अमेरिका की ‘ओपन स्काई संधि’ से अलग होने की चेतावनी | 26 May 2020

प्रीलिम्स के लिये

ओपन स्काई संधि, नाटो

मेन्स के लिये

वैश्विक शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझौते, अमेरिका-रूस तनाव  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिका को ‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty-OST) से अलग करने  की चेतावनी दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • अमेरिकी राज्य सचिव के अनुसार, अमेरिका के इस फैसले का कारण रूस द्वारा लगातार खुले तौर पर इस संधि का उल्लंघन किया जाना है।
  • ध्यातव्य है कि यह संधि सदस्य देशों को एक दूसरे देश की सीमा में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये निगरानी उड़ानों की अनुमति देती है, हालाँकि निगरानी उड़ान शुरू करने से एक निर्धारित अवधि के पहले संबंधित देश को इसकी सूचना देना अनिवार्य है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में अमेरिका ने पश्चिमी देशों और रूस के बीच हुई मध्यम दूरी परमाणु बल संधि (Intermediate-Range Nuclear Forces-INF Treaty) से स्वयं को अलग कर लिया था। 
  • हालाँकि रूस के उप विदेश मंत्री ने कहा कि जब तक यह संधि (OST) अस्तित्त्व में है वे संधि में निर्धारित अपने अधिकारों और दायित्त्वों का पालन करते रहेंगे।

संधि से अलग होने का कारण: 

  • अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार, अमेरिका और रूस के संबंध बहुत अच्छे हैं परंतु जब तक रूस इस संधि (OST) का सही से पालन नहीं करता हम इस संधि से बाहर रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस बात की भी संभावना है कि हम एक नई संधि स्थापित करें या इस संधि में कुछ संशोधन कर इसे पुनः लागू कर लिया जाए।  
    • हालाँकि वर्तमान में अमेरिका इस संधि से अलग होने की बात कर रहा है परंतु रूस की अपेक्षा अमेरिका ने ही इस संधि ज़्यादा लाभ उठाया है।   
    • एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2002-16 के बीच अमेरिका ने रूस की सीमा में 196 निगरानी उड़ानें भरी जबकि इसी दौरान रूस के द्वारा अमेरिकी सीमा में केवल 71 निगरानी उड़ानों का संचालन किया गया। 
  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के अधिकारियों ने भी रूस पर अपने कुछ क्षेत्रों में निगरानी उड़ान की अनुमति न देने का आरोप लगाया है।  

प्रभाव: 

  • पिछले वर्ष INF संधि से अलग होने और वर्तमान में OST से अलग होने की चर्चा के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अमेरिका फरवरी 2021 में समाप्त हो रही ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि’ का पुनः नवीनीकरण नहीं करना चाहेगा। 
  • अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने इसी वर्ष अमेरिकी काॅन्ग्रेस के समक्ष चीन की बढती परमाणु शक्ति के संदर्भ में अपनी चिंता ज़ाहिर की थी।
    • अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा कि यदि चीन को शामिल किये बगैर  ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि’ {New Strategic Arms Reduction Treaty-(START)} ऐसे ही जारी रहती है तो चीन अपने परमाणु हथियारों को दो गुना कर सकता है।
    • ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि’ को फरवरी 2011 में रूस और अमेरिका के बीच लागू किया गया था। इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों में परमाणु और गैर-परमाणु हथियारों के विस्तार पर अंकुश लगाना था।   
    • एक अन्य अमेरिकी रक्षा अधिकारी के अनुसार, ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि में सत्यापन से संबंधित गंभीर कमियाँ थी और अमेरिका हथियार नियंत्रण की एक नई व्यवस्था स्थापित करने का इच्छुक है, जिसमें चीन को भी शामिल किया जा सके। 
  • हाल के कुछ वर्षों में रूस और यूक्रेन के सीमावर्ती क्षेत्रों में संघर्ष के मामलों में वृद्धि देखी गई है, ऐसे में  यदि इस संधि को समाप्त किया जाता है तो इससे सुरक्षा की दृष्टि से यूरोप के कुछ देशों की चिंताएँ बढ़ सकती हैं।

आगे की राह:     

  • OST संधि के माध्यम से न सिर्फ सदस्य देशों के बीच संवाद बढ़ाने और तनाव कम करने में सफलता प्राप्त हुई बल्कि शीत युद्ध के बाद वैश्विक शांति बनाए रखने में भी इस संधि का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • हाल के बदलते वैश्विक परिवेश में इस संधि की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ी है, ऐसे में आवश्यकता है कि संधि से जुड़े अन्य देशों के सहयोग से रूस और अमेरिका के बीच आपसी मतभेद को दूर कर इस संधि को और अधिक मज़बूत किया जाए।  

‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty-OST):

  • इस संधि की अवधारणा शीत युद्ध के शुरूआती वर्षों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइज़नहावर (Dwight Eisenhower) ने प्रस्तुत की थी।
  • सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश’ (George H.W. Bush) के प्रशासन के दौरान मार्च 1992 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी (Helsinki) में इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।     
  • यह संधि वर्ष 2002 में अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जॉर्ज डब्ल्यू. बुश’ (George W. Bush)  के प्रशासन के दौरान प्रभाव में आई थी।
  • इस संधि में 34 हस्ताक्षरकर्त्ता देशों (अमेरिका और रूस सहित) को संधि में शामिल अन्य देशों की सीमाओं में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये गैर-हथियार वाले निगरानी विमानों की उड़ान की अनुमति देती है।  
  • इस संधि का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच विश्वास को बढ़ाना और परस्पर सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को मज़बूती प्रदान करना है। 
  • इस संधि के अनुसार, किसी सदस्य देश पर निगरानी विमानों की उड़ान हेतु संबंधित देश को (निगरानी उड़ान के इच्छुक देश द्वारा) कम-से-कम 72 घंटे पूर्व इसकी सूचना दी जानी अनिवार्य है। 
  • संधि की शर्तों के तहत कोई भी सदस्य देश 96 घंटे से अधिक की निगरानी उड़ान की अनुमति देने के लिये बाध्य नहीं होगा।    
  • भारत इस संधि में नहीं शामिल है।    

स्रोत : द हिंदू