निपुण भारत मिशन | 06 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये 

निपुण भारत मिशन तथा भारत में शिक्षा से संबंधित अन्य पहलें

मेन्स के लिये

निपुण भारत मिशन : परिचय, उद्देश्य, लक्ष्य तथा महत्त्व; भारत में शिक्षा तथा नवीन शिक्षा नीति का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

शिक्षा मंत्रालय ने ‘बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता के लिये राष्ट्रीय पहल- निपुण’ (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy- NIPUN) भारत मिशन की शुरुआत की है।

  • इसका उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

प्रमुख बिंदु

NEP 2020 का हिस्सा:

  • यह पहल NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के एक भाग के रूप में शुरू की जा रही है।
  • इस नीति का उद्देश्य देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है। इस नीति ने 34 वर्षीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE), 1986 को प्रतिस्थापित किया।

उद्देश्य:

  • आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के सार्वभौमिक अधिग्रहण को सुनिश्चित करने के लिये एक सक्षम वातावरण बनाना ताकि ग्रेड 3 का प्रत्येक बच्चा वर्ष 2026-27 तक पढ़ने, लिखने और अंकगणित में वांछित सीखने की क्षमता प्राप्त कर सके।

केंद्रबिंदु के क्षेत्र:

  • यह स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक शिक्षा की पहुँच प्रदान करने और उन्हें बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा जैसे- शिक्षक क्षमता निर्माण, उच्च गुणवत्ता और छात्र एवं शिक्षक संसाधनों/शिक्षण सामग्री का विकास तथा सीखने के परिणामों को लेकर प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नज़र रखना।

कार्यान्वयन:

  • स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा NIPUN को भारत में कार्यान्वित किया जाएगा।
  • समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला, ब्लॉक, स्कूल स्तर पर एक पाँच स्तरीय कार्यान्वयन तंत्र स्थापित किया जाएगा।
    • 'समग्र शिक्षा' कार्यक्रम तीन मौजूदा योजनाओं- सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) को मिलाकर शुरू किया गया था।
    • इस योजना का उद्देश्य पूर्व-विद्यालय से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा को समग्र रूप से सुनिश्चित करना है।
  • निष्ठा (National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement- NISHTHA) के तहत बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy- FLN) के लिये एक विशेष पैकेज NCERT द्वारा विकसित किया जा रहा है।
    • इस वर्ष प्री-प्राइमरी से प्राइमरी कक्षा तक पढ़ाने वाले लगभग 25 लाख शिक्षकों को FLN का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
    • निष्ठा "एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार" के लिये एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है।
  • पूर्व-प्राथमिक या बालवाटिका कक्षाओं के क्रम में चरण-वार लक्ष्य निर्धारित किये जा रहे हैं।

अपेक्षित परिणाम:

  • प्राथमिक कौशल बच्चों को कक्षा में रखने में सक्षम बनाते हैं जिससे बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को कम किया जा सकता है तथा इससे प्राथमिक से उच्च प्राथमिक व माध्यमिक चरणों में पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आएगी।
  • गतिविधि आधारित लर्निंग और सीखने के अनुकूल माहौल से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • खिलौना आधारित और अनुभवात्मक लर्निंग जैसी अभिनव अध्यापन कला कक्षा कार्य में इस्तेमाल की जाएगी जिससे लर्निंग (सीखना) एक आनंदमय और आकर्षक गतिविधि बनेगी।
  • शिक्षकों का उच्च क्षमता निर्माण उन्हें सशक्त बनाता है और अध्यापन कला चुनने के लिये अधिक स्वायत्ता प्रदान करता है।
  • शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास, साक्षरता व संख्यात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास, जीवन कौशल आदि जैसे परस्पर संबंधित और निर्भर विकास के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर बच्चे का समग्र विकास किया जाएगा जो उसके प्रगति कार्ड में परिलक्षित होगा।
  • इस प्रकार बच्चे तेज़ी से सीखने की क्षमता हासिल करेंगे जो उनकी शिक्षा के बाद के जीवन परिणामों और रोज़गार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • चूँकि शिक्षा ग्रहण हेतु हर बच्चा प्रारंभिक ग्रेड में प्रवेश लेता है, इसलिये उस स्तर पर ध्यान देने से सामाजिक-आर्थिक व अलाभकारी समूह को भी लाभ होगा, इस प्रकार समान तथा समावेशी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित होगी।

NIPUN-BHARAT-MISSION

भारत में शिक्षा

संवैधानिक प्रावधान:

  • भारतीय संविधान के भाग IV- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) के अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (f) में राज्य द्वारा वित्तपोषण के साथ-साथ समान और सुलभ शिक्षा का प्रावधान है।
  • 42वें संविधान संशोधन 1976 ने शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया।
    • केंद्र सरकार की शिक्षा नीतियाँ एक व्यापक दिशा प्रदान करती हैं और राज्य सरकारों से इनका पालन करने की अपेक्षा की जाती है लेकिन यह अनिवार्य नहीं है, उदाहरण के लिये तमिलनाडु राज्य वर्ष 1968 की प्रथम शिक्षा नीति द्वारा निर्धारित त्रि-भाषा फार्मूले का पालन नहीं करता है।
  • 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 ने शिक्षा को अनुच्छेद 21-A के तहत लागू किये जाने योग्य अधिकार बना दिया।

संबंधित कानून:

  • शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
    • यह गैर-अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अधिक एकीकृत तथा समावेशी स्कूली शिक्षा प्रणाली बनाने हेतु अपनी प्रवेश स्तर की सीटों में से कम-से-कम 25% सीटें वंचित वर्गों के बच्चों के लिये आरक्षित रखने का आदेश देता है।

सरकार द्वारा की गई पहल:

स्रोत: द हिंदू