पेरिस पीस फोरम | 15 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

पेरिस पीस फोरम, क्राइस्टचर्च कॉल

मेन्स के लिये:

वैश्विक मुद्दों के समाधान में असफलता का कारण एवं इन मुद्दों का भारत पर प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

11-12 नवंबर, 2019 को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फ्राँस की यात्रा की।

  • फ्राँस में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) से पेरिस पीस फोरम/पेरिस शांति मंच (Paris Peace Forum) के सम्मलेन के दौरान मुलाकात की।

भारत और फ्राँस:

  • वर्ष 1998 में भारत और फ्राँस ने एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित की जिसमें रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग तथा असैनिक परमाणु सहयोग जैसे क्षेत्र सामरिक भागीदारी के प्रमुख आधार हैं।
  • भारतीय वायुसेना ने पिछले महीने फ्राँस से 36 राफेल लड़ाकू जेट की शृंखला का पहला जेट प्राप्त किया।
  • भारत और फ्राँस ने आतंकवादी एवं हिंसक गतिविधियों हेतु ऑनलाइन माध्यमों का प्रयोग रोकने के लिये क्राइस्टचर्च कॉल का समर्थन किया है।

क्राइस्टचर्च कॉल (Christchurch Call)

  • इसका नाम न्यूज़ीलैंड के एक शहर के क्राइस्टचर्च के नाम पर गया है। यहाँ पर इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित सूचनाओं के आधार पर एक अतिवादी दक्षिणपंथी व्यक्ति द्वारा 15 मार्च 2019 को आतंकवादी हमला किया गया था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के 51 लोग मारे गए थे।
  • इस कार्यपरियोजनाके तहत सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और इंटरनेट विशेषज्ञों द्वारा इंटरनेट पर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री के प्रसार को रोका जाता है।

भारत में क्राइस्टचर्च कॉल जैसी कार्यपरियोजनाका महत्त्व: 

  • भारतीय सामाजिक पृष्ठभूमि
    • भारत की सामाजिक पृष्ठभूमि समरसतावादी रही है यहाँ पर विभिन्न धर्मों और वर्गों का समुचित और समष्टि विकास एक-दूसरे के बीच आपसी मेलजोल से उत्पन्न नवजागरण की ऊर्जा का समग्र परिणाम है।
    • वर्तमान समय में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बढ़ते आपसी अविश्वास की स्थिति में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में सोशल मीडिया का काफी योगदान रहा है। सोशल मीडिया का प्रयोग समाज के अराजक तत्त्वों द्वारा अपने संकीर्ण हितों की पूर्ति के लिये किया जा रहा है।
    • इसके परिणामस्वरूप त्वरित स्तर पर लोक व्यवस्था और दीर्घकालिक स्तर पर सामाजिक समरसता का क्षरण हो रहा है।
  • भारत में सोशल मीडिया पर नियंत्रण:
    • भारत में सोशल मीडिया को नियंत्रित करने वाली कोई विशेषीकृत एजेंसी नहीं है, जबकि सांप्रदायिकता, भीड़ हिंसा जैसे मुद्दों के संदर्भ में यह देखा गया है कि ऐसी स्थितियों में विचारों का आदान-प्रदान सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी तेज़ी से होता है।
    • इसके अतिरिक्त चुनावों के दौरान मुद्दों का राजनीतिकरण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाता है।
  • आगे की राह: 
    • भारत को निजता के अधिकार और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के बीच एक संवैधानिक रूपरेखा तैयार की जानी चाहिये, जहाँ समुचित तरीके से लोगों के निजता के अधिकार को नुकसान पहुँचाए बिना सोशल मीडिया पर संवैधानिक उपबंध लगाए जा सकें।
    • CIRT-IN जैसी एजेंसियों के समुचित तंत्र के अंतर्गत ही एक सोशल मीडिया विंग बनाना एक स्थायी समाधान हो सकता है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, प्रवास, साइबर असुरक्षा और सीमाओं की अनदेखी जैसे मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
  • इन मुद्दों को लेकर देशों के बीच लगातार मतभेद बना हुआ है क्योंकि इन्हीं मुद्दों के कारण देशों के आपसी हित टकराते रहते हैं, जिस कारण से सभी देशों की रणनीतियों में समग्रता नहीं आ पाती है।
  • राज्य लाभ के लिये कड़ी प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं तथा वैश्विक संस्थानों द्वारा सामूहिक हितों के लिये की जा रही अपर्याप्त शिथिल कार्रवाई विश्व में लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रतिकूल ढ़ंग से प्रभावित कर रही है फलस्वरूप सामाजिक असमानताएँ बढ़ रही हैं।
  • देशों द्वारा सामाजिक कार्यों की अपेक्षा सैन्य व्यय पर अधिक खर्च किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मानदंड, विशेष रूप से मानवाधिकारों की लगातार अवहेलना की जाती है।
  • जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन जैसे मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पूरी तरह से गंभीरता नहीं प्रदर्शित की जा रही है, यह वर्ग शायद इस बात को भूल गया है कि दरअसल ये सभी केवल मुद्दे नहीं हैं बल्कि मानवता की गरिमा और अस्तित्व से जुड़ी समस्याएँ हैं जो एक दिन मानव सभ्यता के अस्तित्व को समाप्त कर देंगी।

पेरिस पीस फोरम का लक्ष्य: 

  • इस फोरम का लक्ष्य उपर्युक्त वैश्विक परिस्थितियों में कल्याण और समरसता के लिये शासन व्यवस्था को और बेहतर करना है।
  • यह फोरम शासन के निम्न छह प्रमुख विषयों के समाधान पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है:

1. शांति और सुरक्षा
2. विकास
3. पर्यावरण (Environment)
4. नई तकनीकें (New Technologies)
5. समावेशी अर्थव्यवस्था
6. संस्कृति और शिक्षा

हितधारक (Stakeholder):

  • वैश्विक हितों के लिये कार्यरत शासन के पुराने और नए अभिकर्त्ता (Actor), गैर-सरकारी संगठन, परोपकारी संगठन, विकास एजेंसियाँ, ट्रेड यूनियन, थिंक टैंक, विश्वविद्यालयों और नागरिक समाज जैसे हितधारकों के माध्यम से यह फोरम अपनी गतिविधियों तथा लक्ष्यों को संचालित करता है।

पेरिस पीस फोरम का आयोजन:

  • इस फोरम का आयोजन प्रत्येक वर्ष 11-13 नवंबर को पेरिस में किया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक शासन (Global Governance) को अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे के शीर्ष पर रखना है। इस फोरम में हितधारक वैश्विक शासन के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

स्रोत: बिजनेस स्टैण्डर्ड