OPEC+ द्वारा अतिरिक्त उत्पादन कटौती की घोषणा | 05 Apr 2023

प्रिलिम्स के लिये:

OPEC+, OPEC

मेन्स के लिये:

OPEC+ द्वारा तेल उत्पादन में कटौती और इसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC/ओपेक) और उसके सहयोगियों, जिन्हें सामूहिक रूप से OPEC+ के रूप में जाना जाता है, ने बाज़ार में स्थिरता का समर्थन करने हेतु अपने तेल उत्पादन में 1.16 मिलियन बैरल प्रतिदिन (Barrels Per Day- BPD) की कमी की घोषणा की है।

तेल उत्पादन में स्वैच्छिक कटौती की पृष्ठभूमि:  

  • पृष्ठभूमि:  
    • रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद तेल की कीमतें अत्यधिक बढ़ गई हैं और वैश्विक बैंकिंग संकट की चिंताओं के कारण मार्च 2023 में 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की गिरावट के साथ कीमतों में उतार-चढ़ाव रहा है, जिससे मांग प्रभावित हो सकती है।  
  • शामिल देश: 
    • अभी तक सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, अल्जीरिया, कज़ाखस्तान, रूस और गैबॉन ने स्वैच्छिक तेल उत्पादन कटौती की घोषणा की है। 
    • कुछ OPEC+ सदस्य पहले से ही उत्पादन क्षमता की कमी के परिणामस्वरूप सहमत मात्रा से काफी कम निकासी कर रहे हैं, इस कारण वे सभी सदस्य स्वैच्छिक कटौती में भाग नहीं ले रहे हैं। 

तेल उत्पादन में स्वैच्छिक कटौती के प्रमुख संभावित प्रभाव:  

  • अमेरिका पर प्रभाव: यह कदम अमेरिका के लिये काफी हानिकारक होने की संभावना है क्योंकि अमेरिका निरंतर ही इस संगठन से तेल उत्पादन में वृद्धि करने की मांग करता रहा है।
  • गैर-ओपेक देशों पर प्रभाव: उत्पादन में कटौती का तेल के निर्यात पर निर्भर रहने वाले गैर-ओपेक देशों पर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि उन्हें बाज़ार में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत पर प्रभाव: भारत अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतों का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है, उत्पादन घटने के कारण कीमतों में वृद्धि के परिणामस्वरूप तेल आयात बिल में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
    • आयात बिलों में वृद्धि से न केवल मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटे में वृद्धि होगी बल्कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमज़ोर होने के साथ शेयर बाज़ार भी काफी प्रभावित हो सकता है।
    • निवेश सूचना एवं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (ICRA) के अनुसार, कच्चे तेल की कीमत में प्रत्येक 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि पर चालू खाता घाटा 14 से 15 अरब डॉलर या GDP के 0.4 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।  

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन प्लस (OPEC+):

  • OPEC: वर्ष 1960 में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला जैसे  संस्थापक सदस्यों द्वारा स्थापित ओपेक का वर्तमान में विस्तार हुआ है तथा अब 13 देश इसके सदस्य हैं।
    • ये सदस्य देश हैं: अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेज़ुएला।
      • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया।
    • OPEC विश्व के कच्चे तेल का लगभग 40% उत्पादन करता है और इसके सदस्यों का निर्यात वैश्विक पेट्रोलियम व्यापार का लगभग 60% है। 
  • OPEC+: वर्ष 2016 में अन्य 10 संबद्ध प्रमुख तेल उत्पादक देशों को शामिल करने के साथ OPEC को OPEC+ के रूप में जाना जाता है।
    • OPEC+ देशों में 13 ओपेक सदस्य देश तथा अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं। 
  • उद्देश्य:  
    • इस संगठन का उद्देश्य "अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना है तथा उपभोक्ताओं को पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक एवं नियमित आपूर्ति, उत्पादकों को स्थिर आय और पेट्रोलियम उद्योग में निवेश करने वालों के लिये पूंजी पर उचित रिटर्न सुनिश्चित करने हेतु तेल बाज़ारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना है।  

OPEC

स्रोत: द हिंदू