मेन्स के लिये:

कृषि मूल्य निर्धारण, भारतीय अर्थव्यवस्था में चीनी उत्पादन, गन्ना उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?  

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने पीएम-प्रणाम (PM-PRANAM) योजना को मंज़ूरी दी है जिसका उद्देश्य जैव उर्वरकों के उपयोग से धरती की उर्वरता को पुनर्स्थापित और पोषित करना है।

  • इसके अतिरिक्त अक्तूबर से शुरू होने वाले 2023-24 सीज़न के लिये गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य को 10 रुपए और बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
  • इसके अतिरिक्त सरकार ने 3.68 लाख करोड़ रुपए के आवंटन के साथ यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। साथ ही वर्ष 2023-24 के खरीफ सीज़न के लिये 38,000 करोड़ रुपए की पोषक तत्त्व-आधारित सब्सिडी को भी मंज़ूरी दे दी गई है। 

पीएम-प्रणाम योजना:

  • परिचय: 
    • पीएम-प्रणाम का मतलब धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (PM Programme for Restoration, Awareness, Nourishment and Amelioration of Mother Earth) है।
    • पीएम-प्रणाम की घोषणा पहली बार केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के बजट में की गई थी।
    • इस योजना का उद्देश्य राज्यों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने के लिये प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाना है।
  • उद्देश्य: 
    • जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों के साथ उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    • रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करना, जो कि वर्ष 2022-2023 में लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपए था। 
  • योजना की मुख्य विशेषताएँ:
    • वित्तपोषण: 
      • इस योजना को रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से वित्तपोषित किया जाएगा।
      • पीएम-प्रणाम योजना के लिये अलग से कोई बजट नहीं होगा। 
    • सब्सिडी बचत और अनुदान: 
      • केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को सब्सिडी बचत का 50% अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा।
      • अनुदान में से 70% का उपयोग विभिन्न स्तरों पर वैकल्पिक उर्वरकों और उत्पादन इकाइयों के तकनीकी उत्थान हेतु परिसंपत्तियों के निर्माण में उपयोग किया जा सकता है।
      • शेष 30% का उपयोग किसानों, पंचायतों और उर्वरक कटौती एवं जागरूकता सृजन में शामिल अन्य हितधारकों को पुरस्कृत तथा प्रोत्साहित करने के लिये किया जा सकता है।
    • उर्वरक कटौती की गणना: 
      • किसी राज्य द्वारा यूरिया की खपत में कमी की तुलना पिछले तीन वर्षों में यूरिया की औसत खपत से की जाएगी।
      • यह गणना सब्सिडी बचत और अनुदान के लिये पात्रता निर्धारित करेगी। 
    • सतत् कृषि को बढ़ावा: 
      • जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने से सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।
      • इससे मृदा उर्वरता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण कम होगा और दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता को समर्थन मिलेगा।

जैव उर्वरक:

  • परिचय: 
    • इसमें जीवित सूक्ष्मजीवों से समृद्ध एक वाहक माध्यम होता है। जब इसे बीज, मृदा या जीवित पौधों में डाला जाता है, तो यह मृदा के पोषक तत्त्वों को बढ़ाती है या उन्हें जैविक रूप से उपलब्ध कराती है।
    • जैव उर्वरकों में विभिन्न प्रकार के कवक, जड़ बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीव होते हैं। जैसे-जैसे वे मृदा में बढ़ते हैं, वे परपोषी पादप (Host Plants) के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी या सहजीवी संबंध बनाते हैं।
  • सूक्ष्मजीवों के आधार पर जैव उर्वरकों का वर्गीकरण: 
    • जीवाणु जैव उर्वरक: राइज़ोबियम, एज़ोस्पिरिलियम, एज़ोटोबैक्टर, फॉस्फोबैक्टीरिया, नोस्टॉक आदि।
    • फंगल जैव उर्वरक: माइकोराइज़ा।
    • शैवालीय जैव उर्वरक: नीला हरा शैवाल (BGA) और एज़ोला। 
    • एक्टिनोमाइसेट्स जैव उर्वरक: फ्रेंकिया।

गन्ने के लिये FRP में हाल ही में किये गए बदलाव: 

  • कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया है कि उन चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं की जाएगी जहां रिकवरी 9.5% से कम है। ऐसे किसानों को आगामी चीनी सीजन में गन्ने के लिये 282.125 रुपए प्रति क्विंटल के बजाय 291.975 रुपए प्रति क्विंटल मिलेंगे।

उचित और लाभकारी मूल्य (FRP): 

  • परिचय: 
    • FRP सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य है जो चीनी मिलें किसानों को उनसे खरीदे गए गन्ने के लिये भुगतान करने के लिये बाध्य हैं।
  • भुगतान और समझौता: 
    • चीनी मिलों को कानूनी तौर पर किसानों को उनके गन्ने के लिये FRP का भुगतान करना आवश्यक है।
    • चीनी मिलें किसानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने का विकल्प चुन सकती हैं जिससे उन्हें किस्तों में FRP का भुगतान करने की अनुमति मिल सके।
    • विलंबित भुगतान पर प्रतिवर्ष 15% तक का ब्याज शुल्क लग सकता है तथा चीनी आयुक्त मिलों की संपत्तियों को संलग्न करके अवैतनिक FRP की वसूली कर सकते हैं।
  • शासकीय विनियम: 
    • गन्ने का मूल्य निर्धारण आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA), 1955 के तहत जारी गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के वैधानिक प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होता है। 
    • नियमों के अनुसार FRP का भुगतान गन्ना डिलीवरी के 14 दिनों के भीतर किया जाना चाहिये।
  • निश्चय एवं घोषणा: 
  • कारक: 
    • FRP विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है जिसमें गन्ना उत्पादन की लागत, वैकल्पिक फसलों से प्राप्त निधि, कृषि वस्तुओं की कीमतों में रुझान, उपभोक्ताओं को चीनी की उपलब्धता, चीनी का बिक्री मूल्य, गन्ने से चीनी की रिकवरी और गन्ना उत्पादकों के लिये आय सीमा शामिल है।

गन्ना: 

  • तापमान: गर्म और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27°C के बीच।
  • वर्षा: लगभग 75-100 सेमी.।
  • मिट्टी का प्रकार: गहरी समृद्ध दोमट मिट्टी।
  • शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार।
  • ब्राज़ील के बाद भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • इसे बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक सभी प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है क्योंकि इसके लिये अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • इसमें बुवाई से लेकर कटाई तक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।
  • यह चीनी, खांडसारी, गुड़ और शीरे का मुख्य स्रोत है।
  • चीनी उपक्रमों को वित्तीय सहायता बढ़ाने की योजना (SEFASU) और जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, गन्ना उत्पादन एवं चीनी उद्योग को समर्थन देने के लिये सरकार की दो योजनाएँ हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

निम्नलिखित जीवों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. एगैरिकस
  2. नॉस्टॉक
  3. स्पाइरोगाइरा

उपर्युक्त में से कौन सा/से जैव उर्वरक के रूप में प्रयुक्त होता/होते है/हैं?

(a) केवल  1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (B)


प्रश्न. गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) द्वारा अनुमोदित किया गया है: (2015)

(a) आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति
(b) कृषि लागत और मूल्य आयोग
(c) विपणन और निरीक्षण निदेशालय, कृषि मंत्रालय
(d) कृषि उपज बाज़ार समिति

उत्तर: (A)


प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती के वर्तमान रुझानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. बीज सामग्री में पर्याप्त बचत तब होती है जब 'बड चिप सेटलिंग्स' को नर्सरी में उगाया जाता है और मुख्य कृषि भूमि में प्रत्यारोपित किया जाता है।
  2. जब सेट का सीधा रोपण किया जाता है, तो एक कलिका सेट्स का अंकुरण प्रतिशत कई सेट्स की तुलना में  बेहतर होता है।
  3. खराब मौसम की स्थिति में यदि सेट्स का सीधे रोपण होता है तब एक कलिका सेट्स का जीवित बचना बड़े सेट्स की तुलना में बेहतर होता है ।
  4. गन्ने की खेती ऊतक संवर्द्धन से तैयार की गई सेटलिंग्स से की जा सकती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (C)

व्याख्या:

  • ऊतक संवर्द्धन प्रौद्योगिकी
    • ऊतक संवर्द्धन एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों के टुकड़ों को प्रयोगशाला में संवर्द्धित तथा विकसित किया जाता है।
    • यह वर्तमान व्यावसायिक किस्मों के रोग-मुक्त बीज गन्ने का तीव्रता से उत्पादन और आपूर्ति करने का एक नया तरीका प्रदान करता है।
    • यह मातृ पौधे का क्लोन बनाने के लिये विभज्योतक का उपयोग करता है।
    • यह आनुवंशिक पहचान को भी सुरक्षित रखता है।
    • ऊतक संवर्द्धन तकनीक, अत्यधिक व्यय और शारीरिक सीमाओं के कारण, अलाभकारी सिद्ध हो रही है।
  • बड चिप टेक्नोलॉजी
    • ऊतक संवर्द्धन एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में बीजों के त्वरित प्रजनन को सक्षम बनाता है, साथ ही इसके द्रव्यमान को कम करता है।
    • यह विधि दो से तीन कलियों के रोपण की पारंपरिक विधि की तुलना में अधिक किफायती और सुविधाजनक सिद्ध हुई है।
    • रोपण के लिये उपयोग की जाने वाली बीज सामग्री पर पर्याप्त बचत के साथ रिटर्न भी अपेक्षाकृत उच्च प्राप्त होता है।अतः, कथन 1 सही है।
    • शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि दो कलियों वाले सेट उच्च उपज के साथ लगभग 65 से 70% अंकुरण करते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
    •  दो कलियों से अधिक वाले सेट खराब मौसम में अधिक जीवित रहते हैं, लेकिन रासायनिक उपचार से संरक्षित करने पर एकल कलिका वाले सेट भी 70% अंकुरण करते हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है।
    • ऊतक संवर्द्धन का उपयोग गन्ने के पौधों को अंकुरित के लिये किया जा सकता है जिन्हें बाद में खेत में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।अतः कथन 4 सही है।
  • अत: विकल्प (C) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू