प्रशांत मौसम में परिवर्तन: अधिक बहुवर्षीय अल नीनो और ला नीना | 06 Sep 2023
प्रिलिम्स के लिये:अल नीनो और ला नीना, वॉकर सर्कुलेशन, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर, अल नीनो-दक्षिणी दोलन, विषम मौसम की घटनाएँ। मेन्स के लिये:बढ़ती बहुवर्षीय अल नीनो और ला नीना घटनाओं के प्रभाव |
स्रोत : डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन ने अल नीनो और ला नीना घटनाओं की अवधि एवं व्यवहार पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के विषय में चिंता जताई है।
- इसमें पाया गया कि औद्योगिक युग के बाद से वॉकर सर्कुलेशन ने अपना व्यवहार बदल दिया है तथा बहु-वर्षीय अल नीनो और ला नीना घटनाएँ अधिक हो सकती हैं।
हालिया अध्ययन के सुझाव
- वॉकर परिसंचरण, ENSO का एक प्रमुख वायुमंडलीय घटक है जो पूरे विश्व में मौसम के प्रारूप को संचालित करता है। शोधकर्ताओं का लक्ष्य यह आकलन करना था कि क्या ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने इस महत्त्वपूर्ण जलवायु चालक को प्रभावित किया है।
- अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला कि अल नीनो से ला नीना में संक्रमण समय के साथ थोड़ा धीमा हो गया है। इससे पता चलता है कि भविष्य में बहु-वर्षीय जलवायु प्रारूप अधिक हो सकता है, जिससे सूखा, दावाग्नि, भारी वर्षा और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
- जबकि वॉकर सर्कुलेशन की समग्र क्षमता अभी तक कम नहीं हुई है, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि उच्च कार्बन डाइऑक्साइड स्तर इसे कमज़ोर कर सकता है।
- कई जलवायु मॉडल भी सदी के अंत तक वॉकर सर्कुलेशन में गिरावट की भविष्यवाणी करते हैं।
- अध्ययन में ज्वालामुखी विस्फोट और वॉकर सर्कुलेशन के कमज़ोर होने के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला गया। यह घटना अक्सर अल नीनो जैसी स्थितियों की ओर ले जाती है।
- शोध ने बीसवीं सदी में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद हुई तीन महत्त्वपूर्ण अल नीनो घटनाओं की पहचान की: वर्ष 1963 में माउंट अगुंग, वर्ष 1982 में अल चिचोन और वर्ष 1991 में माउंट पिनातुबो।
- वॉकर परिसंचरण:
- वॉकर परिसंचरण पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय परिसंचरण प्रारूप है।
- यह पवनों की एक प्रणाली है जो उष्णकटिबंधीय और उससे परे जलवायु एवं मौसम के प्रारूप को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- वॉकर परिसंचरण मुख्य रूप से प्रशांत महासागर से संबद्ध है लेकिन इसका वैश्विक प्रभाव है।
- एक दुर्बल वॉकर परिसंचरण अल नीनो से संबद्ध है, जबकि एक प्रबल परिसंचरण ला नीना का संकेत देता है।
- वॉकर परिसंचरण पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय परिसंचरण प्रारूप है।
- अल नीनो:
- ल नीनो एक जलवायु प्रारूप है जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का वर्णन करता है। स्पैनिश भाषा में इसका अर्थ छोटा लड़का होता है और यह ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है।
- यह भारत में मानसूनी वर्षा को रोकने के लिये जाना जाता है।
- यह उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में व्यापारिक पवनों के दुर्बल होने या व्युत्क्रमण के कारण होता है।
- आम तौर पर, व्यापारिक पवनें पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं, जो गर्म सतही जल को पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर धकेलती हैं।
- ल नीनो एक जलवायु प्रारूप है जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का वर्णन करता है। स्पैनिश भाषा में इसका अर्थ छोटा लड़का होता है और यह ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है।
- ला नीना:
- ला नीना एक प्रारूप है जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की असामान्य शीतलन का वर्णन करता है। स्पैनिश में इसका अर्थ है "छोटी लड़की" और कभी-कभी इसे अल वियेजो, एंटी-अल नीनो या साधारण रूप से "एक ठंडी परिघटना" भी कहा जाता है।
- इसे भारत में वर्षा में सहायता के लिये जाना जाता है।
- यह उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में व्यापारिक पवनों के प्रबल होने के परिणामस्वरूप होता है।
- ला नीना घटनाओं के दौरान, ये व्यापारिक पवनें और भी तेज़ हो जाती हैं, जिससे भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में गर्म सतही जल का सामान्य पूर्व-से-पश्चिम प्रवाह तीव्र हो जाता है।
- व्यापारिक पवनों के इस सुदृढ़ीकरण से मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान औसत से कम हो जाता है।
- व्यापारिक पवनों के इस सुदृढ़ीकरण से मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान औसत से कम हो जाता है।
- ला नीना एक प्रारूप है जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की असामान्य शीतलन का वर्णन करता है। स्पैनिश में इसका अर्थ है "छोटी लड़की" और कभी-कभी इसे अल वियेजो, एंटी-अल नीनो या साधारण रूप से "एक ठंडी परिघटना" भी कहा जाता है।
- अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO):
- यह समुद्र और वायुमंडलीय स्थितियों के बीच परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली एक जलवायु घटना है।
- "दक्षिणी दोलन" घटक पश्चिमी और पूर्वी प्रशांत महासागरों पर समुद्र-स्तर के वायु दाब में अंतर को संदर्भित करता है।
- अल नीनो और ला नीना ,अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र के ऊष्मित और शीतलित चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अल नीनो और ला नीना घटना आमतौर पर प्रत्येक 2 से 7 वर्ष में होती हैं। ला नीना की घटनाएँ एक से तीन वर्ष के बीच रह सकती हैं।
- हालाँकि, अल नीनो घटनाओं का एक वर्ष से अधिक समय तक रहना दुर्लभ है।
- बहु-वर्षीय अल नीनो और ला नीना वे घटनाएँ हैं जो बीच में सामान्य स्थिति में आए बिना एक वर्ष से अधिक समय तक बनी रहती हैं।
- वर्ष 2023 में, ला नीना ने तीन वर्ष की अवधि पूरी की और अल नीनो ने अपनी उपस्थिति का अनुभव करवाया। ऐसे लंबे समय तक चलने वाले ENSO चरण असामान्य हैं।
- अल नीनो और ला नीना घटना आमतौर पर प्रत्येक 2 से 7 वर्ष में होती हैं। ला नीना की घटनाएँ एक से तीन वर्ष के बीच रह सकती हैं।
- यह समुद्र और वायुमंडलीय स्थितियों के बीच परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली एक जलवायु घटना है।
बढ़ती बहुवर्षीय अल नीनो और ला नीना घटनाओं के प्रभाव:
- चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती हुई आवृत्ति: बहु-वर्षीय अल नीनो और ला नीना की घटनाएँ विश्व भर में वर्षा, तापमान, वायु और वायुमंडलीय दाब के प्रारूप को परिवर्तित कर सकती हैं, जिससे अधिक और गंभीर सूखा, बाढ़, लू, शीतल पवनें, तूफान और वनाग्नि की घटनाएँ हो सकती है।
- प्राकृतिक आपदाएँ:
- बाढ़ और सूखा: बहु-वर्षीय अल नीनो घटनाएँ लंबे समय तक सूखे के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में गंभीर बाढ़ की घटनाएँ हो सकती हैं।
- इसके विपरीत, बहु-वर्षीय ला नीना घटनाओं के कारण कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ आ सकती है, इसके बाद अन्य क्षेत्रों में लंबे समय तक सूखा पड़ सकता है।
- इसके विपरीत, बहु-वर्षीय ला नीना घटनाओं के कारण कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ आ सकती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में लंबे समय तक सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात: ENSO घटनाओं का उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता पर प्रभाव पड़ सकता है।
- बहु-वर्षीय घटनाओं के कारण विभिन्न महासागरीय घाटियों में चक्रवात गतिविधि में भिन्नता के परिणामस्वरूप तटीय क्षेत्रों की सुभेद्यता में परिवर्तन हो सकता है।
- बाढ़ और सूखा: बहु-वर्षीय अल नीनो घटनाएँ लंबे समय तक सूखे के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में गंभीर बाढ़ की घटनाएँ हो सकती हैं।
- कृषि और खाद्य सुरक्षा: बहु-वर्षीय अल नीनो से उत्पन्न सूखे की स्थिति का फसलों की पैदावार पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वैश्विक खाद्य आपूर्ति तथा कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
- इसके विपरीत, बहु-वर्षीय ला नीना घटनाओं से कुछ क्षेत्रों में फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, लेकिन इससे होने वाले अत्यधिक वर्षा तथा जलभराव के कारण फसलों को नुकसान हो सकता है।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- आर्थिक हानि: बहु-वर्षीय ENSO घटनाओं के संयुक्त प्रभावों के परिणामस्वरूप बुनियादी ढाँचे को नुकसान, ऊर्जा की मांग में वृद्धि और खाद्य तथा खनिज जैसे वस्तुओं के वैश्विक व्यापार में व्यवधान के कारण महत्त्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हो सकता है।
- स्वास्थ्य संबंधी जोखिम: मौसम के परिवर्तित होते प्रारूप से बीमारियों का प्रसार भी होता है, बाढ़ के दौरान जलजनित बीमारियों एवं लंबे समय तक सूखे के दौरान वेक्टर-जनित बीमारियों का खतरा बढ़ने का जोखिम बना रहता है।
- पर्यावरणीय परिणाम:
- पारिस्थितिकी तंत्र: बहु-वर्षीय घटनाएँ स्थलीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव डाल सकती हैं जिससे प्रवाल विरंजन, वनाग्नि और निवास स्थान में व्यवधान जैसी पारिस्थितिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है।
- तापमान और वर्षा में तीव्र और लगातार परिवर्तनों के अनुकूलन को लेकर कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- जैवविविधता: पर्यावरणीय परिस्थितियों में परिवर्तन विभिन्न प्रजातियों, विशेष रूप से जलवायु विविधताओं के प्रति संवेदनशील प्रजातियों के वितरण और अस्तित्व के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। इसका जैवविविधता पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र: बहु-वर्षीय घटनाएँ स्थलीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव डाल सकती हैं जिससे प्रवाल विरंजन, वनाग्नि और निवास स्थान में व्यवधान जैसी पारिस्थितिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. असामान्य जलवायवीय घटनाओं में से अधिकाँश अल-नीनो प्रभाव के परिणाम के तौर पर स्पष्ट की जाती हैं? क्या आप सहमत हैं? (2014) |