त्वरित सुधारात्मक कारवाई फ्रेमवर्क | 22 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

RBI, NPA, वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकी।

मेन्स के लिये:

त्वरित सुधारात्मक कारवाई फ्रेमवर्क।

चर्चा में क्यों:

हाल ही में, CBI द्वारा न्यूनतम नियामक पूंजी और कुल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों  (NNPAs) सहित विभिन्न वित्तीय अनुपातों में सुधार दिखाने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) को अपने त्वरित सुधारात्मक कारवाई फ्रेमवर्क (PCAF) से हटा दिया है।

  • RBI ने अपने उच्च कुल NPA और रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) के कारण जून 2017 में सेंट्रल बैंक पर त्वरित सुधारात्मक कारवाई (PCA) मानदंड लागू किया था।

त्वरित सुधारात्मक कारवाई फ्रेमवर्क (PCAF):

  • पृष्ठभूमि:
    • PCA एक फ्रेमवर्क रूपरेखा है जिसके तहत कमज़ोर वित्तीय मैट्रिक्स वाले बैंकों की निगरानी RBI द्वारा की जाती है।
    • RBI ने वर्ष 2002 में PCA फ्रेमवर्क को बैंकों के लिये एक संरचित प्रारंभिक-हस्तक्षेप तंत्र के रूप में पेश किया, जो बुरी आस्तियों की गुणवत्ता के कारण अल्प पूंजीकृत हो जाते हैं अथवा लाभप्रदता के नुकसान के कारण कमज़ोर हो जाते हैं।
    • भारत में वित्तीय संस्थानों और वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग के लिये संकल्प व्यवस्था पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के कार्यकारी समूह की सिफारिशों के आधार पर इस रूपरेखा की समीक्षा वर्ष 2017 में की गई थी।
  • मानदंड:
    • RBI ने PCA फ्रेमवर्क के भाग के रूप में, तीन मापदंडों के संदर्भ में कुछ नियामक ट्रिगर बिंदु निर्दिष्ट किये हैं, यथा पूंजी से जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR), कुल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियांँ (NPA) और रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA)।
  • उद्देश्य:
    • PCA फ्रेमवर्क का उद्देश्य उचित समय पर पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को लागू करना है और पर्यवेक्षित इकाई से यह अपेक्षित होता है कि वे समय-समय पर आवश्यक कदम उठायें ताकि इसके वित्तीय स्वास्थ्य को बहाल किया जा सके।
    • इसका उद्देश्य भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की समस्या की जांँच करना है।
    • इसका उद्देश्य नियामक के साथ-साथ निवेशकों और जमाकर्त्ताओं को सतर्क करने में सहायता करना है यदि कोई बैंक NPA की ओर बढ़ रहा है।
    • इसका उद्देश्य किसी संकट के अनुपात में वृद्धि होने से पहले ही समस्याओं का समाधान करना है।
  • लेखा परीक्षा वार्षिक वित्तीय परिणाम:
    • एक बैंक को आम तौर पर लेखा परीक्षा वार्षिक वित्तीय परिणामों और RBI द्वारा किये गए पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर PCA फ्रेमवर्क के अंतर्गत रखा जाएगा।
  • हाल में हुए विकास कार्य:
    • वर्ष 2021 में, RBI ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिये PCA फ्रेमवर्क को संशोधित कर राउंड कैपिटल, एसेट क्वालिटी और लीवरेज को प्रमुख क्षेत्र माना गया जबकि परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता इस ढाँचे के तहत निगरानी के प्रमुख क्षेत्र थे।

गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियांँ:

  • यह एक ऋण अथवा अग्रिम भुगतान है जिसके लिये मूलधन या ब्याज भुगतान 90 दिनों की अवधि के लिये अतिदेय रहता है।
  • बैंकों को NPA को घटिया, संदेहास्पद और हानि वाली संपत्तियों में वर्गीकृत करने की आवश्यकता है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात:

  • पूँजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) बैंक की उपलब्ध पूंजी बैंक के जोखिम-भारित क्रेडिट एक्सपोज़र को प्रतिशत के रूप में व्यक्त करने का एक उपाय है।
    • CAR  वह माप अनुपात है जो बैंकों की घाटे को अवशोषित करने की क्षमता का आकलन करता है।
  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात, जिसे पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा और विश्व भर में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता एवं दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।

परिसंपत्तियों पर रिटर्न/लाभ (Return on Assets-RoA):

  • परिसंपत्तियों पर रिटर्न एक लाभप्रदता अनुपात है जो यह बताता है कि कंपनी अपनी संपत्ति से कितना लाभ उत्पन्न कर सकती है।
  • RoA को प्रतिशत के रूप में दिखाया गया है और संख्या जितनी अधिक होगी, कंपनी का प्रबंधन मुनाफा उत्पन्न करने के लिये अपनी बैलेंस शीट का प्रबंधन करने में उतना ही कुशल होगा।
  • कम RoA वाली कंपनियों के पास आमतौर पर अधिक संपत्ति होती है जो लाभ पैदा करने में शामिल होती है, जबकि उच्च RoA वाली कंपनियों के पास कम संपत्ति होती है।
  • समान कंपनियों की तुलना करते समय ROA सर्वोत्तम होता है, परिसंपत्ति-गहन कंपनी का निम्न RoA कम संपत्ति और समान लाभ के साथ एक असंबंधित कंपनी के उच्च RoA की तुलना में खतरनाक दिखाई दे सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):  

प्रश्न. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग के शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018))

  1. पिछले दशक में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी प्रवाह में लगातार वृद्धि हुई है।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को व्यवस्थित करने के लिये भारतीय स्टेट बैंक के साथ सहयोगी बैंकों का विलय प्रभावित हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों में ऋण विस्तार का समर्थन करने और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के लिये, किये जाने वाले प्रावधानों के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान से निपटने में मदद करने के लिये पूंजी निवेश किया है। लेकिन राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों में पूंजी निवेश की प्रवृत्ति बढ़ती या घटती प्रवृत्ति जैसी दिशा में विशिष्ट नहीं रही है। कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है तो कुछ वर्षों में इसमें कमी भी आई है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • फरवरी 2017 में केंद्र सरकार ने भारतीय महिला बैंक के साथ SBI के साथ पाँच सहयोगी बैंकों के विलय को मंज़ूरी दी थी। विलय के उद्देश्य सार्वजनिक बैंक संसाधनों का युक्तिकरण, लागत में कमी, बेहतर लाभप्रदता, और धन की कम लागत के कारण बड़े पैमाने पर जनता के लिये बेहतर ब्याज़ दर एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की उत्पादकता तथा ग्राहक सेवा में सुधार करना था। संसद ने सार्वजनिक बैंकों के युक्तिकरण को प्रभावित करने के लिये भारतीय स्टेट बैंक के साथ छह सहायक बैंकों का विलय करने के लिये स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया। अत: कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस