'आउटबाउंड ट्रैवल एंड टूरिज्म- एन अपॉर्चुनिटी अनटैप्ड' | 08 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में पर्यटन, पर्यटन से संबंधित योजनाएँ।

मेन्स के लिये:

भारत में पर्यटन का महत्त्व और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'आउटबाउंड ट्रैवल एंड टूरिज़्म - एन अपॉर्चुनिटी अनटैप्ड' (Outbound Travel and Tourism - An Opportunity Untapped) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जो दर्शाती है कि भारत का आउटबाउंड (निर्गामी) पर्यटन वर्ष 2024 तक 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा।

  • आउटबाउंड पर्यटन का तात्पर्य, पर्यटन के प्रयोजन से ‘मूल देश से बाहर’ की गई यात्राओं से है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • भारतीय आउटबाउंड ट्रैवल मार्केट विश्व स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से एक है, जिसमें लगभग 80 मिलियन पासपोर्ट स्तर की क्रय शक्ति है, विशेषकर मध्यम वर्ग के बीच।
  • बढ़ती अर्थव्यवस्था, युवा आबादी और बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ, भारत आदर्श रूप से दुनिया के सबसे आकर्षक आउटबाउंड पर्यटन बाज़ारों में से एक बनने की स्थिति में है।
  • यूरोप में पहुँचने वाले 20% पर्यटक भारत के आउटबाउंड पर्यटन की गतिविधि से संबंधित हैं। 10% ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की यात्रा करते हैं, जबकि शेष पर्यटक दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा करते हैं।
  • वर्ष 2021 में भारतीयों ने वर्ष 2019 के 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में आउटबाउंड यात्राओं में लगभग 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये। हालाँकि खर्च में आई इस कमी का एक कारण कोविड जैसी महामारियों का प्रसार भी है, ये आँकड़े उस विशाल मूल्य को इंगित करते हैं जो भारतीय आउटबाउंड यात्रियों से प्राप्त किया जा सकता है।

सिफारिशें:

  • सरकार लोकप्रिय और आगामी गंतव्यों के लिये सीधे संपर्क बढ़ाने, विदेशी क्रूज़ जहाज़ों को भारतीय समुद्री सीमा में संचालित करने की अनुमति देने के अलावा आउटबाउंड पर्यटन बाज़ार को बढ़ावा देने के लिये कई मुद्दों पर ठोस एवं समन्वित प्रयास करने जैसे कदमों पर विचार कर सकती है।
  • विदेशी क्रूज जहाज़ों को भारतीय गंतव्यों को एक स्टॉप के रूप में शामिल करने की अनुमति देने से इनबाउंड और आउटबाउंड पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलेगा तथा साथ ही भारतीय बंदरगाहों के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
  • विदेशी प्रतिनिधिमंडलों और उनकी नीतियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ भारत इनबाउंड और आउटबाउंड दोनों प्रकार के पर्यटकों के लिये पर्यटक-अनुकूल देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध स्थापित कर सकता है।

भारत में पर्यटन परिदृश्य:

  • परिचय:
  • भारत ने अतीत में अपने कल्पित धन के कारण बहुत से यात्रियों को आकर्षित किया। चीनी बौद्ध धर्मनिष्ठ ह्वेनसांग की यात्रा इसका एक उदाहरण है।
  • तीर्थयात्रा को तब बढ़ावा मिला जब अशोक और हर्ष जैसे सम्राटों ने तीर्थयात्रियों के लिये विश्राम गृह बनाना शुरू किया।
  • अर्थशास्त्र 'राज्य के लिये यात्रा बुनियादी ढाँचे के महत्त्व को इंगित करता है, जिसने अतीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • स्वतंत्रता के बाद पर्यटन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं (FYP) का हिस्सा बना रहा।
  • पर्यटन के विभिन्न रूपों जैसे- व्यापार पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन और वन्यजीव पर्यटन आदि को भारत में सातवीं पंचवर्षीय योजना के बाद शुरू किया गया था।
  • स्थिति:
  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की वर्ष 2019 की रिपोर्ट में विश्व सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
  • वर्ष 2019 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का 6.8%, 13,68,100 करोड़ रुपए (194.30 बिलियन अमेरिकी डाॅलर) था।
  • भारत में अब तक वर्ष 2021 में 40 साइटें 'विश्व विरासत सूची' के तहत सूचीबद्ध हैं, जो दुनिया में छठा (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल) स्थान है
  • धोलावीरा और रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) नवीनतम हैं।
  • वित्त वर्ष 2020 में भारत में पर्यटन क्षेत्र में 39 मिलियन नौकरियों का योगदान था, जो कि देश में कुल रोज़गार का 8.0% था। वर्ष 2029 तक इसके तहत लगभग 53 मिलियन नौकरियाँ सृजित होने की उम्मीद है।
  • महत्त्व:
    • सेवा क्षेत्र:
      • यह सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देता है। पर्यटन उद्योग के विकास के साथ एयरलाइन, होटल, भूतल परिवहन आदि जैसे सेवा क्षेत्र में लगे व्यवसायों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
    • विदेशी मुद्रा:
      • विदेशी यात्री विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में भारत की सहायता करते हैं।
      • वर्ष 2016 से वर्ष 2019 तक विदेशी मुद्रा आय 7% की CAGR से बढ़ी, लेकिन वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण इसमें गिरावट देखी गई।
    • राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण:
      • पर्यटन स्थलों के महत्त्व और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करके राष्ट्रीय विरासत और पर्यावरण के संरक्षण में मदद करता है।
    • सांस्कृतिक गौरव:
      • वैश्विक स्तर पर पर्यटन स्थलों की सराहना होने पर भारतीय निवासियों में गर्व की भावना पैदा होती है।
    • ढांँचागत विकास:
      • आजकल यात्रियों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिये अनेक पर्यटन स्थलों पर बहु-उपयोगी अवसंरचना विकसित की जा रही है।
    • मान्यता:
      • यह भारतीय पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर लाने, प्रशंसा अर्जित करने, मान्यता प्राप्त करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पहल करने में मदद करता है।
    • सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा:
      • एक सॉफ्ट पावर के रूप में पर्यटन, सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में मदद करता है, लोगों के मध्य जुड़ाव से भारत और अन्य देशों के बीच दोस्ती व सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • चुनौतियांँ:
    • बुनियादी ढांँचे में कमी:
      • भारत में पर्यटकों को अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे-खराब सड़कें, पानी, सीवर, होटल और दूरसंचार आदि।
    • बचाव और सुरक्षा:
      • पर्यटकों, विशेषकर विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा पर्यटन के विकास में एक बड़ी बाधा है। जो अन्य देशों के पर्यटकों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
    • कुशल जनशक्ति की कमी:
      • कुशल जनशक्ति की कमी भारत में पर्यटन उद्योग के लिये एक और चुनौती है।
    • मूलभूत सुविधाओं का अभाव:
      • पर्यटन स्थलों पर पेयजल, सुव्यवस्थित शौचालय, प्राथमिक उपचार, अल्पाहारगृह आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
    • मौसमी:
      • अक्तूबर से मार्च तक छह महीने पर्यटन में मौसम के कारण कमी देखी जाती है, जबकि नवंबर और दिसंबर में भारी भीड़ रहती है।

पर्यटन संबंधी पहल:

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड