पीरियड पॉवर्टी | 17 Aug 2022

प्रिलिम्स  के लिये:

पीरियड प्रोडक्ट एक्ट, सरकार की पहलें

मेन्स के लिये:

भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य की स्थिति, महिलाओं से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

स्कॉटलैंड फ्री पीरियड प्रोडक्ट तक पहुँच के अधिकार की कानूनी रूप से रक्षा करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया है और इसने पीरियड प्रोडक्ट एक्ट पारित करके पीरियड प्रोडक्ट को सभी के लिये निःशुल्क कर दिया है।

  • पीरियड पॉवर्टी तब होती है जब कम आय वाले लोग आवश्यक पीरियड प्रोडक्ट/उत्पादों (जैसे टैम्पोन, सैनिटरी पैड आदि) को वहन नहीं कर सकते या उन तक पहुँच नहीं बना सकते।

United-Kingdom

स्कॉटलैंड की पहल

  • परिचय:
    • पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट के तहत स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्थानीय सरकारी निकायों को अपने बाथरूम में कई तरह के पीरियड उत्पाद मुफ्त में उपलब्ध कराने चाहिये।
    • स्कॉटलैंड में प्रत्येक परिषद को मासिक धर्म/पीरियड उत्पादों के लिये सबसे अच्छा पहुँच बिंदु निर्धारित करने के लिये स्थानीय समुदायों के साथ आवश्यक है।
  • सुलभता:
    • मोबाइल फोन ऐप (PickUpMyPeriod) लोगों को निकटतम स्थान जैसे कि स्थानीय पुस्तकालय या सामुदायिक केंद्र खोजने में भी मदद करता है जहाँ वे पीरियड प्रोडक्ट्स को प्राप्त कर सकते हैं।
    • पीरियड प्रोडक्ट्स पुस्तकालयों, स्विमिंग पूल, सार्वजनिक जिम, सामुदायिक भवनों, टाउन हॉल, फार्मेसियों और डॉक्टर के कार्यालयों में उपलब्ध होंगे।

भारत में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति:

  • वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के एक अध्ययन के अनुसार:
    • भारत में केवल 13% लड़कियों को मासिक धर्म से पहले मासिक धर्म की जानकारी होती है।
    • मासिक धर्म के कारण 60% लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया।
    • मासिक धर्म के कारण 79% को कम आत्मविश्वास का सामना करना पड़ा और 44% प्रतिबंधों पर शर्मिंदा और अपमानित हुई।
    • मासिक धर्म महिलाओं की शिक्षा, समानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5:
    • 15-24 वर्ष की आयु की महिलाओं में पीरियड प्रोडक्ट्स का उपयोग:
      • सत्रह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 90% या उससे अधिक महिलाएंँ पीरियड उत्पादों का उपयोग करती हैं।
        • पुददुचेरी तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पीरियड प्रोडक्ट्स का उपयोग करने वाली महिलाओं का अंश 99% था।
      • त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, मेघालय, मध्य प्रदेश और बिहार - में 70 प्रतिशत या उससे कम महिलाएंँ पीरियड प्रोडक्ट्स का उपयोग करती हैं।
      • बिहार इकलौता ऐसा राज्य है जहाँ 60 फीसदी से भी कम का आंँकड़ा दर्ज किया गया है।
    • शीर्ष तीन राज्य जिन्होंने महिलाओं के पीरियड प्रोडक्ट्स के उपयोग में NFHS 4 से NFHS 5 के बीच वृद्धि दर्ज की:
      • बिहार: 90%
      • ओड़िशा: 72%
      • मध्य प्रदेश: 61%

 मासिक धर्म स्वच्छता के लिये भारत सरकार की पहल:

  • शुचि योजना:
    • शुचि योजना का उद्देश्य किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
    • यह 2013-14 में शुरू में केंद्र प्रायोजित रूप में शुरू किया गया था।
      • हालाँकि, केंद्र ने राज्यों को 2015-16 से इस योजना को अपने नियंत्रण में लेने के लिये कहा।
  • मासिक धर्म स्वच्छता योजना:
    • मासिक धर्म स्वच्छता योजना 2011 में चयनित ज़िलों के ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों (10-19 वर्ष) के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • सबला कार्यक्रम:
    • इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था।
    • यह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता और प्रजनन और यौन स्वास्थ्य पर केंद्रित है।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन:
  • स्वच्छ भारत अभियान और स्वच्छ भारत: स्वच्छ विद्यालय (SB:SV):
    • मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता प्रबंधन भी स्वच्छ भारत मिशन का एक अभिन्न अंग है।
  • स्वच्छता (2017) में लिंग संबंधी मुद्दों के लिये दिशानिर्देश:
    • ये पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा स्वच्छता के संबंध में महिलाओं तथा लड़कियों के लैंगिक समानता तथा सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने के लिये विकसित किये गए हैं।
    • सुरक्षित और प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन किशोरियों और महिलाओं के बेहतर और मज़बूत विकास के लिये एक आवश्यक घटक है।
  • मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश:
    • इसे पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में जारी किया गया था।
    • यह मासिक धर्म स्वच्छता के हर घटक को संबोधित करता है, जिसमें जागरूकता बढ़ाना, व्यवहार परिवर्तन करना, बेहतर स्वच्छता उत्पादों की मांग बढ़ाना और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

आगे की राह:

  • भारत सरकार को भी स्कॉटलैंड के दृष्टिकोण पर विचार करना चाहिये और पीरियड प्रोडक्ट को या उचित मूल्य/छूट पर उपलब्ध कराना चाहिये।
  • सरकार कम लागत वाले पैड को अधिक आसानी से उपलब्ध कराने के लिये छोटे पैमाने पर सैनिटरी पैड निर्माण इकाइयों को भी बढ़ावा दे सकती है, इससे महिलाओं को आय सृजन में भी मदद मिलेगी।
  • सरकार को मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वच्छता, और सुरक्षित उत्पादों तक पहुँच, जल, सफाई एवं स्वच्छता (WASH) बुनियादी ढाँचे के बारे में जागरूकता और शिक्षा के लिये निर्देशित प्रयास प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि मासिक धर्म स्वास्थ्य केवल सरकारी प्रयासों के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, एक सामाजिक मुद्दे के रूप में सामुदायिक और पारिवारिक स्तर पर हस्तक्षेप आवश्यक है।

स्रोत: द हिंदू